Pakistan Economic Census Mosques: पाकिस्तानी सेना के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने भारत को चमचमाती फरारी कार की तरह बताया था, जबकि अपने देश को बजरी से भरे डंपर के रूप में। उनका कहना था कि अगर दोनों भिड़ेंगे तो नुकसान फरारी का ही होगा। इस बयान पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 22 अगस्त 2025 को पाकिस्तान की जमकर खिल्ली उड़ाई। इसी बीच एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसने साबित कर दिया कि पाकिस्तान को बजरी से भरे डंपर की उपमा क्यों दी गई है।
पहली आर्थिक जनगणना रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा- Pakistan Economic Census Mosques
पाकिस्तान के योजना मंत्री अहसान इकबाल ने 21 अगस्त 2025 को देश की पहली आर्थिक जनगणना रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान में कुल कारखानों की संख्या केवल 23,000 है, जबकि मस्जिदों की संख्या 6.04 लाख और मदरसों की संख्या 36,331 से ज्यादा है। ये आंकड़े पाकिस्तान की आर्थिक और सामाजिक तस्वीर को साफ दिखाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, देश की अर्थव्यवस्था ज्यादातर छोटे कारोबारों पर टिकी है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था: छोटे उद्योगों का दबदबा
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में कुल 6.43 लाख छोटी उत्पादन इकाइयां हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ 7,086 इकाइयां ऐसी हैं, जहां 250 से ज्यादा लोग काम करते हैं। इस बात से पता चलता है कि पाकिस्तान का औद्योगिक आधार कमजोर और छोटे स्तर का है। शिक्षा के क्षेत्र में 2.42 लाख स्कूल, 11,568 कॉलेज और 214 विश्वविद्यालय हैं। इसके साथ ही 6.04 लाख मस्जिदें और 36,331 मदरसे सक्रिय हैं।
रोजगार और कार्यबल की स्थिति
पाकिस्तान में करीब 4 करोड़ स्थायी प्रतिष्ठान हैं, लेकिन इनमें से केवल 72 लाख ही रोजगार उपलब्ध कराते हैं। कुल मिलाकर 2.54 करोड़ लोग इन प्रतिष्ठानों में काम कर रहे हैं। इनमें से 45 प्रतिशत यानी लगभग 1.13 करोड़ लोग सेवा क्षेत्र से जुड़े हैं, 30 प्रतिशत सामाजिक क्षेत्र में काम करते हैं और 22 प्रतिशत उत्पादन क्षेत्र से जुड़े हैं। एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक, ‘सेवा क्षेत्र में रोजगार उत्पादन क्षेत्र से दोगुना है और यह धारणा गलत है कि उद्योग सबसे बड़ा रोजगारदाता है।’
प्रांतवार आंकड़े और व्यवसायों का स्वरूप
पंजाब प्रांत में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठान हैं, लगभग 58 प्रतिशत, जबकि सिंध में 20 प्रतिशत और बलूचिस्तान में केवल 6 प्रतिशत प्रतिष्ठान हैं। रिपोर्ट के अनुसार, देश में 27 लाख खुदरा दुकानें, 1.88 लाख थोक दुकानें, 2.56 लाख होटल और करीब 1.19 लाख अस्पताल हैं। ज्यादातर ये संरचनाएं पंजाब में स्थित हैं।
धार्मिक संस्थानों की भारी संख्या और आर्थिक चुनौतियां
रिपोर्ट में यह भी साफ हुआ कि पाकिस्तान ने आर्थिक विकास के मुकाबले धार्मिक गतिविधियों पर अधिक जोर दिया है। देश में मस्जिदों की संख्या 6 लाख से ज्यादा है, जबकि औद्योगिक इकाइयां महज 23 हजार हैं। कई एक्सपर्ट इसे पाकिस्तान की खराब आर्थिक हालत से जोड़ते हैं।
पंजाब और कराची में आर्थिक गतिविधियों का केंद्र
पंजाब में 1.36 करोड़ लोग रोजगार करते हैं, जो उत्पादन और सेवा दोनों क्षेत्रों में अग्रणी है। सिंध में 5.7 करोड़, खैबर पख्तूनख्वा में 40 लाख और बलूचिस्तान में मात्र 14 लाख कर्मचारी काम करते हैं। अधिकांश व्यवसाय छोटे पैमाने के हैं, जहां कर्मचारियों की संख्या भी कम है।
छोटे और बड़े रोजगारदाता
रिपोर्ट में बताया गया है कि 7.1 करोड़ छोटे आर्थिक ढांचे हैं जो 1 से 50 लोगों को रोजगार देते हैं। 51 से 250 कर्मचारियों वाली कंपनियां मात्र 35,351 हैं, और सिर्फ 7,086 इकाइयां ऐसी हैं जो 250 से ज्यादा लोगों को रोजगार देती हैं। इसके अलावा, देश में 27 लाख खुदरा दुकानें, 1.88 लाख थोक दुकानें, 2.56 लाख होटल और 1.19 लाख अस्पताल हैं।
शिक्षा और स्वास्थ्य संस्थान
पाकिस्तान में कुल 2.42 लाख स्कूल, 11,568 कॉलेज और 214 विश्वविद्यालय हैं। 36,331 मदरसे और 1.19 लाख अस्पताल भी यहां मौजूद हैं। इनमें से ज्यादातर सरकारी स्कूल हैं, जबकि अस्पतालों का बड़ा हिस्सा निजी क्षेत्र का है।
पाकिस्तान की इस रिपोर्ट से साफ होता है कि देश की आर्थिक कमजोरियां कितनी गहरी हैं। धार्मिक संस्थानों की भारी संख्या और औद्योगिक इकाइयों की कम संख्या ही पाकिस्तान को ‘बजरी से भरे डंपर’ की उपमा देती है।