Indian Student abuse Canada: कनाडा में भारतीय छात्राओं का शारीरिक शोषण! जस्टिन ट्रूडो के शासन में चुप्पी, अब नई सरकार से उम्मीदें

Indian Student abuse Canada
Source: Google

Indian Student abuse Canada: कनाडा में भारतीय अंतरराष्ट्रीय छात्रों का यौन शोषण और उनके शारीरिक शोषण को लेकर एक गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। खासतौर पर भारतीय मूल की लड़कियां जो शिक्षा प्राप्त करने के लिए कनाडा आई हैं, वे अब दलालों, ड्रग डीलरों और मानव तस्करों के शिकार हो रही हैं। इस मामले को लेकर कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के समय में तो खूब बवाल मचा, लेकिन इस मुद्दे की जड़ में जो भारतीय लड़कियां हैं, उनकी पीड़ा और समस्या को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया।

और पढ़ें: Musk vs Navarro: ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के बीच मस्क और नैवारो के बीच बढ़ी अनबन, व्यापार नीति पर घमासान

यौन शोषण और तस्करी के बढ़ते मामले- Indian Student abuse Canada

ग्रेटर टोरंटो एरिया (जीटीए) में भारतीय छात्राओं का यौन शोषण तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय मूल की लड़कियों को अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए देह व्यापार में शामिल किया जा रहा है। अगस्त 2022 में ब्रैम्पटन से तीन भारतीय-कनाडाई युवकों की गिरफ्तारी ने इस समस्या को उजागर किया, जब इन तीनों ने एक 18 वर्षीय लड़की की तस्करी कर उसे देह व्यापार के लिए मजबूर किया। यही नहीं, आरोपी ऑनलाइन यौन सेवाओं का विज्ञापन भी कर रहे थे, जिससे यह साफ होता है कि शोषण के शिकार छात्राओं की संख्या और भी अधिक हो सकती है।

गर्भपात और मानसिक पीड़ा

इस मामले में एक और गंभीर पहलू सामने आया है, वह है गर्भपात करवाने वाली छात्राओं की बढ़ती संख्या। ब्रैम्पटन की एक बुजुर्ग इंडो-कनाडाई महिला का कहना है कि हर महीने 10-12 गर्भपात भारतीय छात्राओं के होते हैं। यह समस्या इस हद तक बढ़ गई है कि कई छात्राएं यौन शोषण और मानसिक पीड़ा के चलते गर्भपात करवा रही हैं। कई बार लड़कियां अपने वित्तीय संकटों के कारण देह व्यापार में शामिल हो जाती हैं, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक शोषण और बढ़ता है।

भारतीय कनाडाई समुदाय का योगदान

एलस्पेथ हेवर्थ सेंटर फॉर विमेन की कार्यकारी निदेशक सुंदर सिंह इस समस्या के बारे में बार-बार चेतावनी दे रही हैं। उनका कहना है कि कनाडा में आने वाली भारतीय लड़कियों में 90 प्रतिशत लड़कियां हैं, और उनमें से ज्यादातर पंजाब से हैं। वे इस बात पर जोर देती हैं कि दलाल इन लड़कियों को अपनी जाल में फंसाने के लिए पहले उनके साथ अच्छे रिश्ते बनाते हैं, फिर उन्हें यौन सेवाएं देने के लिए मजबूर कर देते हैं। सुंदर सिंह के अनुसार, शिक्षा केंद्रों, गली-नुक्कड़, बस स्टॉप, और यहां तक कि धार्मिक स्थलों पर भी दलाल इन लड़कियों को शिकार बना रहे हैं।

आर्थिक कठिनाइयां और माता-पिता की भूमिका

सुंदर सिंह का मानना है कि भारत में लड़कियों के माता-पिता अनजाने में अपनी बेटियों को इस भयानक स्थिति में धकेल रहे हैं। वे कनाडा भेजने के लिए अपने बच्चों से भारी कर्ज लेते हैं, ताकि वे भविष्य में अपने परिवार को कनाडा बुला सकें। इसके बाद, लड़कियां अकेले रहकर अपनी पढ़ाई और जीवन यापन के लिए खुद को संभालने के लिए मजबूर होती हैं। इनमें से कई लड़कियां वित्तीय संकट से निपटने के लिए देह व्यापार में शामिल हो जाती हैं।

जमींदारों के साथ समझौता

सिंह ने बताया कि ब्रैम्पटन में कई जमींदारों ने छात्राओं से किराए के एवज में शारीरिक शोषण करने का समझौता किया है। कई लड़कियां अपने किराए को बचाने के लिए जमींदारों के साथ इस तरह के समझौतों में फंसी रहती हैं। यह घटना भी इस बात की गवाही देती है कि किस प्रकार से कनाडा में भारत से आई छात्राओं का शारीरिक शोषण एक सामान्य मुद्दा बन चुका है।

भारतीय-कनाडाई गिरोहों का हाथ

सिंह का कहना है कि भारतीय-कनाडाई युवा गिरोहों की गतिविधियां इस समस्या को और बढ़ा रही हैं। पंजाब के सुपर अमीर और बड़े अधिकारियों के बेटे कनाडा में देह व्यापार के धंधे में शामिल हो गए हैं। वे बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज जैसी महंगी कारों से इन लड़कियों को लुभाते हैं और फिर उन्हें इस घिनौने धंधे में धकेलते हैं। सिंह के अनुसार, एक दलाल साल में एक लड़की से 230,000 डॉलर तक कमा सकता है।

अकाल तख्त से मदद की अपील

एलस्पेथ हेवर्थ सेंटर ने हाल ही में अकाल तख्त से इस मुद्दे में हस्तक्षेप की अपील की थी, ताकि वे इस समस्या को गंभीरता से लें और लड़कियों की मदद करें। सुंदर सिंह ने बताया कि कुछ गुरुद्वारों से मदद की गुहार भी की गई थी, लेकिन उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इस मुद्दे पर अकाल तख्त का ध्यान केंद्रित किया जाना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह भारतीय मूल की लड़कियों की सुरक्षा और भविष्य से जुड़ा हुआ है।

कनाडा सरकार का नजरअंदाज

कनाडा सरकार इस गंभीर समस्या को नजरअंदाज कर रही है, जबकि यह एक अंतरराष्ट्रीय संकट बन चुका है। जस्टिन ट्रूडो के समय में खालिस्तानी आतंकवादियों की हत्या पर तो खूब बवाल मचा, लेकिन इन लड़कियों के यौन शोषण के मामले को कोई खास महत्व नहीं दिया गया। शायद यह मुद्दा वोट बैंक की राजनीति से जुड़ा नहीं है, इसलिए सरकार को इन पीड़ितों की कोई परवाह नहीं है।

कनाडा के नए प्रधानमंत्री की सत्ता में एंट्री

इस बीच, 14 मार्च, 2025 को कैनेडी के नए प्रधानमंत्री के रूप में मार्क कार्नी ने शपथ ली, जो 24वें प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाल रहे हैं। यह देखना होगा कि अब जब सरकार में बदलाव हो चुका है, तो क्या इस मामले में स्थिति में कोई सुधार होगा या फिर यह समस्या जस की तस बनी रहेगी। नई सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

और पढ़ें: Global Economic Crisis: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से शुरू हुआ वैश्विक आर्थिक संकट! 1929 की महामंदी की आहट

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here