India-Nepal Trade: नेपाल इस वक्त जबरदस्त उथल-पुथल से गुजर रहा है। देश के हालात इतने बिगड़ गए हैं कि राजधानी काठमांडू समेत कई हिस्सों में हिंसा, आगजनी और पुलिस से टकराव आम बात हो गई है। और इसकी शुरुआत हुई थी एक फैसले से सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर बैन लगाने से। इस डिजिटल सेंसरशिप के खिलाफ देशभर में युवा सड़कों पर उतर आए, और देखते ही देखते हालात बेकाबू हो गए। इस पूरे घटनाक्रम में अब तक करीब 20 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 300 से ज्यादा घायल हैं।
हालात इतने तनावपूर्ण हो चुके हैं कि नेपाल की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ना शुरू हो गया है। और इसका असर सीधे भारत पर भी पड़ सकता है। आईए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते है।
नेपाल और भारत की गहरी व्यापारिक साझेदारी- India-Nepal Trade
नेपाल की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और टूरिज्म पर टिकी हुई है, लेकिन जरूरी चीजों की सप्लाई के लिए वह भारत पर बहुत हद तक निर्भर करता है। खासकर तेल, बिजली, दवाइयां और मशीनरी जैसी चीजों के लिए। ट्रेंडिंग इकोनॉमिक्स के मुताबिक, साल 2024 में नेपाल ने भारत से करीब 6.95 अरब डॉलर का सामान मंगाया था, जबकि भारत ने नेपाल से करीब 867 मिलियन डॉलर का आयात किया था। यानी नेपाल के कुल विदेशी व्यापार का 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सा सिर्फ भारत से जुड़ा हुआ है।
भारत से क्या-क्या जाता है नेपाल?
भारत से नेपाल को सबसे ज्यादा पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की सप्लाई होती है। अकेले साल 2024 में भारत ने नेपाल को 2.19 अरब डॉलर के तेल उत्पाद भेजे। इसके अलावा स्टील और लोहे के उत्पाद (700 मिलियन डॉलर से ज्यादा), मशीनरी और बॉयलर्स, कार और ऑटो पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, दवाएं और अन्य जरूरी सामग्रियां भारत से नेपाल पहुंचती हैं। नेपाल के पेट्रोल-डीजल वितरण की पूरी जिम्मेदारी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOCL) की है।
अगर नेपाल में हालात और बिगड़ते हैं, तो भारत से इन सभी चीजों की सप्लाई पर असर पड़ सकता है, जिससे पड़ोसी देश में ईंधन और जरूरी चीजों की भारी किल्लत देखने को मिल सकती है।
नेपाल से भारत क्या मंगाता है?
नेपाल से भारत को कुछ खास वस्तुएं आयात होती हैं, जैसे –
- वनस्पति तेल और वसा (152 मिलियन डॉलर)
- इस्पात और जूट प्रोडक्ट्स
- कॉफी, चाय और मसाले (98 मिलियन डॉलर)
- लकड़ी और लकड़ी से बने उत्पाद (70 मिलियन डॉलर)
- टेक्सटाइल फाइबर, स्टोन और अन्य एग्रो प्रोडक्ट्स
हालांकि, कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत की तुलना में नेपाल का भारत पर निर्भरता कहीं ज्यादा है।
भारत की कंपनियां भी हैं नेपाल में एक्टिव
भारत की कई बड़ी कंपनियां नेपाल में इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा और हेल्थकेयर सेक्टर में काम कर रही हैं। इनसे वहां हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसके अलावा बड़ी संख्या में नेपाली नागरिक भारत में काम करने आते हैं और नेपाल के उत्पादों के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार भी बना हुआ है।
ऐसे में नेपाल के अंदर बढ़ता तनाव सिर्फ वहां की राजनीतिक स्थिरता के लिए ही नहीं, बल्कि भारत-नेपाल रिश्तों और कारोबार के लिए भी चिंता की बात बन गया है।
हालात कैसे बिगड़े?
बता दें, नेपाल में संकट की शुरुआत तब हुई जब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, ट्विटर समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया। इस फैसले से लोगों में भारी नाराजगी फैली और हजारों छात्र सड़कों पर उतर आए। धीरे-धीरे आंदोलन हिंसक हो गया, कई जगह आगजनी हुई, सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा और पुलिस से टकराव में अब तक 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
स्थिति को संभालने के लिए सरकार ने देर रात बैन हटाने की घोषणा की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सोशल मीडिया सर्विसेज धीरे-धीरे बहाल तो हो रही हैं, लेकिन गुस्सा शांत होता नहीं दिख रहा।
वहीं, अगर हालात जल्दी नहीं संभले, तो नेपाल को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ सकता है। भारत के साथ उसका व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो सकता है, जिससे ईंधन और जरूरी सामानों की भारी किल्लत पैदा हो सकती है। भारत के लिए भी यह चिंता का विषय है, क्योंकि सीमा पर अस्थिरता से न केवल व्यापार प्रभावित होगा, बल्कि कूटनीतिक रिश्तों पर भी असर पड़ेगा।