Sharif Osman Hadi: बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से हटाने वाले हिंसक छात्र आंदोलन से उभरे नेता शरीफ उस्मान हादी की गुरुवार देर रात मौत हो गई। उनकी मौत की खबर आते ही देश में एक बार फिर हालात बेकाबू हो गए। राजधानी ढाका समेत कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं। हादी पिछले सप्ताह ढाका में गोली लगने के बाद से सिंगापुर में इलाज करा रहे थे। सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए कहा कि गंभीर चोटों के कारण उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
गोली लगने के बाद सिंगापुर में चल रहा था इलाज (Sharif Osman Hadi)
शरीफ उस्मान हादी को बीते शुक्रवार, 12 दिसंबर को ढाका के बिजयनगर इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी। गोली सीधे उनके सिर में लगी थी, जिससे उनकी हालत बेहद नाजुक हो गई। शुरुआती इलाज के बाद उन्हें सोमवार को एयर एंबुलेंस के जरिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। डॉक्टरों ने साफ कर दिया था कि उन्हें गंभीर और न ठीक होने वाला ब्रेन डैमेज हुआ है। धीरे-धीरे उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया, जिसके बाद उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया। तमाम कोशिशों के बावजूद गुरुवार देर रात उन्होंने दम तोड़ दिया।
मौत की खबर के बाद सड़कों पर उतरे लोग
हादी की मौत की खबर फैलते ही बांग्लादेश में हालात तेजी से बिगड़ने लगे। आधी रात के बाद ही ढाका और देश के अलग-अलग हिस्सों से हिंसा की खबरें आने लगीं। हजारों लोग ढाका के शाहबाग चौराहे पर जमा हो गए और तख्तियां लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। प्रदर्शनकारियों ने अंतरिम यूनुस सरकार पर हादी की सुरक्षा में नाकाम रहने का आरोप लगाया।
ढाका में देश के दो बड़े अखबारों प्रथम आलो और डेली स्टार के दफ्तरों में आग लगा दी गई। राजशाही में शेख मुजीबुर रहमान के घर और अवामी लीग के एक दफ्तर को भी प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया।
चटगांव में भारतीय उच्चायोग पर पथराव
हिंसा सिर्फ ढाका तक सीमित नहीं रही। चटगांव में स्थित भारतीय उच्चायोग के कार्यालय पर भी पथराव किया गया। प्रदर्शनकारी उप उच्चायुक्त के घर के बाहर जमा हो गए और नारेबाजी करते हुए परिसर पर पत्थर फेंके। हालात को काबू में करने के लिए कई इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है।
कौन थे शरीफ उस्मान हादी
32 वर्षीय शरीफ उस्मान हादी पिछले साल जुलाई में शेख हसीना विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान चर्चा में आए थे। वे शेख हसीना विरोधी प्लेटफॉर्म ‘इंकलाब मंच’ के प्रवक्ता थे। इसी आंदोलन के दबाव में शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। हादी फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनाव में ढाका-8 सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर प्रचार कर रहे थे।
हालांकि इंकलाब मंच को एक कट्टरपंथी संगठन माना जाता है। छात्र विद्रोह में भूमिका के बावजूद, बाद में यूनुस सरकार ने इस समूह को भंग कर दिया और इसे चुनाव में हिस्सा लेने से रोक दिया।
भारत विरोधी बयानबाजी से भी रहे चर्चा में
आपको बता दें, हादी खुद को बांग्लादेश में भारत के कट्टर विरोधी नेता के रूप में पेश करते थे। वे न सिर्फ अवामी लीग बल्कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी पर भी हमलावर रहते थे। उनका कहना था कि अब बांग्लादेश में “पुरानी और भारत समर्थक राजनीति” नहीं चलेगी। हाल ही में उन्होंने तथाकथित ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का एक नक्शा भी साझा किया था, जिसमें भारत के कुछ इलाकों को शामिल दिखाया गया था। इस बयानबाजी के कारण वे लगातार विवादों में रहे।
यूनुस सरकार ने किया राष्ट्रीय शोक का ऐलान
हादी की मौत पर अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। राष्ट्र के नाम संबोधन में यूनुस ने कहा कि यह देश के लिए बेहद दुखद क्षण है। उन्होंने हादी को “जुलाई विद्रोह का निडर फ्रंटलाइन योद्धा” बताया और भरोसा दिलाया कि उनके हत्यारों को जल्द पकड़कर सख्त सजा दी जाएगी।
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