Iran Break relation with IAEA: इजरायल और ईरान के बीच 12 दिनों तक चले संघर्ष के बाद, रूस ने ईरान से आग्रह किया है कि वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ अपना सहयोग जारी रखे। यह बयान उस समय आया है जब ईरान की संसद ने अमेरिका और इज़रायल द्वारा उसके परमाणु ठिकानों पर हमलों के बाद, IAEA से सहयोग निलंबित करने वाला एक विधेयक पारित किया। रूस का यह बयान इस रणनीतिक साझेदारी के संकेत के रूप में आया है, जिसमें रूस ने ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के समर्थन का इज़हार किया है।
रूस का बयान और ईरान की प्रतिक्रिया- Iran Break relation with IAEA
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने 26 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हम चाहते हैं कि ईरान IAEA के साथ सहयोग बनाए रखे।” उनका यह बयान ईरान के सर्वोच्च नेता के बयान के संदर्भ में था, जिसमें उन्होंने कई बार कहा है कि ईरान का परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं है। लावरोव ने यह भी स्पष्ट किया कि ईरानी संसद का फैसला केवल सलाहकार था, क्योंकि उसके पास कार्यकारी अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि सभी देश इस रुख का सम्मान करें, क्योंकि ईरान ने हमेशा कहा है कि उसका उद्देश्य परमाणु हथियार बनाना नहीं है।”
ईरान की संसद और IAEA से सहयोग निलंबित करने का विधेयक
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की संसद ने 25 जून, 2025 को एक विधेयक पारित किया, जिसके तहत ईरान IAEA के साथ अपने सहयोग को निलंबित करने का निर्णय ले सकता है। यह विधेयक इज़रायल और अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर की गई बमबारी के बाद आया, जिसका उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना था। ईरान के नेता और अधिकारियों ने इस कदम का विरोध किया है, और कहा है कि वे शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम जारी रखने के अधिकार का पालन करेंगे।
ईरान ने इस बात से भी इनकार किया है कि वह परमाणु हथियार बनाने की योजना बना रहा है। इसके बावजूद, पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने के कारण और IAEA से सहयोग खत्म करने की धमकी ने हालात को और जटिल बना दिया है। रूस ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उठ रहे सवालों के बीच अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि ईरान को अपने शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम का अधिकार है।
रूस और ईरान की रणनीतिक साझेदारी
रूस और ईरान के बीच एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी है। रूस ने हमेशा ईरान के परमाणु कार्यक्रम का समर्थन किया है, खासकर उस समय जब पश्चिमी देशों ने इसे संदेह की दृष्टि से देखा है। रूस का कहना है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है और इसका उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन है, न कि परमाणु हथियारों का निर्माण। रूस ने इज़रायल और अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर किए गए हमलों की कड़ी निंदा की है, और कहा है कि ऐसे हमले केवल क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा सकते हैं।
रूस का सामरिक दृष्टिकोण
लावरोव ने यह भी कहा कि ईरान के सर्वोच्च नेता का बयान महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि ईरान का परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं है। लावरोव ने कहा, “हम चाहते हैं कि हर कोई ईरान के सर्वोच्च नेता का सम्मान करें, जिन्होंने इस मुद्दे पर कई बार स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य कभी भी परमाणु हथियार बनाना नहीं रहा है।” रूस का यह बयान अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ईरान के परमाणु कार्यक्रम के प्रति एक स्पष्ट दृष्टिकोण देने का प्रयास है, ताकि ईरान और अन्य देशों के बीच सहयोग बनाए रखा जा सके।
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