Pakistan Faces Food Shortage: पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद को पनाह देने वाले देश के रूप में जाना जाता है। भारत ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पड़ोसी देश के आतंकी अड्डों को तबाह कर बड़े ठोस कदम उठाए हैं। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया और दोनों देशों के बीच व्यापार भी पूरी तरह ठप हो गया। इन परिस्थितियों ने पहले से ही आर्थिक और सामाजिक संकट झेल रहे पाकिस्तान की हालत और अधिक खराब कर दी है।
खाद्य सुरक्षा और बढ़ती गरीबी का संकट- Pakistan Faces Food Shortage
पाकिस्तानी मीडिया संस्थान ‘डॉन’ की रिपोर्ट के अनुसार, देश में खाद्य सुरक्षा का संकट गहराता जा रहा है। दिसंबर 2024 तक खाद्य मुद्रास्फीति 0.3 प्रतिशत तक कम जरूर हो गई है, लेकिन गरीबी और बेरोजगारी लोगों के लिए भोजन उपलब्ध कराने में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। देश में 2022 की विनाशकारी बाढ़ और 2023-24 में अनियमित मौसमी बदलावों ने ग्रामीण इलाकों की आजीविका को बुरी तरह प्रभावित किया है, खासकर बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में।
इन इलाकों में जलस्तर लगातार घट रहा है, जिससे कृषि उत्पादन कम हो रहा है और किसान भारी कर्ज के जाल में फंसे जा रहे हैं। इससे भूखमरी जैसे हालात उत्पन्न हो रहे हैं और लोगों की जीवनशैली पर गहरा असर पड़ रहा है।
कुपोषण से जूझता पाकिस्तान
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान में लगभग 11 मिलियन लोग ‘IPC फेस 3’ की गंभीर स्थिति में हैं, जिसका अर्थ है कि वे खाद्य संकट और कुपोषण जैसी आपातकालीन स्थिति से गुजर रहे हैं। खासकर सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में कुपोषण लगातार बढ़ रहा है, जहां कम वजन वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है और डायरिया तथा फेफड़ों के संक्रमण आम हो गए हैं।
‘IPC फेस 3’ का मतलब है कि तत्काल प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है ताकि लोगों की आजीविका बचाई जा सके, खाद्य संकट दूर हो और कुपोषण पर नियंत्रण पाया जा सके। हालांकि, मानवीय सहायता और वैश्विक निवेश में कमी के कारण इन चुनौतियों से निपटना मुश्किल होता जा रहा है।
वैश्विक सहायता में कमी
पाकिस्तान को मानवीय आधार पर मिलने वाली आर्थिक मदद में गिरावट आई है, जिससे खाद्य सहायता कार्यक्रम कमजोर हो गए हैं। वैश्विक संस्थाएं अब कम संसाधन दे रही हैं, जिससे कुपोषण, खाद्य सुरक्षा और सामाजिक सहायता की योजनाएं प्रभावहीन हो रही हैं। इस वजह से देश में भूखमरी और गरीबी के हालात और गंभीर होते जा रहे हैं।
आतंकियों पर खर्च बढ़ा, आम जनता की परेशानी बढ़ी
‘डॉन’ की रिपोर्ट में यह भी उजागर किया गया है कि पाकिस्तान की सरकार आतंकवादियों को आर्थिक मदद देने में ज्यादा खर्च कर रही है, जबकि आम नागरिकों के लिए संसाधनों की कमी है। शहबाज सरकार ने हाल ही में आतंकवादी मसूद अजहर को 14 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया, जिससे यह बात और भी स्पष्ट हो गई है कि पाकिस्तान सरकार की प्राथमिकता आम जनता नहीं, बल्कि आतंकियों की मदद करना है।
ऐसे में जब तक पाकिस्तान की सरकार आतंकवाद को पनाह देती रहेगी और आतंकियों को आर्थिक मदद देगी, तब तक वहां के आम नागरिकों की समस्याओं का समाधान पाना बेहद मुश्किल होगा।
समाधान के लिए क्या चाहिए?
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को तत्काल नीतिगत बदलाव करने होंगे। केंद्र और प्रांतीय सरकारों को अपने सोशल सिक्योरिटी नेटवर्क को मजबूत करना होगा। साथ ही माताओं और बच्चों के लिए पोषण सहायता कार्यक्रमों को प्रभावी बनाना होगा। कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाकर किसानों की मदद करनी होगी ताकि उनकी आजीविका सुरक्षित हो सके।
बिना निर्णायक कार्रवाई के, पाकिस्तान फिर से भूख और गरीबी के चक्र में फंस सकता है। आतंकवाद पर खर्च कम करके आम लोगों की भलाई और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है।