China v/s America tariff war: चीन V/S अमेरिका की जंग के बीच भारत को कैसे हो सकता है फायदा?

America vs China tariff war
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America v/s China war अमेरिका और चीन के बीच रेसिप्रोकल टैरिफ (reciprocal tariffs) को लेकर काफी घमासान चल रहा है। एक तरफ अमेरिका चीन से दूरी बना रहा है तो वहीं चीन भी फिर से भारत के साथ अपने रिश्तें को सुधारने की कोशिश शुरु कर चुका है। हांलांकि इस घमासान का फायदा भारत चाहें तो उठा सकता है। अब सवाल ये है कि हम ऐसा क्यों कह रहे है और भला भारत कैसे इसका फायदा उठा सकता है तो हम आपको बताते है।

भारत की नीति का फायदा Indian policies

भारत की हमेशा से पहले वार न करने की नीति इस बार भारत के लिए काफी फायदेमंद साबित होती नजर आ रही है। कभी अमेरिका भारत के बजाय चीन में व्यापार बढ़ाने की प्लानिंग कर रहा था, तो वहीं अब ये हाल हो गया है कि व्यापार छोड़िए, रिश्तें भी नही बचाए जा रहे है।

दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति ने करीब 60 देशों में 9 अप्रैल से रेसिप्रोकल टौरिफ लगया है, जिसके बाद भारत ने चुप्पी साध ली लेकिन इस टैरिफ से चीन बुरी तरह से तिलमिला गया है, वो खुलकर अमेरिका की आलोचना कर रहा है, जिसका नतीजा ये हुआ कि अमेरिका और चीन दोनों ही अपने व्यापारिक रिश्ते तोड़ने के लिए तैयार है, और इस लड़ाई का फायदा सीधे तौर पर भारत को होने वाला है।

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कैसे होगा भारत को फायदा-

चीन के खुले तौर पर टैरिफ वॉर शुरू करने का नतीजा ये हुआ है कि अमेरिका ने चाइनीज चीजों पर 245 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया है। इस कारण भारतीय बाजार में अमेरिकी और चाइनीज दोनों कंपनिया अपना माल कम दामों में बेचने की कोशिश करेगी। चीन की इलेक्ट्रोनिक्स प्रोडक्ट (Electronics products) की मांग में काफी गिरावट आई है जिससे वो भारतीय निर्माताओं को 5 प्रतिशत की भारी छूट देने की पेशकश रख रहे है। बता दे कि भारत में बनने वाले लगभग सभी इलेक्ट्रोनिक्स प्रोडक्ट का 75 प्रतिशत हिस्सा चीन से आता है।

चीन को छोड़ेगी अमेरिकी कंपनियां

कई अमेरिकी कंपनिया जिसमें टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक सैक्टर शामिल है, वो चीन से अपना कारोबार उठा कर किसी दूसरे देश की ओर रूख कर रहे है, ऐसे में भारत अपने मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर(manufacturing) और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को मजबूत बना कर भारत में कंपनियों को लगाने का ऑफर दे सकता है, इससे देश में नौकरियों का विस्तार होगा, जो देश के आर्थिक सुधारो में भी बड़ा योगदान देगा।

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इस ट्रेड वॉर (Trade war) के कारण केवल अमेरिका ने ही नहीं बल्कि चीन ने भी अमेरिकी आयात पर 84 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है, जिसके कारण अमेरिकी कंपनियों को सीधे तौर पर अमेरिका से कुछ भी आयात करने में काफी हेवी टैरिफ देना होगा लेकिन अगर वहीं भारत से कच्चा सामान निर्यात किया जाता है तो इससे भारतीय बाजार मजबूत होगा।

चीन का भारत को लालच

चीन ने हमेशा वैश्विक तौर पर भारत के खिलाफ खुल कर विरोध जताया है, लेकिन अमेरिका से निपटने के लिए चीन फिर से भारत से अपने रिश्तें सुधारने की कोशिश में लग गया है। चीन ने भारतीय वीजा में कई छूट देते हुए इस साल अब तक करीब 85000 भारतीय वीजा को मंजूरी दी है। चीन ने खुले तौर पर भारत को टैरिफ के खिलाफ चीन के साथ मिलकर अमेरिका का सामना करने की पेशकश की है। चीन भारत के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को सुधारने का इशारा कर चुका है।

भारतीय बाजार के लिए चुनौती-

अमेरिकी कंपनियों के चीन से पलायन के बाद भले ही भारतीय बाजारों के लिए सुनहरा अवसर लग रहा है लेकिन भारत के लिए चुनौती कम नहीं है। भारत में मैन्‍यूफैक्‍चरिंग कैपेसिटी को मजबूत करना होगा, भले ही यहां मैनपावर ज्यादा है, लेकिन भूमिग्रहण और नौकरशाही रुकावटों से निपटना भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होगी। ऐसे में अगर भारतीय बाजार को मजबूत बनाना है तो सरकार को कई कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

इस समय चीन और अमेरिका के बीच की दूरी का सबसे ज्यादा फायदा भारत उठा सकता है क्योंकि थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया, जैसे छोटे देश के मजबूत इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर भारत से इस मौके को छीनने में लगे हुए है, इसलिए भारतीय सरकार को काफी मेहनत करनी होती भारत में इन कंपनियों को जमाने के लिए, और रही बात भारत-चीन रिश्तें की तो चीन का डबल स्टैंडर्ड सब देख ही चुके है।

 

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