Nepal Protest: 8 सितंबर, 2025 की सुबह नेपाल के लिए आम दिनों जैसी नहीं थी। जैसे ही सूरज चढ़ा, देश के कई शहरों की सड़कों पर युवाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। हाथों में पोस्टर, चेहरे पर गुस्सा और दिलों में बदलाव की चाह लिए लाखों छात्र-छात्राएं राजधानी काठमांडू समेत पोखरा, बिराटनगर, भैरहवा जैसे शहरों की सड़कों पर उतर आए। ये सब तब शुरू हुआ जब सरकार ने जब 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पूरी तरह से बैन किया जिसमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म शामिल थे। इस घटना के बाद युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा। पहले से ही भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और सरकारी उदासीनता को लेकर नाराज़ जेनरेशन-Z के लिए ये बैन आखिरी सीमा थी। वहीं, एक नाम जो इस पूरे आंदोलन का चेहरा बन गया, वह था सुदान गुरुंग।
आंदोलन का चेहरा बना ‘हामी नेपाल’ और सुदन गुरुंग- Nepal Protest
इस विशाल विरोध प्रदर्शन को एकजुट करने वाला संगठन था हामी नेपाल। इस संगठन की कमान संभाल रहे हैं 36 वर्षीय सुदन गुरुंग, जो अब इस आंदोलन का चेहरा बन चुके हैं। सुदन ने वक्त रहते युवा वर्ग के गुस्से को पहचाना, उसे दिशा दी और सोशल मीडिया बैन को पूरे देशव्यापी असंतोष का प्रतीक बना दिया।
गुरुंग ने सिर्फ इंस्टाग्राम पर भावुक पोस्ट लिखकर ही युवाओं को नहीं बुलाया, बल्कि डिस्कॉर्ड और वीपीएन नेटवर्क के ज़रिए हजारों छात्रों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई।
एक पार्टी ऑर्गनाइज़र से आंदोलनकारी तक का सफर
बहुत कम लोग जानते हैं कि एक्टिविस्ट बनने से पहले सुदन गुरुंग इवेंट मैनेजमेंट में काम करते थे। पार्टियों और शोज़ के बीच घूमती उनकी ज़िंदगी का रुख 2015 में आए नेपाल भूकंप ने बदल दिया। इस हादसे के बाद उन्होंने ‘हामी नेपाल’ की नींव रखी। ये एक ऐसा गैर-लाभकारी संगठन जो आपदा राहत, सामाजिक सेवा और मानवीय सहायता के काम में लगा है।
2020 में इसे आधिकारिक रूप से रजिस्टर किया गया। संगठन को अंतरराष्ट्रीय फंडिंग भी मिलती है और ये अब तक नेपाल में कई भूकंप, बाढ़ और भूस्खलन पीड़ितों की मदद कर चुका है।
“अब पर्याप्त हो गया है!” – गुरुंग का जन संदेश
आंदोलन से ठीक पहले 27 अगस्त को गुरुंग ने लिखा था,
“अगर हम खुद को बदलें, तो देश खुद-ब-खुद बदल जाएगा।”
और 8 सितंबर को उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा,
“ये सिर्फ एक दिन नहीं है, ये वो दिन है जब हम कहेंगे – अब पर्याप्त हो गया।”
सुदन गुरंग की इंस्टापोस्ट
इसके अलावा, सुदन गुरुंग ने भावपूर्ण और जोशीला आह्वान करते हुए अपने इंस्टा पोस्ट पर लिखा, “हम अपनी आवाज उठाएंगे, मुट्ठियां भीचेंगे, हम एकता की ताकत दिखाएंगे, उनको अपनी शक्ति दिखाएंगे जो नहीं झुकने का दंभ भरते हैं।”
उन्होंने “नेपो बेबीज़” और राजनीतिक अभिजात्य वर्ग पर खुलकर निशाना साधा और भ्रष्टाचार को देश की सबसे बड़ी बीमारी करार दिया।
हिंसा, हताहत और इस्तीफे
आंदोलन का मोड़ उस वक्त गंभीर हो गया, जब प्रदर्शनकारी संसद भवन तक पहुंच गए और तोड़फोड़ शुरू हो गई। पुलिस ने आंसू गैस, रबर बुलेट और अंततः गोलीबारी का सहारा लिया। खबरों की मानें तो, इस हिंसा में 20 लोगों की जान गई और 300 से अधिक घायल हुए।
हालात काबू में लाने के लिए सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया है और सोशल मीडिया बैन वापस ले लिया गया है। साथ ही एक जांच समिति भी गठित की गई है।
हालांकि, गृह मंत्री रमेश लेखक ने इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया है।