Modi Jinping Meet: PM मोदी और शी जिनपिंग की वार्ता के बाद भारत का क्या हुआ फयदा? MEA ने दी पूरी जानकारी

Modi Jinping Meet
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Modi Jinping Meet: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 25वें शिखर सम्मेलन से पहले भारत और चीन के बीच एक अहम मुलाकात देखने को मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आमने-सामने बैठकर द्विपक्षीय रिश्तों पर खुलकर चर्चा की। विदेश मंत्रालय ने इस मुलाकात को “सकारात्मक और स्पष्ट संवाद” बताया है।

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि दोनों नेताओं ने कई अहम मुद्दों पर बात की, जिनमें सीमा विवाद, व्यापार असंतुलन, आतंकवाद और वैश्विक मंचों पर सहयोग जैसे विषय प्रमुख थे।

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सीमा पर शांति, संबंधों की कुंजी- Modi Jinping Meet

पीएम मोदी ने बातचीत की शुरुआत सीमा विवाद से की। उन्होंने साफ कहा कि भारत-चीन रिश्तों का समग्र विकास तभी मुमकिन है, जब सीमाओं पर शांति और स्थिरता बनी रहे। उनका कहना था कि सीमा पर हालात, सीधे-सीधे द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करते हैं।

गौरतलब है कि यह यात्रा जून 2020 की गलवान झड़प के बाद मोदी का पहला चीन दौरा है। तब से दोनों देशों के बीच तनाव रहा है। हालांकि, पिछली कुछ बैठकों में दोनों पक्षों ने सीमा पर तनाव कम करने के लिए कदम उठाए हैं।

मोदी और शी ने बीते साल हुए डिसएंगेजमेंट की सराहना की और मौजूदा स्थिति को बेहतर बताते हुए इसे आगे भी कायम रखने पर सहमति जताई।

प्रतिद्वंद्वी नहीं, साझेदार हैं: मोदी

बातचीत में दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन को एक-दूसरे का प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि साझेदार होना चाहिए। दोनों देशों की आबादी मिलाकर 2.8 अरब है, और उनके बीच दोस्ती एशिया ही नहीं, दुनिया के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है।

शी जिनपिंग ने रिश्तों को मजबूत करने के लिए चार सुझाव भी दिए:

  1. रणनीतिक संवाद और विश्वास बढ़ाना,
  2. आपसी सहयोग और एक्सचेंज को मजबूत करना,
  3. परस्पर फायदे की सोच के साथ आगे बढ़ना,
  4. एक-दूसरे की चिंताओं का सम्मान करना।

आतंकवाद पर भी रखी दो टूक बात

मोदी ने बातचीत के दौरान सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि भारत और चीन, दोनों ने ही आतंकवाद का दंश झेला है, इसलिए इस मसले पर साझा प्रयास ज़रूरी हैं। चीन ने इस मुद्दे पर सहयोग का भरोसा दिया।

व्यापार घाटा और फ्लाइट्स पर भी बात

भारत और चीन के बीच लंबे समय से व्यापार घाटा एक बड़ा मुद्दा रहा है। इस बैठक में इस पर भी चर्चा हुई और इसे कम करने के लिए पारदर्शी और संतुलित नीतियों पर सहमति बनी। इसके साथ ही दोनों देश डायरेक्ट फ्लाइट्स दोबारा शुरू करने पर भी राजी हो गए हैं, जिस पर तकनीकी स्तर पर बातचीत पहले से चल रही थी।

BRICS और वैश्विक मंचों पर सहयोग

प्रधानमंत्री मोदी ने जिनपिंग को 2026 में भारत में होने वाले BRICS सम्मेलन का न्योता भी दिया, जिसे चीनी राष्ट्रपति ने स्वीकार किया। मोदी ने वैश्विक संगठनों जैसे WTO और UN में सुधार की जरूरत पर भी बात की। उनका कहना था कि भारत और चीन जैसे देशों के लिए यह साझा हित का विषय है।

ताइवान पर भारत का स्पष्ट रुख

मुलाकात में भारत ने ताइवान को लेकर भी अपनी स्थिति साफ की और कहा कि भारत “वन चाइना पॉलिसी” का समर्थन करता है। चीन के लिए यह मुद्दा बेहद संवेदनशील है और भारत की यह स्थिति संतुलन का संकेत देती है।

रिश्तों में कहां अटके हैं पेंच?

हालांकि, रिश्तों में कई मोर्चों पर अब भी अविश्वास बना हुआ है।

  • LAC अब तक स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं हुई है।
  • चीन ब्रह्मपुत्र पर डैम बना रहा है, जिससे भारत चिंतित है।
  • पाकिस्तान के साथ चीन की नज़दीकियां और भारत की क्वाड में मौजूदगी भी दोनों देशों के बीच टकराव की वजह रही है।
  • 2020 के बाद भारत ने कई चीनी कंपनियों और एप्स पर बैन लगाया, जिससे कारोबारी रिश्ते प्रभावित हुए हैं।

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