India-US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच लंबे वक्त से चली आ रही ट्रेड डील को लेकर आखिरकार विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता बेहद जरूरी है, लेकिन इसमें भारत की कुछ सीमाएं और शर्तें हैं, जिनका सम्मान किया जाना चाहिए। जयशंकर ने यह बयान राजधानी दिल्ली के कौटिल्य इकोनॉमिक एन्क्लेव में एक कार्यक्रम के दौरान दिया।
अमेरिका सबसे बड़ा बाजार, लेकिन भारत की भी है एक ‘रेड लाइन’
अपने संबोधन में विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका निस्संदेह दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है और भारत भी इस रिश्ते को मजबूती देना चाहता है, लेकिन किसी भी समझौते की अपनी कुछ सीमाएं होती हैं। उन्होंने कहा कि बातचीत में कुछ मुद्दों पर समझ बन सकती है, लेकिन कुछ ऐसे बिंदु भी होते हैं जो भारत के लिए ‘नॉन-नेगोशिएबल’ हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा, “हमारे पास भी अपनी ‘रेड लाइन’ है और हम चाहते हैं कि अमेरिका उसका सम्मान करे।”
क्यों नहीं बन पाई अब तक ट्रेड डील? India-US Trade Deal
गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद अब तक कोई ठोस ट्रेड डील फाइनल नहीं हो पाई है। जयशंकर ने इसकी वजह भी साफ कर दी। उन्होंने बताया कि अमेरिका के साथ कई मुद्दों पर मतभेद हैं, जिनकी वजह से बातचीत ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच पा रही है। इसी टकराव के चलते अमेरिका ने भारत पर एक्स्ट्रा टैरिफ भी लागू कर दिए हैं।
ट्रंप की नीति और भारत पर 50% डबल टैरिफ
विदेश मंत्री ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर भी टिप्पणी की। उन्होंने बताया कि पहले ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जिसे भारत ने पहले ही अनुचित बताया था। इसके बाद, जब भारत ने रूस से तेल और हथियार खरीदना जारी रखा, तो अमेरिका ने एक और 25% का अतिरिक्त शुल्क जोड़ते हुए कुल टैरिफ 50% कर दिया। अमेरिका का आरोप था कि रूस से व्यापार कर भारत अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध में रूस की आर्थिक मदद कर रहा है, जबकि जयशंकर ने कहा कि कई अन्य देशों ने भी रूस से व्यापार किया है यहां तक कि वे देश भी जो खुद रूस के खिलाफ अधिक आक्रामक रुख रखते हैं।
भारत ने साफ किया अपना पक्ष
जयशंकर ने कहा कि भारत का रुख शुरू से ही स्पष्ट रहा है। उन्होंने बताया कि भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर मार्च से बातचीत चल रही है। इसमें कई पेचिदगियां और विवादित मुद्दे हैं, लेकिन भारत किसी दबाव में नहीं झुकेगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत बातचीत से पीछे नहीं हट रहा, लेकिन समझौते में अपनी शर्तों के साथ आगे बढ़ना चाहता है।