India-US Trade: अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्तों में इन दिनों गर्माहट के साथ थोड़ी तल्ख़ी भी नजर आ रही है। इसकी एक बड़ी वजह बना है अमेरिका के कॉमर्स सेक्रेटरी हावर्ड ल्यूटनिक का ताज़ा बयान, जिसमें उन्होंने भारत और ब्राज़ील जैसे देशों को ‘दुरुस्त’ करने की बात कही है। ल्यूटनिक ने यह बात अमेरिकी मीडिया चैनल को दिए एक इंटरव्यू में कही, जो अब वैश्विक चर्चाओं में है।
भारत पर 50% तक टैरिफ, रूसी तेल पर अलग से 25%
हावर्ड ल्यूटनिक ने भारत को सीधे तौर पर चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर भारत को अमेरिकी बाज़ार से फायदा चाहिए, तो उसे अमेरिका के हितों का भी ध्यान रखना होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत जैसे देश अमेरिकी उपभोक्ताओं को सामान बेचते हैं, लेकिन खुद अपने बाज़ार पूरी तरह नहीं खोलते। यही नहीं, भारत पर अमेरिका की ओर से 50 प्रतिशत तक टैरिफ भी लगाया गया है जो कि अब तक का सबसे ऊंचा दर है। इसमें रूसी तेल की खरीद पर लगाया गया 25% शुल्क भी शामिल है।
गौरतलब है कि भारत, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक प्रतिबंधों के बावजूद रियायती दरों पर रूस से तेल खरीदता रहा है। भारत ने साफ कहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद पूरी तरह राष्ट्रीय हित और बाजार की जरूरतों पर आधारित है। इस नीति से अमेरिका खासा नाराज नजर आता है।
“अगर बेचना है, तो सहयोग भी करना होगा” — ल्यूटनिक (India-US Trade)
ल्यूटनिक ने कहा, “भारत, ब्राजील, स्विट्जरलैंड और ताइवान जैसे देशों को यह समझना होगा कि अगर वे अमेरिकी ग्राहकों को सामान बेचना चाहते हैं, तो उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ मिलकर चलना होगा।” उन्होंने कहा कि इन देशों के साथ अमेरिका के व्यापारिक मुद्दे अनसुलझे हैं, जिन्हें वक्त रहते सुलझाया जाएगा। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि ये देश सहयोग करें।
भारत-अमेरिका व्यापार रिश्ते: एक जटिल समीकरण
बावजूद इसके, अमेरिका लगातार चौथे साल (2024-25) भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। द्विपक्षीय व्यापार का आंकड़ा 131.84 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। भारत के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 18% है, जबकि आयात में यह आंकड़ा करीब 6.22% है।
दोनों देश इस व्यापार को 2030 तक $500 बिलियन तक ले जाने की योजना बना रहे हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए यह रास्ता आसान नहीं दिखता।
व्यापार समझौते पर संशय बरकरार
भारत और अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते की उम्मीद थी, जिसकी पहली किस्त अक्टूबर-नवंबर 2025 तक पूरी होने की बात कही जा रही थी। इसी दिशा में भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में न्यूयॉर्क में अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की थी।
वहीं, 16 सितंबर को अमेरिकी टीम ने भारत का दौरा भी किया था ताकि इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। लेकिन अब ल्यूटनिक के बयान के बाद इस समझौते की दिशा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।