Pak Missile Test Fail: भारत और पाकिस्तान के बीच राइवलरी हमेशा ही चर्चा का विषय रही है, खासकर जब बात आर्म्स रेस या मिसाइलों की हो। पाकिस्तान, जो हमेशा भारत से नकल करने की कोशिश करता रहा है, बैलेस्टिक मिसाइलों के मामले में अब तक सफल नहीं हो पाया है। हाल ही में पाकिस्तान ने अपनी मीडियम रेंज की बैलेस्टिक मिसाइल ‘अबाबील’ का परीक्षण किया, लेकिन यह परीक्षण भी नाकाम साबित हुआ। यह घटना एक बार फिर पाकिस्तान की मिसाइल विकास योजनाओं को लेकर सवाल उठाती है।
अबाबील मिसाइल का महत्व और पाकिस्तान का सपना– Pak Missile Test Fail
अबाबील एक तीन चरणों वाली ठोस ईंधन से चलने वाली मिसाइल है, जिसका रेंज लगभग 2,000 किलोमीटर बताया जाता है। इसमें MIRV तकनीक (Multiple Independent Re-entry Vehicle) का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह एक साथ कई दुश्मन ठिकानों को तबाह करने में सक्षम होती है। पाकिस्तान ने इस मिसाइल को अपने जंगी बेड़े में शामिल करने का सपना देखा है, ताकि वह भारत के खिलाफ अपनी ताकत को बढ़ा सके। हालांकि, इसका परीक्षण लगातार असफल हो रहा है। इससे पहले अक्टूबर 2023 में भी अबाबील का परीक्षण फेल हो चुका था।
भारत की मिसाइलों के मुकाबले पाकिस्तान की कमजोरी
भारत की मिसाइलों की शक्ति पाकिस्तान के लिए चुनौती बनती जा रही है। भारत की अग्नि-5 मिसाइल, जो 5,000 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है, पाकिस्तान के लिए एक बड़ा खतरा है। मार्च 2024 में इस मिसाइल का परीक्षण सफल रहा था। इसके अलावा, भारत ने अपनी आईसीबीएम मिसाइलों का भी विकास किया है, जो पाकिस्तान की सीमा से कहीं आगे तक मार कर सकती हैं। पाकिस्तान, हालांकि, अब तक ऐसी कोई इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल (ICBM) नहीं बना सका है।
चीन की चुनौती से निपटने के लिए भारत की मिसाइल रणनीति
भारत ने अपनी मिसाइल क्षमता को बढ़ाने के लिए चीन की चुनौती को ध्यान में रखते हुए आईसीबीएम और अन्य लंबी दूरी की मिसाइलों का विकास किया है। 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अमेरिका को चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के बारे में बताया था। पाकिस्तान ने अपनी हथियार प्रणाली की जरूरतों को देखते हुए शॉर्ट और मीडियम रेंज की मिसाइलों का विकास किया है, लेकिन आईसीबीएम के मामले में वह भारत से काफी पीछे है।
पाकिस्तान के मिसाइल विकास में क्या समस्याएं हैं?
पाकिस्तान के मिसाइल परीक्षणों में लगातार असफलता के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। डिफेंस एक्सपर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के पास जरूरी इंजीनियरिंग और टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है। इसके अलावा, पाकिस्तान अपनी मिसाइल विकास योजनाओं में मुख्य रूप से चीन पर निर्भर है, जो अपनी तकनीक को पाकिस्तान के साथ साझा करता है, लेकिन पाकिस्तान की अपनी तकनीकी क्षमता कमजोर है। वहीं, भारत के पास अपना मजबूत रक्षा ढांचा है, जिसमें डीआरडीओ और अन्य सरकारी रक्षा कंपनियां शामिल हैं, जो भारत की मिसाइलों को विश्वस्तरीय बनाती हैं।
भारत और पाकिस्तान की परमाणु ताकत का अंतर
ग्लोबल फायरपावर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास लगभग 172 परमाणु हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार हैं। इसके अलावा, आईसीबीएम के मामले में भारत के पास अग्नि-5 जैसी मिसाइलें हैं, जो 5,000 किलोमीटर से अधिक दूर तक मार कर सकती हैं। पाकिस्तान के पास ऐसी कोई मिसाइल अभी नहीं है।