Nobel Peace Prize: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी बड़बोली छवि के लिए जाने जाते हैं, लेकिन अब जो खबर सामने आई है, वो उनकी ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ पाने की ललक को नए स्तर पर दिखाती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप ने हाल ही में नॉर्वे के वित्त मंत्री जेंस स्टोलटेनबर्ग को फोन करके टैरिफ पर बात शुरू की, लेकिन बातचीत के दौरान बात अचानक नोबेल शांति पुरस्कार की ओर मुड़ गई।
गौर करने वाली बात ये है कि नॉर्वे की नोबेल कमेटी ही दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा करती है। ऐसे में ट्रंप का इस तरह सीधे तौर पर एक नॉर्वेजियन मंत्री से इस पुरस्कार को लेकर बात करना काफी असामान्य माना जा रहा है।
यह फोन कॉल तब सुर्खियों में आया जब नॉर्वे के एक प्रमुख अखबार डागेंस नेरिंगस्लिव ने इस बातचीत का खुलासा किया। इसके बाद पॉलिटिको जैसी अमेरिकी मैगजीन ने भी ओस्लो में अधिकारियों से इसकी पुष्टि की। ट्रंप पहले भी नोबेल पुरस्कार को लेकर सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी और अपेक्षा जाहिर करते रहे हैं।
“मैंने दुनिया को युद्ध से बचाया, फिर भी नोबेल नहीं मिलेगा!”- Nobel Peace Prize
ट्रंप ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर खुलकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने लिखा कि उन्हें भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने, सर्बिया-कोसोवो विवाद में मध्यस्थता, मिस्र-इथियोपिया टकराव को थामने और अब्राहम समझौते जैसी पहल के बावजूद नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा, क्योंकि ये पुरस्कार सिर्फ ‘लिबरल्स’ को दिया जाता है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर उनकी पहलें सफल होती हैं तो पश्चिम एशिया दशकों में पहली बार एकजुट हो जाएगा। इसके बावजूद उन्हें लगता है कि उन्हें नॉर्वे की कमेटी यह पुरस्कार कभी नहीं देगी।
अब तक कई देशों ने किया समर्थन
ट्रंप के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग केवल उन्हीं तक सीमित नहीं है। इज़राइल, पाकिस्तान, कंबोडिया, अजरबैजान और आर्मेनिया जैसे देशों की सरकारें भी ट्रंप को यह पुरस्कार देने की मांग कर चुकी हैं। खुद ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच ‘शांति कायम’ करने का दावा भी कर चुके हैं, जो भारत सरकार के रुख से अलग है।
नोबेल पुरस्कार की प्रक्रिया क्या है?
आपको बता दें, नोबेल शांति पुरस्कार हर साल अक्टूबर में घोषित किया जाता है। इसके लिए केवल कुछ ही लोग नामांकन भेज सकते हैं – जैसे किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष, सांसद, अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के अधिकारी, नोबेल विजेता और कुछ खास शैक्षणिक संस्थान के प्रोफेसर।
नामांकन प्रक्रिया सितंबर में शुरू होगी, हालांकि अंतिम तारीख का अभी ऐलान नहीं हुआ है।
अगर ट्रंप इस पुरस्कार को जीतते हैं, तो वे अमेरिका के पांचवें राष्ट्रपति होंगे जिन्हें यह सम्मान मिलेगा। इससे पहले थियोडोर रूजवेल्ट, वुडरो विल्सन, जिमी कार्टर और बराक ओबामा को यह पुरस्कार मिल चुका है।
हालांकि ट्रंप खुद को भले ही नोबेल का हकदार मानते हों, लेकिन नोबेल कमेटी की प्रक्रिया और मानदंड राजनीति से काफी ऊपर माने जाते हैं।