North Waziristan Attack: 28 जून को पाकिस्तान के अशांत उत्तर वजीरिस्तान इलाके में हुए आत्मघाती कार बम धमाके ने एक बार फिर क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद को लेकर बहस छेड़ दी है। इस हमले में 14 पाकिस्तानी सैनिकों की जान चली गई और करीब 25 लोग घायल हुए। हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन हाफिज गुल बहादुर गुट ने ली है, जो लंबे समय से पाकिस्तानी तालिबान (TTP) से जुड़ा रहा है। हालांकि, इसके बावजूद पाकिस्तान की सेना ने इस गंभीर हमले का दोष भारत पर मढ़ दिया — वो भी बिना किसी साक्ष्य के।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया, “आरोप बेबुनियाद और निंदनीय” (North Waziristan Attack)
भारत सरकार ने इन आरोपों को स्पष्ट शब्दों में खारिज कर दिया है। रविवार को विदेश मंत्रालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि पाकिस्तान के ऐसे आरोप आधारहीन, भ्रामक और गैर-जिम्मेदाराना हैं। बयान में यह भी कहा गया कि पाकिस्तान को दूसरों पर उंगली उठाने से पहले अपने देश के भीतर सक्रिय आतंकी संगठनों पर लगाम लगानी चाहिए।
Statement regarding Pakistan
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— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) June 28, 2025
मंत्रालय ने कहा, “हम इन आरोपों को तिरस्कार और घृणा के साथ खारिज करते हैं। अच्छा होगा कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर पनपते आतंकी नेटवर्क को खत्म करने पर ध्यान दे, बजाय इसके कि वह बार-बार भारत को निशाना बनाकर अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़े।”
हमले में इस्तेमाल हुआ भारी विस्फोटक, कर्फ्यू में हुआ हमला
सूत्रों के मुताबिक, आत्मघाती हमला एक ऐसे समय हुआ जब उत्तर वजीरिस्तान में सैन्य गतिविधियों के चलते कर्फ्यू लागू था। हमलावरों ने 800 किलोग्राम विस्फोटक से लदी कार का इस्तेमाल किया, जो इलाके में सुरक्षा बलों पर बड़ा हमला करने की मंशा से किया गया प्रतीत होता है। यह हमला हालिया महीनों में सबसे भीषण आतंकी घटनाओं में गिना जा रहा है।
घटना के तुरंत बाद राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए गए। खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने इस घटना की निंदा करते हुए शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।
जिम्मेदारी ली ‘उसुद अल-हरब’ नामक उपगुट ने
हाफिज गुल बहादुर गुट के एक उपगुट ‘उसुद अल-हरब’ ने इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली है। यह गुट लंबे समय से पाकिस्तान के सुरक्षाबलों पर हमले करता रहा है और देश में पहले भी कई बार ऐसे हमले कर चुका है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह हमला एक बार फिर पाकिस्तान के उन इलाकों में पनप रहे आतंकवादी गुटों की मौजूदगी पर गंभीर सवाल खड़े करता है। पाकिस्तान पर पहले भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह आरोप लगता रहा है कि वह उत्तर वजीरिस्तान जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में चरमपंथियों को पनाह देता रहा है।
2022 के बाद बढ़ी आतंकी घटनाएं
यह ध्यान देने योग्य है कि नवंबर 2022 में पाकिस्तान सरकार और TTP के बीच संघर्ष विराम टूटने के बाद खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में आतंकी हमलों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। भारत की ओर से यह बार-बार कहा गया है कि पाकिस्तान को अपनी आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है, न कि हर आतंकी घटना के लिए भारत को निशाना बनाने की।