Israel vs Iran War: ईरान और इजरायल के बीच जारी संघर्ष के बीच, रविवार शाम को अमेरिका के दो दर्जन से अधिक एरियल रिफ्यूलिंग टैंकरों की गतिविधि ने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया। फ्लाइट-ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर पर इन टैंकरों की मौजूदगी देखने को मिली, जिसमें केसी-135आर और केसी-46ए जैसे प्रमुख टैंकर शामिल थे। इन टैंकरों का मुख्य काम लड़ाकू विमानों को हवा में ईंधन भरना है, जिससे उन्हें लंबी दूरी तक ऑपरेट करने की क्षमता मिलती है। ये टैंकर अटलांटिक के ऊपर पूर्व की ओर बढ़ते दिखे, और यह स्पष्ट नहीं था कि वे लड़ाकू विमानों के साथ थे या नहीं, क्योंकि मिशन के दौरान लड़ाकू विमान अपने ट्रांसपोंडर बंद कर लेते हैं, जिससे उन्हें सामान्य फ्लाइट ट्रैकिंग सॉफ़्टवेयर से देखा नहीं जा सकता।
अमेरिकी टैंकरों की सामूहिक उड़ान- Israel vs Iran War
सामूहिक रूप से 28 एरियल रिफ्यूलिंग टैंकरों की उड़ान असामान्य मानी जा रही है, खासकर मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच। सोशल मीडिया पर इस पर बड़ी चर्चा हो रही है, और लोग यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर अमेरिका ने इतने बड़े पैमाने पर टैंकरों को क्यों तैनात किया। एक संभावना यह जताई जा रही है कि अमेरिका इज़रायल और ईरान के बीच संभावित संघर्ष के लिए तैयार हो सकता है, लेकिन इसका ठीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।
26 now.
Note the swing due east at the edge of the Atlantic.
Wouldn’t likely do that if you were going to Finland. https://t.co/OFvwhIdi92 pic.twitter.com/r1jCf9t7Lr
— Evergreen Intel (@vcdgf555) June 16, 2025
कुछ लोगों का मानना है कि यह बड़ी संख्या में रिफ्यूलर विमानों का तैनात होना एक बहुराष्ट्रीय युद्धाभ्यास के तहत हो सकता है, जो नॉर्वे में होने वाला है। हालांकि, युद्धाभ्यास के लिए इतनी बड़ी संख्या में रिफ्यूलर विमानों की आवश्यकता नहीं होती है। इस बीच, कुछ विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि अमेरिका इज़रायल के ऑपरेशन “राइजिंग लायन” के लिए समर्थन बदलने जा रहा है, जिसके लिए इन टैंकरों की तैनाती की आवश्यकता हो सकती है।
इज़रायल को हवाई सहायता देने की संभावना
इज़रायल के पास मजबूत हवाई ईंधन भरने की क्षमता नहीं है, और उसके पास केवल कुछ पुराने 707 टैंकर (लगभग सात सक्रिय) ही हैं। इस सीमित संख्या में टैंकरों के साथ, इज़रायल अपनी हवाई शक्ति को पर्याप्त समर्थन देने में असमर्थ है, खासकर जब लंबी दूरी के हमले किए जाते हैं। ईरान में गहरे हमलों के लिए भी यह एक बड़ी सीमा बन जाती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका का समर्थन इज़रायल के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि उसे लड़ाकू विमानों को लंबे समय तक उड़ाने के लिए अतिरिक्त ईंधन की आवश्यकता होगी।
क्या अमेरिका ईरान के खिलाफ युद्ध में शामिल हो सकता है?
इन एरियल रिफ्यूलिंग टैंकरों की तैनाती से यह सवाल उठता है कि क्या अमेरिका ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में सीधे तौर पर शामिल हो सकता है। यदि अमेरिका और इज़रायल मिलकर ईरान के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन शुरू करते हैं, तो इन टैंकरों की जरूरत होगी, ताकि हवाई ऑपरेशंस को प्रभावी और लंबी अवधि तक चलाया जा सके। अमेरिकी नीति में इस तरह का बदलाव पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र में गहरे प्रभाव डाल सकता है, खासकर ईरान के अमेरिकी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की संभावना के संदर्भ में।
इसके अलावा, अगर ईरान ने अमेरिकी हितों को लक्षित करना शुरू किया, तो अमेरिका के लिए संघर्ष में सीधे तौर पर शामिल होना एक स्वाभाविक कदम हो सकता है। ऐसी परिस्थितियों में, पहले से तैयार किए गए टैंकरों की तैनाती अमेरिका को त्वरित प्रतिक्रिया देने की क्षमता प्रदान करेगी, जिससे उसे संघर्ष में जल्दी हस्तक्षेप करने का मौका मिलेगा।