Jake Sullivan on Trump: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। सुलिवन का दावा है कि ट्रंप ने अपने परिवार के व्यापारिक फायदे के लिए भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के साथ अमेरिका के मजबूत और रणनीतिक रिश्तों को नजरअंदाज किया। इस बयान के बाद अमेरिका की विदेश नीति, खासकर एशिया को लेकर, एक बार फिर कटघरे में खड़ी हो गई है।
एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में सुलिवन ने कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्तों को दशकों की मेहनत से खड़ा किया गया है, जिसमें दोनों देशों की सरकारों ने मिलकर काम किया। लेकिन उनके मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ने इस रणनीतिक रिश्ते को पाकिस्तान के साथ निजी व्यापारिक समझौतों के लिए दांव पर लगा दिया।
ट्रंप और पाकिस्तान के बीच क्या डील हुई? Jake Sullivan on Trump
सुलिवन के मुताबिक, अप्रैल 2024 में ट्रंप समर्थित एक क्रिप्टो प्लेटफॉर्म वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) ने पाकिस्तान की क्रिप्टो काउंसिल (PCC) के साथ समझौते किए। इस डील का मकसद पाकिस्तान में क्रिप्टो इंडस्ट्री को बढ़ावा देना और निवेश लाना था। बड़ी बात यह है कि इस कंपनी में ट्रंप और उनके सहयोगियों की 60% हिस्सेदारी है, यानी इसमें उनका सीधा लाभ है।
“Donald Trump has thrown the relationship with India away. Germany or Japan will look at India and say that could be us tomorrow. America’s friends will think that they can’t rely on us in any way,” says former U.S. NSA Jake Sullivan pic.twitter.com/rZ9tJ0tgZH
— Shashank Mattoo (@MattooShashank) September 1, 2025
इस डील में ट्रंप के बेहद करीबी माने जाने वाले स्टीव विटकॉफ के बेटे जैकरी विटकॉफ अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। इसके बाद जून में पाकिस्तान सेना ने दावा किया कि ट्रंप और फील्ड मार्शल असीम मुनीर की व्हाइट हाउस में मुलाकात हुई, जिसमें आर्थिक विकास, क्रिप्टो और व्यापार जैसे मुद्दों पर बात हुई। पाकिस्तान की ओर से यह भी कहा गया कि ट्रंप ने “दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी” की इच्छा जताई।
भारत को लेकर ट्रंप का आक्रामक रुख
जहां एक तरफ पाकिस्तान के साथ व्यापारिक रिश्ते बढ़ाए जा रहे थे, वहीं जुलाई 2025 में ट्रंप ने भारत के सामानों पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी। इसके अलावा, उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रुथ सोशल” पर लिखा कि अमेरिका, पाकिस्तान के तेल भंडारों को विकसित करने में मदद करेगा। यह बात भारत के लिए स्पष्ट संकेत थी कि ट्रंप प्रशासन की प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं।
अमेरिका की साख पर असर
सुलिवन ने इस पूरे घटनाक्रम को अमेरिका के लिए “रणनीतिक घाटा” बताया है। उनके मुताबिक, भारत ही नहीं, जर्मनी, जापान और कनाडा जैसे अमेरिका के पुराने सहयोगी भी इस तरह की राजनीति से आशंकित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि “अमेरिका की ताकत उसके वादों और उसकी विश्वसनीयता में है। अगर दोस्त देशों को ये भरोसा न रहे कि अमेरिका अपने रिश्तों को निभाएगा, तो वे पीछे हट सकते हैं।”
क्या होगा असर?
भारत और अमेरिका के रिश्ते सिर्फ दो देशों के बीच का सहयोग नहीं हैं, बल्कि यह एशिया में चीन जैसे बढ़ते खतरों से निपटने के लिए एक मजबूत रणनीतिक गठबंधन भी है। ऐसे में अगर राजनीतिक कारणों से यह गठबंधन कमजोर होता है, तो इसका असर पूरे वैश्विक संतुलन पर पड़ सकता है।
जेक सुलिवन के इन आरोपों ने अमेरिकी राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। क्या वाकई ट्रंप ने निजी फायदे के लिए भारत जैसे अहम साझेदार के साथ रिश्ते बिगाड़े? या फिर यह चुनावी राजनीति का हिस्सा है? जवाब तो समय देगा, लेकिन फिलहाल, भारत-अमेरिका रिश्तों को लेकर दुनिया जरूर कुछ चिंतित नजर आ रही है।