Trump Advisor On India: अमेरिकी राजनीति के विवादित चेहरों में शुमार और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो (Trump Advisor Peter Navarro) ने एक बार फिर भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर जहरीले बोल बोले हैं। इस बार नवारो ने न सिर्फ भारत की रूस से तेल खरीद पर निशाना साधा है, बल्कि भारतीय ब्राह्मणों पर मुनाफाखोरी का आरोप लगाकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। आइए आपको बताते हैं क्या है ये पूरा मामला
फॉक्स न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में नवारो ने कहा कि,
“ब्राह्मण, बाकी भारतीयों की कीमत पर मुनाफा कमा रहे हैं। हम चाहते हैं कि ये बंद हो। भारत की नीति अमेरिका, यूरोप और यहां तक कि यूक्रेन के हितों के खिलाफ जा रही है।”
आपको बता दें, उनकी ये टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन के दौरान चीन यात्रा और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन व चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के संदर्भ में आई है। सात सालों में यह प्रधानमंत्री मोदी की पहली चीन यात्रा है, और इस दौरान वैश्विक मंचों पर भारत की सक्रियता एक बार फिर अमेरिकी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है।
“भारत टैरिफ का महाराजा है” Trump Advisor On India
आपको जानकार हैरानी होगी कि नवारो ने भारत के व्यापार रवैये पर भी तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “भारत टैरिफ का महाराजा है। सबसे ज़्यादा टैरिफ वहीं हैं। वे अमेरिका को ढेरों चीजें निर्यात करते हैं, लेकिन हमें नुकसान होता है — अमेरिकी मजदूरों को, टैक्सपेयर्स को और यूक्रेन को।”
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत पर 50% तक टैरिफ लगाने की नीति के पीछे नवारो का ही बड़ा रोल था। अब वे उसी फैसले को फिर से सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस बार बहाना है रूस से भारत की बढ़ती तेल डील और उसका अमेरिका-यूरोप पर संभावित असर।
ब्राह्मणों पर सीधा निशाना, लेकिन मकसद क्या है?
अपने इंटरव्यू में नवारो ने अचानक ‘ब्राह्मण’ शब्द का इस्तेमाल किया जो अमेरिका में उच्च वर्ग या कुलीन तबके का प्रतीक माना जाता है। उनका कहना था कि ब्राह्मण तबका सस्ते रूसी तेल से मोटा मुनाफा कमा रहा है, और भारत की नीतियों से सिर्फ अमीर वर्ग को फायदा हो रहा है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बयान न सिर्फ भारत की सामाजिक संरचना में दरार डालने की कोशिश है, बल्कि भारतीय प्रवासी समुदाय के बीच मतभेद पैदा करने का एक तरीका भी हो सकता है।
पुतिन-मोदी नजदीकी से क्यों चिढ़ा है अमेरिका का एक वर्ग?
नवारो पहले भी भारत पर रूस को इनडायरेक्ट रूप से फंडिंग करने का आरोप लगा चुके हैं। उनका कहना है कि भारतीय रिफाइनरियां सस्ते रूसी तेल को खरीद कर यूरोप, एशिया और अफ्रीका में बेचती हैं, जिससे रूस को राहत मिलती है और यूक्रेन युद्ध लंबा खिंचता है।
यही नहीं, उन्होंने एक और सवाल उठाते हुए कहा कि,
“अगर भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, तो उसे पुतिन और शी जिनपिंग से इतना नज़दीक नहीं होना चाहिए।”
क्या यह सिर्फ राजनीति है या सोची-समझी रणनीति?
पीटर नवारो की इन टिप्पणियों को सिर्फ व्यक्तिगत राय मानना आसान होगा, लेकिन हकीकत ये है कि अमेरिका में ट्रंप समर्थक लॉबी भारत की रूस और चीन से बढ़ती बातचीत को लेकर चिंतित है, खासकर ऐसे वक्त में जब अमेरिका खुद चीन और रूस के खिलाफ अलग-अलग मोर्चों पर खड़ा है।