Putin vs Europe Countries: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सैन्य क्षमताओं और यूक्रेन युद्ध के बाद उनकी रणनीति ने यूरोप में चिंता का माहौल बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन के बाद रूस बाल्टिक देशों या पोलैंड की ओर सैन्य कदम बढ़ा सकता है। सवाल यह है कि क्या रूस के पास इतने हथियार और संसाधन हैं कि वह अकेले पूरे यूरोप या नाटो गठबंधन से लड़ सके? चलिय रूस की सैन्य ताकत, उसकी कमजोरियां और यूरोप की तैयारी पर विस्तार से जानते है।
रूस की सैन्य ताकत- Putin vs Europe Countries
रूस विश्व की सबसे बड़ी सैन्य शक्तियों में शुमार है, खासकर परमाणु हथियारों के मामले में। रूस के पास लगभग 5,580 परमाणु हथियार हैं, जो अमेरिका के बाद सबसे अधिक हैं। ये हथियार अमेरिका के हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों की तुलना में चार गुना ज्यादा विनाशकारी हैं।
रूस की सेना में लगभग 15 मिलियन सक्रिय सैनिक शामिल हैं, जो चीन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। उसके पास 12,500 टैंक, 30,000 बख्तरबंद वाहन और 6,500 तोपखाने मौजूद हैं। बेलारूस में भी रूस ने सामरिक परमाणु हथियार तैनात किए हैं और दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास होते रहते हैं।
सैन्य बजट की बात करें तो रूस अपने जीडीपी का 6.2 प्रतिशत हिस्सा रक्षा पर खर्च करता है, जो नाटो के कई देशों से अधिक है।
रूस की कमजोरियां और यूक्रेन युद्ध का प्रभाव
यूक्रेन युद्ध ने रूस की सैन्य शक्ति पर भारी असर डाला है। इस युद्ध में रूस ने अनुमानित 3 लाख से अधिक सैनिक खोए हैं, साथ ही हजारों टैंक और अन्य उपकरण भी नष्ट हुए हैं। रूस की कई सैन्य प्रणालियां अभी भी पुराने सोवियत मॉडल पर आधारित हैं, जो आधुनिक नाटो हथियारों से कमजोर साबित हो रहे हैं।
आर्थिक रूप से भी रूस दबाव में है। 2023 में उसका बजट घाटा 1.8 ट्रिलियन रूबल पहुंच गया। तेल की कीमतों में गिरावट के कारण उसकी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है।
नाटो की सैन्य शक्ति और संसाधन
नाटो में 31 सदस्य देश हैं, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और पोलैंड जैसे शक्तिशाली देश शामिल हैं। नाटो का सैन्य बजट 2024 में लगभग 1.3 ट्रिलियन डॉलर है, जो रूस के सैन्य खर्च से कई गुना अधिक है।
नाटो के पास 3.5 मिलियन से अधिक सक्रिय सैनिक हैं, जिनमें अमेरिका के 1.3 मिलियन, तुर्की के 4.81 लाख और पोलैंड के 2.16 लाख सैनिक शामिल हैं। इनके पास 5,000 से अधिक आधुनिक तोपखाने और 1,668 पांचवीं पीढ़ी के बख्तरबंद वाहन मौजूद हैं। नाटो के देशों के पास 6,000 से अधिक परमाणु हथियार भी हैं।
रूस अकेले यूरोप से लड़ सकता है?
संख्या, आर्थिक ताकत और तकनीकी दृष्टि से रूस अकेले पूरे यूरोप या नाटो से मुकाबला करने में सक्षम नहीं है। नाटो की सेना रूस से दोगुनी से अधिक है, जबकि नाटो देशों का संयुक्त जीडीपी 70 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है, रूस का मात्र 2 ट्रिलियन डॉलर।
नाटो का अनुच्छेद 5 सामूहिक सुरक्षा की गारंटी देता है, जो किसी एक सदस्य देश पर हमला पूरे संगठन पर हमला माना जाता है। रूस के लिए एक साथ 31 देशों से लड़ना बेहद मुश्किल होगा।
यूक्रेन युद्ध के बाद रूस को अपनी सेना पुनर्गठित करने में करीब पांच साल का समय लगेगा। फिर भी, रूस हाइब्रिड युद्ध और परमाणु हथियारों का सहारा लेकर नाटो को कमजोर करने की कोशिश कर सकता है।
अगला मोर्चा: बाल्टिक देश या पोलैंड?
विशेषज्ञों के अनुसार, रूस का अगला निशाना बाल्टिक देशों (एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया) या पोलैंड हो सकता है। बाल्टिक देश रूस और बेलारूस से लगे हैं और सोवियत संघ के पूर्व भाग थे। पुतिन इन्हें रूस के प्रभाव क्षेत्र के अंतर्गत मानते हैं।
बाल्टिक देशों ने अपनी रक्षा क्षमता बढ़ाई है और सुरक्षा के लिए बंकर, टैंक रोधी खाइयां आदि तैयार की हैं। रूस इन देशों को हाइब्रिड युद्ध के जरिए अस्थिर करने की कोशिश कर सकता है।
पोलैंड रूस का पुराना प्रतिद्वंदी है और यूक्रेन का समर्थक भी। पोलैंड अपनी सेना को 5 लाख तक बढ़ा रहा है और हर नागरिक को सैन्य प्रशिक्षण दे रहा है। उसने फ्रांस के साथ परमाणु सुरक्षा समझौता भी किया है। सुवालकी गैप, जो पोलैंड और लिथुआनिया के बीच 60 मील लंबा क्षेत्र है, रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है, और इसे कब्जाने से बाल्टिक देशों का नाटो से संपर्क कट सकता है।
यूरोप की तैयारियां
पोलैंड 2026 तक 1 लाख रिजर्व सैनिक तैयार करने की योजना बना रहा है। बाल्टिक देश रक्षा खर्च बढ़ा रहे हैं और नाटो के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास कर रहे हैं। नाटो ने बाल्टिक और पोलैंड में आठ बैटलग्रुप तैनात किए हैं, जबकि अमेरिका पोलैंड में स्थायी बख्तरबंद ब्रिगेड की तैनाती की योजना बना रहा है।