KP Sharma Oli News: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। नौ सितंबर को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को आखिरकार इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन हालात संभलने के बजाय और बिगड़ते नजर आ रहे हैं। भ्रष्टाचार, सोशल मीडिया बैन और नेपोटिज्म के खिलाफ शुरू हुआ Gen-Z आंदोलन अब पूरे देश को अपनी चपेट में ले चुका है। प्रदर्शनकारी सिर्फ नारों तक सीमित नहीं रहे उन्होंने संसद भवन, पीएम हाउस, और कई मंत्रियों के आवासों को आग के हवाले कर दिया है। भीड़ इतनी उग्र हो चुकी है कि कई मंत्रियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। सबसे बड़ा सवाल ये है कि अब ओली कहां हैं?
ओली की दुबई भागने की कोशिश नाकाम- KP Sharma Oli News
ओली का भक्तपुर स्थित बालकोट आवास प्रदर्शनकारियों का निशाना बना। उनके घर में आग लगा दी गई। हालांकि, तब तक वो अपने परिवार सहित वहां से निकल चुके थे। खबर है कि ओली फिलहाल काठमांडू के किसी सेफ हाउस में छिपे हुए हैं।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ओली दुबई भागने की फिराक में थे। लेकिन त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट बंद होने के कारण उनकी योजना विफल हो गई। अब बताया जा रहा है कि हिमालयन एयरलाइंस का एक प्राइवेट जेट स्टैंडबाय पर है और वे कभी भी देश छोड़ सकते हैं।
सोशल मीडिया बैन बना आग में घी
आपको बता दें, पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब 4 सितंबर को सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया। यह फैसला ‘नेपो किड्स’ ट्रेंड और वायरल आलोचनात्मक पोस्ट्स के बाद लिया गया था।
8 सितंबर को प्रदर्शन शुरू हुए, और 9 सितंबर को ओली को इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन जनआक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा। अब तक 22 लोगों की मौत और 500 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं।
संसद से लेकर मंदिर तक — हर जगह बवाल
काठमांडू में हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। संसद भवन पर कब्जे की कोशिश, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के घर में आगजनी और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के निजी आवास पर कब्जा, ये सब कुछ पिछले 48 घंटों में हुआ है।
इतना ही नहीं, देश के सबसे पवित्र धार्मिक स्थल पशुपतिनाथ मंदिर को भी दर्शनार्थियों के लिए बंद कर दिया गया है। सुरक्षा की जिम्मेदारी नेपाल सेना को सौंपी गई है। काठमांडू, पोखरा और बुटवल जैसे शहरों में कर्फ्यू लागू है और सेना सड़कों पर तैनात है।
क्या ये सिर्फ आंदोलन है या कुछ और?
Gen-Z का ये गुस्सा अब सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं रह गया है यह नेपाल की राजनीतिक व्यवस्था के खिलाफ एक सीधी चुनौती बन चुका है। लोग सिर्फ ओली के जाने से संतुष्ट नहीं हैं; वे सिस्टम को बदलना चाहते हैं।
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