Pak Army Chief Asim Munir: पाकिस्तान एक बार फिर से बड़े राजनीतिक मोड़ पर खड़ा है। वहां की सियासत अब पूरी तरह सेना के हाथों में जाने वाली है। ऐसा लग रहा है कि अब पाकिस्तान में “सरकार” का मतलब ही “फौज” होगा। शहबाज शरीफ सरकार संविधान में ऐसा संशोधन करने जा रही है, जिससे पाकिस्तान का लोकतांत्रिक ढांचा पूरी तरह बदल सकता है। इस बदलाव के बाद देश के असली फैसले प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति नहीं, बल्कि सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर लेंगे।
जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान की सरकार संविधान में 27वां संशोधन करने जा रही है। CNN-News18 की रिपोर्ट के अनुसार, यह बिल 7 नवंबर को सीनेट में पेश किया जाएगा और माना जा रहा है कि अगले कुछ हफ्तों में इसे पास भी कर दिया जाएगा। इस संशोधन का मकसद पाकिस्तान में एक स्थायी ‘सिक्योरिटी स्टेट फ्रेमवर्क’ तैयार करना है, जिससे अगले 10-15 सालों तक सेना के पास नीति निर्धारण, रणनीतिक निवेश और संसाधनों पर पूरा नियंत्रण रहेगा।
क्या-क्या बदलेगा इस संशोधन से- Pak Army Chief Asim Munir
इस बिल के बाद पाकिस्तान में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। सबसे पहले, एक नया संवैधानिक पद ‘फील्ड मार्शल ऑफ पाकिस्तान’ बनाया जाएगा। इस पद पर नियुक्त व्यक्ति का कार्यकाल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तरह 5 साल का होगा।
इस फील्ड मार्शल के पास तीनों सेनाओं के चीफ और आईएसआई प्रमुख की नियुक्ति करने की ताकत होगी। यानी अब यह तय करेगा कि फौज किसके आदेश पर चलेगी और कौन-कौन उसके अहम पदों पर बैठेगा।
इस पद को संवैधानिक सुरक्षा भी दी जाएगी। इसका मतलब है कि चाहे सरकार बदले या गिर जाए, फील्ड मार्शल के अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वह देश की सुरक्षा से जुड़े फैसले अपनी मर्ज़ी से ले सकेगा।
इसके अलावा आर्मी एक्ट 1952 में भी बदलाव प्रस्तावित है। इस बदलाव के तहत पाकिस्तान के कमांड स्ट्रक्चर को बदला जाएगा। ‘चेयरमैन जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी’ का पद हटाने और ‘वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ’ नाम से नया पद बनाने की तैयारी है।
विपक्ष का विरोध, लेकिन सरकार को समर्थन का भरोसा
विपक्षी दलों ने इस कदम को पाकिस्तान के लोकतंत्र पर हमला बताया है। उनका कहना है कि इससे देश एक बार फिर “सैन्य राज” के दौर में चला जाएगा। वहीं, PPP नेता बिलावल भुट्टो ने कहा कि उनकी पार्टी इस संशोधन पर अंतिम फैसला वर्किंग कमिटी की बैठक में लेगी। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक सत्तारूढ़ गठबंधन के पास बिल को पास कराने के लिए पर्याप्त समर्थन मौजूद है।
कुछ कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस बिल में न्यायपालिका से जुड़े प्रावधान जैसे कि न्यायाधीशों का ट्रांसफर और संवैधानिक अदालत की शक्तियां घटाना न्यायिक स्वतंत्रता के लिए खतरा बन सकते हैं।
असीम मुनीर के लिए क्या मायने रखता है ये बदलाव
अगर यह संशोधन पास हो जाता है, तो जनरल असीम मुनीर पाकिस्तान के सबसे ताकतवर व्यक्ति बन जाएंगे। वे न केवल सेना बल्कि देश की सुरक्षा, संसाधन और रणनीतिक योजनाओं पर भी अंतिम फैसला लेंगे। किसी भी सरकार के आने या जाने से उनके अधिकारों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। सरल शब्दों में कहें तो वे “सुपर पीएम” की भूमिका में होंगे।
लोकतंत्र या फौजी राज?
पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार “फील्ड मार्शल” का पद संवैधानिक रूप से स्थायी बनने जा रहा है। दशकों से पाकिस्तान की सत्ता में सेना और सिविलियन सरकार के बीच रस्साकशी चलती रही है, लेकिन अब यह संशोधन सेना को संवैधानिक रूप से “सुप्रीम अथॉरिटी” बना देगा।
