Pakistan News: पाकिस्तान की राजनीति में कोई भी पल स्थिर नहीं रहता। यहां प्रधानमंत्री जेल जाते हैं और कभी-कभी जेलर ही ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभा जाते हैं। रावलपिंडी की मशहूर अडियाला जेल का सुपरिंटेंडेंट अब्दुल गफूर अंजुम इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण हैं। वर्दी पहनने वाले इस अफसर का रसूख पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बराबर माना जाता है। अंजुम की कहानी बताती है कि वहां कानून और संविधान कितने कमजोर हैं। जेलर की मनमानी, हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना और राजनीतिक हस्तियों से मिलने की रोक उसके असली ताकतवर व्यक्तित्व को उजागर करती है।
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हाईकोर्ट के आदेश को ठेंगा (Pakistan News)
अब्दुल गफूर अंजुम किसी आम जेलर की तरह नहीं हैं। वे पंजाब प्रेसिडेंट सर्विस के अफसर हैं, लेकिन उनके तेवर किसी तानाशाह से कम नहीं। हाल ही में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि इमरान खान के परिवार को हफ्ते में कम से कम दो बार उनसे मिलने की अनुमति दी जाए। हालांकि, जब परिवार और वकील अडियाला जेल पहुंचे, तो अंजुम ने आदेश की अवहेलना करते हुए कहा कि यह संभव नहीं है। हाईकोर्ट के लिखित आदेश को नजरअंदाज करना उनके साहस और मनमानी की सीमा को दिखाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जेल अंजुम की अपनी अदालत है, बाहरी दुनिया के आदेशों की कोई अहमियत नहीं।
मुख्यमंत्री को भी लौटा दिया
अडियाला जेल में अंजुम की मनमानी सिर्फ इमरान खान तक सीमित नहीं है। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री सुहेल आफरीदी, जो कि सिटिंग मुख्यमंत्री हैं, इमरान खान से मिलने जेल पहुंचे। अंजुम ने उन्हें आठ बार दरवाजे पर लौटा दिया। प्रोटोकॉल के हिसाब से मुख्यमंत्री का दर्जा बहुत बड़ा होता है, लेकिन अंजुम के सामने इसकी कोई अहमियत नहीं। यह घटना साफ बताती है कि पाकिस्तान में असली ताकत चुनी हुई सरकारों के पास नहीं, बल्कि ऐसे अफसरों के हाथ में है, जो वर्दी और अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं।
‘कालकोठरी’ में तब्दील इमरान खान की सेल
4 नवंबर के बाद से अडियाला जेल में इमरान खान की सेल को अलग-थलग रखा गया है। इस अवधि में न उनके परिवार के सदस्य, न पार्टी के करीबी नेता और न ही वकील उनसे मिल पाए हैं। किसी कैदी से उसके कानूनी अधिकारों को छीनना सीधे तौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन है, लेकिन अंजुम को इस पर कोई परवाह नहीं। ऐसा प्रतीत होता है कि उनका उद्देश्य सिर्फ इमरान खान को मानसिक रूप से तोड़ना है।
कानून और लोकतंत्र पर सवाल
अडियाला जेल के जेलर अब्दुल गफूर अंजुम की कहानी सिर्फ एक अफसर की मनमानी नहीं है। यह पाकिस्तान में कानून, न्यायपालिका और लोकतंत्र की कमजोर स्थिति को उजागर करती है। जब एक जेलर हाईकोर्ट के आदेश को नज़रअंदाज कर सकता है, तो वहां न्याय की उम्मीद करना लगभग असंभव है।
इमरान खान ‘कैदी नंबर 804’ बनकर इस सिस्टम की चक्की में पीस रहे हैं, और अंजुम उस चक्की को चलाने वाले क्रूर पहरेदार बन चुके हैं। वर्दी और अधिकारों के दम पर अंजुम ने साबित कर दिया है कि पाकिस्तान में असली ताकत किसके पास है।










