Sushila Karki: राजनीतिक अस्थिरता और देशव्यापी प्रदर्शनों से जूझ रहे नेपाल में अब शांति की एक नई उम्मीद जगी है। देश की पहली महिला चीफ जस्टिस रहीं सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री बनने की जिम्मेदारी संभालने पर सहमति दे दी है। मौजूदा हालात में यह फैसला नेपाल के लिए निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि लंबे समय से नेतृत्वविहीन देश में अब एक मजबूत चेहरा सामने आ रहा है।
Gen-Z प्रदर्शनकारियों का समर्थन | Sushila Karki
नेपाल में चल रहे जनआंदोलन की कमान युवाओं के हाथ में है, खासकर Gen-Z ग्रुप के। इन्हीं युवाओं ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आपस में चर्चा कर सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर आगे बढ़ाया है। कार्की ने भी इस जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए कहा है कि वह पूरी तरह से तैयार हैं और उनका पहला फोकस उन परिवारों की मदद करना होगा जिन्होंने प्रदर्शन के दौरान अपने करीबी खोए हैं।
उन्होंने साफ कहा, ” मेरी पहली प्राथमिकता उन लोगों का सम्मान करने की होगी, जिन्होंने प्रदर्शनों में अपनी जान खोई है।”
नेपाल की सियासी हालात और सुशीला कार्की का उभरना
आपको बता दें, केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल में सत्ता का पूरी तरह से खालीपन है। फिलहाल देश की कमान नेपाली सेना के हाथों में है, जिसने हालात बिगड़ते देख देशभर में कर्फ्यू और प्रतिबंध लागू कर दिए हैं। राजनीतिक विकल्पों में बिजली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कुलमान घीसिंग और सुमना श्रेष्ठ के नाम भी सामने आए हैं, लेकिन सुशीला कार्की सबसे आगे नजर आ रही हैं। हालांकि अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
मोदी जी से प्रभावित, भारत को बताया दोस्त
वहीं, इस सब में चौंकाने की बात यह थी कि कार्की ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, “मैं मोदी जी को नमस्कार करती हूं। उनका व्यक्तित्व मुझे प्रभावित करता है। उनके काम करने का तरीका बेहद प्रभावशाली है।” भारत को लेकर उन्होंने कहा कि नेपाल की मदद में भारत हमेशा सबसे आगे रहा है। उन्होंने अपने निजी रिश्तों को भी साझा किया, “भारत के साथ मेरे संबंध गहरे हैं। मेरे बहुत से दोस्त भारत में हैं।”
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की छात्रा रहीं कार्की
आपको बता दें, सुशीला कार्की का भारत से जुड़ाव सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत भी है। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स किया है। वे बताती हैं कि बीएचयू में बिताया गया समय उनके व्यक्तित्व को गढ़ने में अहम रहा। “मुझे आज भी BHU के मेरे टीचर्स याद हैं। वहां की शिक्षा और माहौल ने मेरी सोच को नई दिशा दी,” उन्होंने कहा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ रही हैं मुखर
सुशीला कार्की 2016 में नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस बनी थीं। अपने कार्यकाल में वे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त फैसलों के लिए जानी गईं। एक मौजूदा मंत्री को जेल भेजने के उनके फैसले ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया था। यही वजह रही कि सत्ता में बैठे कई लोग उनसे असहज हो गए थे, और 2017 में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रस्ताव को खारिज कर उन्हें राहत दी।
क्या नेपाल को मिलेगा नया रास्ता?
नेपाल के मौजूदा हालात को देखते हुए साफ है कि देश एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। सुशीला कार्की जैसी सशक्त और ईमानदार शख्सियत का सामने आना जनता और खासकर युवाओं के लिए एक आशा की किरण है। अगर उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है, तो यह न सिर्फ राजनीतिक स्थिरता की दिशा में एक अहम कदम होगा, बल्कि नेपाल के लिए एक नई शुरुआत भी साबित हो सकती है।
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