India-Trump relations: भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चौतरफा आलोचनाओं से घिर गए हैं। जानकारों ने उनके इस कदम को “रणनीतिक गलती” बताया है और साफ कहा है कि इस तरह के फैसले भारत जैसी उभरती हुई वैश्विक शक्ति पर कोई खास असर नहीं डालने वाले।
मामला रूस से तेल खरीद को लेकर है, जिसके चलते ट्रंप प्रशासन ने भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ (25% + 25%) लगा दिया था। साथ ही भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए जुर्माना भी लगाया गया। लेकिन यह दांव अब उल्टा पड़ता नजर आ रहा है।
“यह हमारी बड़ी भूल थी” – जॉन मेरशीमर: India-Trump relations
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जाने-माने विशेषज्ञ और शिकागो यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर जॉन मेरशीमर ने ट्रंप के इस कदम पर दो टूक टिप्पणी की है। उन्होंने कहा:
“यह हमारी तरफ से बड़ी भूल है। भारत पर लगाए गए प्रतिबंध बेअसर साबित होंगे। भारतीयों ने साफ कर दिया है कि वे रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेंगे। भारतीय झुकने वाले नहीं हैं।”
मेरशीमर ने यह भी याद दिलाया कि जब जनवरी में ट्रंप दोबारा व्हाइट हाउस पहुंचे, उस वक्त भारत-अमेरिका के रिश्ते बहुत मजबूत थे। अमेरिका की विदेश नीति में भी भारत को चीन के मुकाबले रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन ट्रंप के फैसलों ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास ला दी है।
भारत नाराज़, मोदी ने ट्रंप के कॉल्स का जवाब नहीं दिया
जॉन मेरशीमर ने जर्मनी के एक अखबार का हवाला देते हुए बताया कि भारत, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इस पूरे घटनाक्रम से बेहद नाराज़ हैं। उन्होंने कहा:
“ट्रंप ने मोदी को चार बार फोन किया, लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया। इसके बाद मोदी अब चीन और रूस के ज्यादा करीब नजर आ रहे हैं।”
यह बयान भारत-अमेरिका संबंधों के बदलते समीकरण की गंभीर तस्वीर पेश करता है।
ट्रंप के सलाहकार भी आलोचना के घेरे में
मेरशीमर ने इस पूरे घटनाक्रम के लिए ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि नवारो जैसे कुछ ही लोग हैं जो इस कदम का समर्थन कर रहे हैं।
“क्या ट्रंप ये मानते हैं कि भारत उनके आगे झुक जाएगा? क्या अमेरिका की ताकत इतनी है कि वह भारत को घुटनों पर ले आएगा? मुझे नहीं लगता कोई समझदार व्यक्ति इस पर यकीन करेगा।”
ट्रंप का भारत पर टैरिफ लगाने का फैसला
ट्रंप ने पहले भारत पर 25% टैरिफ लगाया, जिसे बाद में और 25% बढ़ा दिया गया, जिससे यह कुल 50% हो गया। साथ ही रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर जुर्माना भी लगाया गया।
दिलचस्प बात यह है कि भारत और ब्राजील दो ही ऐसे देश हैं, जिन पर अमेरिका ने इतना भारी टैक्स लगाया है। जबकि भारत ने साफ कर दिया है कि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन भी रूस से व्यापार कर रहे हैं, फिर सिर्फ भारत को निशाना क्यों बनाया जा रहा है?
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