Russia Oreshnik Missile: रूस ने 5 जून 2025 की रात को यूक्रेन पर एक खतरनाक हमला किया, जिसमें उसने अपनी उन्नत हाइपरसोनिक इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) “ओरेश्निक” का इस्तेमाल किया। यह मिसाइल अपनी गति और क्षमता के कारण चर्चा का विषय बन गई है, खासकर तब जब इसे भारत-रूस की ब्रह्मोस मिसाइल की कॉपी बताया जा रहा है। हालांकि, तकनीकी और डिजाइन में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं जो इन दोनों मिसाइलों को अलग करते हैं।
ओरेश्निक मिसाइल क्या है? (Russia Oreshnik Missile)
ओरेश्निक, जिसे “हेज़ल ट्री” भी कहा जाता है, एक हाइपरसोनिक इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे रूस ने खासतौर पर यूक्रेन के खिलाफ प्रयोग किया। यह मिसाइल 2024 के नवंबर में पहली बार ड्निप्रो शहर में एक रक्षा फैक्ट्री पर दागी गई थी। रूस का दावा है कि यह मिसाइल पश्चिमी एयर डिफेंस सिस्टम को भेदने की क्षमता रखती है और यह मैक 11 (12,300 किमी/घंटा) की गति से उड़ती है, जो इसे ध्वनि की गति से 11 गुना तेज बनाता है।
ओरेश्निक की तकनीक को रूस के मॉस्को इंस्टीट्यूट फॉर थर्मल टेक्नोलॉजी (MITT) और सोज़वेज़दी द्वारा विकसित किया गया है। इसे RS-26 रुबेझ मिसाइल का संशोधित रूप माना जा रहा है, जिसमें बुलावा मिसाइल के कुछ हिस्से शामिल हैं। यह मिसाइल परमाणु और गैर-परमाणु दोनों तरह के वारहेड्स ले जाने में सक्षम है। ड्निप्रो हमले में गैर-परमाणु वारहेड का इस्तेमाल किया गया था।
क्या ओरेश्निक ब्रह्मोस की नकल है?
कुछ विशेषज्ञ ओरेश्निक को भारत-रूस की ब्रह्मोस मिसाइल की नकल मानते हैं, लेकिन दोनों में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं। ब्रह्मोस एक क्रूज मिसाइल है, जो कम ऊंचाई पर उड़ती है और रास्ते में दिशा बदल सकती है, जबकि ओरेश्निक एक बैलिस्टिक मिसाइल है, जो हाई-आर्क ट्रैजेक्टरी पर उड़ती है और इसमें MIRVs (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicles) होते हैं, जो एक साथ कई स्थानों पर हमला करने की क्षमता रखते हैं।
प्रमुख अंतर:
- गति और रेंज: ब्रह्मोस की गति मैक 3-4 (3.4 किमी/सेकंड) है, जबकि ओरेश्निक की गति मैक 11 (12,300 किमी/घंटा) है, जो इसे ब्रह्मोस से कहीं ज्यादा तेज बनाती है। ओरेश्निक की रेंज 5,000-5,500 किमी है, जबकि ब्रह्मोस की रेंज केवल 600-800 किमी है।
- वारहेड: ब्रह्मोस में एकल वारहेड (200-300 किलोग्राम) होता है, जबकि ओरेश्निक में 6 MIRVs होते हैं, जो परमाणु या गैर-परमाणु पेलोड ले जा सकते हैं।
- लॉन्च प्लेटफॉर्म: ब्रह्मोस को जमीन, समुद्र, हवा और पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकता है, जबकि ओरेश्निक मुख्य रूप से मोबाइल लॉन्चर से दागी जाती है।
- उपयोग: ब्रह्मोस का मुख्य उद्देश्य समुद्री और लैंड अटैक है, जबकि ओरेश्निक एक बैलिस्टिक मिसाइल है और इसका इस्तेमाल खासकर बड़े दूरियों तक निशाने पर हमला करने के लिए किया जाता है।
हाल की घटनाएं और रिपोर्ट्स
ओरेश्निक के बारे में कई घटनाएं और रिपोर्ट्स सामने आई हैं। नवंबर 2024 में, रूस ने ड्निप्रो में ओरेश्निक मिसाइल से एक रक्षा फैक्ट्री पर हमला किया था, जिसे राष्ट्रपति पुतिन ने पश्चिमी हथियारों के खिलाफ “हाई-टेक जवाब” के रूप में पेश किया। हालांकि, फरवरी 2025 में ओरेश्निक का एक लॉन्च असफल रहा, और इसका मलबा कजाकिस्तान में गिरा। इस घटना ने इस मिसाइल की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे, लेकिन इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
रूस ने दिसंबर 2024 में ओरेश्निक का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, यह प्रक्रिया समय लेने वाली है और रूस के रक्षा क्षेत्र में नवाचार की कमी और नौकरशाही के कारण उत्पादन में पांच से सात साल लग सकते हैं।
कजाकिस्तान में मलबा और बेलारूस में तैनाती
मिसाइल के असफल लॉन्च का मलबा कजाकिस्तान में गिरा, जिसे यूक्रेन के सैनिकों और ब्लॉगर किरिलो साज़ोनोव ने रिपोर्ट किया था। इसके अलावा, रूस ने मई 2025 में यह घोषणा की थी कि वह ओरेश्निक मिसाइलों को बेलारूस में तैनात करेगा, जो 2025 के अंत तक हो सकती है।
यूक्रेन का जवाब और भविष्य
यूक्रेन ने इस मिसाइल का मुकाबला करने के लिए अपने स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम विकसित करने की योजना बनाई है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि कुछ एयर डिफेंस सिस्टम ओरेश्निक को रोकने की क्षमता रखते हैं, जो रूस के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।