Japan Railgun Speed: जापान ने हाल ही में एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसने भविष्य की जंग की तस्वीर ही बदल दी है। जापान की नेवी ने पहली बार अपने युद्धपोत से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन का सफल टेस्ट किया है। यह ट्रायल समुद्र में मौजूद एक असली टारगेट शिप पर किया गया और बिल्कुल सटीक तरीके से अंजाम दिया गया। इस टेस्ट के साथ ही जापान ने साफ कर दिया है कि अब परंपरागत तोपों और बारूद के दिन लदने वाले हैं।
जापान के रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाली Acquisition, Technology & Logistics Agency (ATLA) ने इस कामयाबी की जानकारी साझा की। एजेंसी ने बताया कि यह टेस्ट जून से जुलाई 2025 के बीच नौसेना के ट्रायल शिप JS Asuka से किया गया। ATLA ने रेलगन टेस्ट की चार तस्वीरें भी जारी कीं और कहा, “यह पहली बार है जब किसी वारशिप से रेलगन का परीक्षण किया गया और वह भी सीधे एक वास्तविक जहाज पर।”
क्या होती है रेलगन? Japan Railgun Speed
अब आप सोच रहे होंगे कि ये रेलगन आखिर है क्या चीज? दरअसल, यह एक ऐसा हथियार है जो परंपरागत गोला-बारूद की बजाय बिजली की ताकत से प्रोजेक्टाइल को लॉन्च करता है। इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स का इस्तेमाल होता है, जिससे प्रोजेक्टाइल को इतनी ज्यादा स्पीड मिलती है कि वो भारी-भरकम तोप से दागे गए गोले से कहीं ज्यादा ताकतवर साबित होता है।
#ATLA has accomplished ship-board firing test of railgun first time in the world with the cooperation of the JMSDF. To protect vessels against air-threats and surface-threats by high-speed bullets, ATLA strongly promotes early deployment of railgun technology. pic.twitter.com/MG5NqqENcG
— Acquisition Technology & Logistics Agency (@atla_kouhou_en) October 17, 2023
जापान की ये रेलगन करीब Mach 6.5 की स्पीड यानी लगभग 8,000 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से फायर कर सकती है। खास बात यह रही कि 120 बार लगातार फायर करने के बाद भी इसके बैरल की परफॉर्मेंस में कोई गिरावट दर्ज नहीं हुई।
अमेरिका और चीन भी पीछे नहीं
रेलगन टेक्नोलॉजी को लेकर चीन और अमेरिका भी लंबे वक्त से काम कर रहे हैं। चीन के भी कुछ सफल ट्रायल की खबरें सामने आई हैं, लेकिन अब तक वो इसे अपने बेड़े में शामिल नहीं कर पाया है।
दूसरी ओर अमेरिका ने इस पर अरबों डॉलर झोंक दिए, लेकिन 2021 में इसे तकनीकी दिक्कतों और खर्चीले बजट की वजह से बंद करना पड़ा। अब जापान इस रेस में सबसे आगे निकल गया है और इसे जल्दी ही अपने डिफेंस सिस्टम में तैनात करने की दिशा में बढ़ रहा है।
क्यों गेम चेंजर है ये हथियार?
जापान के डिफेंस एक्सपर्ट मसाशी मुरानो ने जापान टाइम्स से बातचीत में बताया कि हाई-स्पीड एंटी-शिप मिसाइलों को रोकना आज के समय में बेहद मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में रेलगन एक बड़ा समाधान बनकर उभरा है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह मिसाइलों की तुलना में सस्ती है और दुश्मन के हथियारों को हाई-स्पीड में टारगेट कर सकती है।
इसके अलावा, रेलगन से एयरबर्स्ट म्युनिशन भी फायर किए जा सकते हैं जो हवा में ही फटकर चारों ओर खतरनाक टुकड़े फैला देते हैं। यह तकनीक खासतौर पर ड्रोन और मिसाइल जैसी हवाई चुनौतियों से निपटने में बेहद प्रभावशाली साबित हो सकती है।
केवल नेवी तक सीमित नहीं रहेगा यह हथियार
जापान की योजना है कि रेलगन को केवल नौसेना तक ही सीमित न रखा जाए, बल्कि इसे जमीनी प्लेटफॉर्म पर भी तैनात किया जाए। इससे न सिर्फ दुश्मन के आर्टिलरी यूनिट्स को दूर से निशाना बनाया जा सकेगा, बल्कि तटीय इलाकों की सुरक्षा भी मजबूत होगी।
ATLA इस समय रेलगन की उड़ान स्थिरता, फायर कंट्रोल सिस्टम और इसकी निरंतर फायरिंग क्षमता को बेहतर बनाने पर फोकस कर रही है। हालांकि, इसकी अधिकतम रेंज और रैपिड फायर की डिटेल्स अभी सार्वजनिक नहीं की गई हैं।
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