Rabi Lamichhane: नेपाल की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद देश में सत्ता को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस अस्थिर माहौल के बीच सबसे बड़ी और चौंकाने वाली खबर ये रही कि सहकारी घोटाले के आरोप में जेल में बंद राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) के अध्यक्ष और पूर्व उपप्रधानमंत्री रबी लामिछाने को प्रदर्शनकारियों के दबाव में जेल से रिहा कर दिया गया।
जेल से रिहाई और जन समर्थन- Rabi Lamichhane
लामिछाने को लंबे समय से नक्कू जेल में बंद रखा गया था। लेकिन इसके बावजूद उनका जनाधार कमजोर नहीं पड़ा। खासकर युवाओं और सोशल मीडिया पर उनका जबरदस्त असर बना रहा। उन्हें आज भी भ्रष्टाचार के खिलाफ निडर आवाज और एक ईमानदार नेता के रूप में देखा जाता है। रिहाई के वक्त उनके समर्थकों की भारी भीड़ जेल के बाहर जुटी, जिसने साफ कर दिया कि रबी लामिछाने अब भी जनता के बीच एक मजबूत चेहरा बने हुए हैं।
टीवी होस्ट से राजनीति तक का सफर
रबी लामिछाने का राजनीतिक सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा है। एक समय वे नेपाल के सबसे लोकप्रिय टीवी शो “सीधा कुरा जनता संग” को होस्ट करते थे, जहां वे बिना किसी डर के राजनीतिक भ्रष्टाचार, सामाजिक अन्याय और सरकारी लापरवाहियों को उजागर करते थे। लोगों ने उन्हें एक ऐसा शख्स माना जो सच बोलता है और बदलाव लाना चाहता है।
इसी जन समर्थन के दम पर उन्होंने 2022 में राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी बनाई और पहली बार चुनाव लड़ते हुए 275 में से 20 सीटें जीत लीं। ये किसी भी नई पार्टी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। इसके बाद वे सत्ता में शामिल हुए और उपप्रधानमंत्री व गृह मंत्री जैसे अहम पदों पर भी पहुंचे।
नागरिकता विवाद और सुप्रीम कोर्ट का झटका
राजनीतिक करियर की ऊंचाई पर पहुंचते ही रबी लामिछाने को बड़ा झटका तब लगा जब उनकी नागरिकता को लेकर विवाद खड़ा हुआ। आरोप लगे कि उन्होंने 2014 में अमेरिकी नागरिकता ले ली थी, जिससे उनकी नेपाली नागरिकता स्वतः समाप्त हो गई थी। हालांकि उनका दावा था कि उन्होंने 2018 में अमेरिकी नागरिकता छोड़ दी थी, लेकिन इस दौरान वे दोबारा नेपाली नागरिकता नहीं ले सके थे।
जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सांसद पद से अयोग्य घोषित कर दिया। लेकिन लामिछाने ने हार नहीं मानी। उन्होंने कानूनी प्रक्रिया पूरी कर फिर से नागरिकता ली और RSP की कमान वापस संभाली।
सहकारी घोटाले में गिरफ्तारी
2024 में रबी लामिछाने एक और विवाद में घिर गए। बतौर गोरखा मीडिया नेटवर्क के मैनेजिंग डायरेक्टर, उनका नाम सूर्यदर्शन कोऑपरेटिव घोटाले से जुड़ा और इसी मामले में उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। हालांकि समर्थकों का मानना है कि यह गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित थी और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले नेता को दबाने की कोशिश की गई।
ओली के इस्तीफे के बाद बढ़ा दबाव
जब हाल ही में केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया, तब नेपाल में एक बार फिर सत्ता को लेकर घमासान छिड़ गया। इस दौरान लामिछाने की रिहाई की मांग ने जोर पकड़ लिया। जनता सड़कों पर उतरी और सरकार पर दबाव बनने लगा। अंततः भारी पुलिस सुरक्षा के बीच रबी लामिछाने को रिहा कर दिया गया, जिसके बाद उनके समर्थकों ने जेल के बाहर जबरदस्त स्वागत किया।
क्या अब लामिछाने बदलेंगे नेपाल की सियासत?
अब सवाल ये उठता है कि क्या रबी लामिछाने एक बार फिर नेपाल की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा पाएंगे? मौजूदा माहौल में पुरानी पार्टियों की पकड़ कमजोर पड़ रही है और युवा नेताओं का उभार साफ दिखाई दे रहा है। लामिछाने इस बदलाव के सबसे प्रमुख चेहरे बन चुके हैं।
हालांकि, उनकी राह आसान नहीं है। अभी भी उनपर कई कानूनी मामले लंबित हैं और विपक्ष उन्हें कमजोर करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। लेकिन जनता की उम्मीदें उनसे जुड़ी हैं, खासकर उस वर्ग की जो पारदर्शी और जवाबदेह राजनीति चाहता है।
फिलहाल, रबी लामिछाने की रिहाई ने नेपाल की राजनीति को नया मोड़ दे दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इस मौके को कैसे भुनाते हैं और क्या वाकई में वे वो बदलाव ला पाएंगे जिसकी उम्मीद उनसे लाखों लोग लगाए बैठे हैं।