Israel Iran War Nuclear Deal: इजरायल ने 9 जून को ईरान के कई सैन्य ठिकानों पर जोरदार हवाई हमले किए, जिनमें मिसाइलों और ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। इजरायल का कहना है कि यह हमला उसकी अस्तित्व की रक्षा के लिए किया गया था, क्योंकि ईरान उसके खिलाफ परमाणु हथियार बनाने की दिशा में सक्रिय है। इजरायल ने दावा किया है कि इस बात के ठोस सबूत सात साल पहले मिले थे, जब मोसाद ने एक गुप्त ऑपरेशन के दौरान ईरान से परमाणु दस्तावेज़ चुराए थे। यह ऑपरेशन न केवल इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की महारत को साबित करता है, बल्कि ईरान के परमाणु हथियारों के कार्यक्रम को उजागर करने में भी अहम था।
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मोसाद का गुप्त ऑपरेशन: ईरान के सैन्य गोदाम में सेंधमारी- Israel Iran War Nuclear Deal
जनवरी 2018 में, मोसाद के एजेंटों ने तेहरान के बाहरी इलाके में स्थित एक गोदाम में घुसकर ईरान के परमाणु दस्तावेज़ों को चुराया। इस ऑपरेशन की शुरुआत रात के अंधेरे में हुई थी, और मोसाद के एजेंटों के कमांडर दूर से उनकी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थे। गोदाम में 32 विशाल तिजोरियां रखी गई थीं, जिनमें से हर एक की ऊंचाई 2.7 मीटर थी और ये तिजोरियां लोहे के भारी कंटेनरों पर रखी गई थीं। इन तिजोरियों में ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी छिपाकर रखी गई थी।
मोसाद के एजेंटों के साहसिक कदम
मोसाद के एजेंटों को बड़ी सावधानी से काम करना था, क्योंकि तिजोरियां दोहरी लोहे की दरवाजों से बंद थीं और इनमें अलार्म सिस्टम और कैमरे भी लगे हुए थे। वर्षों से ईरान में सक्रिय मोसाद एजेंटों ने इन सुरक्षा उपायों को निष्क्रिय करना और तिजोरियों को तोड़ना सीख लिया था। एजेंटों का लक्ष्य केवल 10 तिजोरियों को तोड़कर तीन महत्वपूर्ण फोल्डरों को निकालना था। इन फोल्डरों में परमाणु कार्यक्रम से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ थे, जिनमें अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ ईरान का पत्राचार, परमाणु स्थलों के निर्माण और उपकरणों के अधिग्रहण का विवरण और परमाणु बम के डिजाइन और उत्पादन के दस्तावेज़ शामिल थे।
चोरी गए दस्तावेज़ों का महत्व
मोसाद ने 114 फोल्डरों में 55,000 पन्नों से अधिक सामग्री चुराई। इनमें 8,500 हस्तलिखित दस्तावेज़ थे, जिनमें ईरान के उच्च सरकारी अधिकारियों और परमाणु कर्मियों द्वारा लिखी गई जानकारी शामिल थी। इन दस्तावेज़ों ने यह सिद्ध कर दिया कि ईरान पिछले दो दशकों से एक गुप्त परमाणु हथियार कार्यक्रम चला रहा था, जिसका उद्देश्य 10 किलोटन क्षमता वाले पांच परमाणु बम बनाना था। यह जानकारी इजरायल और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चौंकाने वाली थी, क्योंकि ईरान ने हमेशा अपने परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण बताकर नकारा किया था।
दस्तावेज़ों की खोजबीन और इजरायल की रणनीति
जब यह दस्तावेज़ इजरायल पहुंचे, तो दर्जनों अनुवादकों, विशेषज्ञों और विश्लेषकों की एक टीम ने इन दस्तावेज़ों को खंगाला। इस प्रक्रिया में कुछ हफ्ते लगे और इजरायल की सैन्य खुफिया यूनिट 8200 ने फारसी भाषी विश्लेषकों की मदद से इन दस्तावेज़ों का विश्लेषण किया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि मोसाद द्वारा चुराए गए दस्तावेज़ ईरान के परमाणु कार्यक्रम का गहरा पर्दाफाश करते थे।
ईरान की प्रतिक्रिया और खुफिया जानकारी का महत्व
जब ईरान को इस सेंधमारी का पता चला, तो उसने 12,000 सुरक्षाकर्मियों को यह पता लगाने के लिए भेजा कि यह चोरी किसने की। हालांकि, ईरान केवल इस चोरी के पीछे के दोषियों का अनुमान ही लगा सका। 30 अप्रैल, 2018 को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस ऑपरेशन का खुलासा करते हुए बताया कि मोसाद ने ईरान के परमाणु दस्तावेज़ चुराए थे। यह खुलासा वैश्विक सुरक्षा और परमाणु निगरानी के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कदम था, क्योंकि इसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में कई अनसुलझे सवालों को स्पष्ट किया।
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