Trump Meets Syria President: दुनिया की राजनीति कब, कहां और कैसे करवट ले ले इसे समझना आसान नहीं है। और जब बात अमेरिका की हो, तो कुछ भी संभव है। जो अमेरिका कभी किसी को ‘आतंकी’ करार देता है, वहीं कुछ सालों बाद उसी को गले भी लगा लेता है। ताजा मामला सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा का है, जिनके लिए कभी अमेरिका ने सबसे कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया था और आज वही अमेरिका उनके लिए रेड कारपेट बिछा रहा है।
2013 में ‘ग्लोबल टेररिस्ट’, 2025 में ‘स्टेट गेस्ट’ Trump Meets Syria President
अहमद अल-शरा वही शख्स हैं, जिन्हें अमेरिका ने 2013 में ‘स्पेशली डिज़िग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट’ घोषित किया था। उस समय उनका नाम अमेरिका की आतंकी निगरानी सूची में था। लेकिन अब, यही शख्स संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की 80वीं बैठक में शामिल होने के लिए अमेरिका के न्यूयॉर्क पहुंचे हैं वो भी एक स्टेट गेस्ट के रूप में।
यह 58 साल में पहली बार हुआ है जब कोई सीरियाई नेता अमेरिका की धरती पर आधिकारिक रूप से कदम रख रहा है। इससे पहले 1967 में नुरुद्दीन अल-अतासी अमेरिका आए थे। उनके बाद से ही अल-असद परिवार ने सीरिया की सत्ता संभाली थी। लेकिन अब, एक नए नेता के रूप में अहमद अल-शरा ने राजनीतिक इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ दिया है।
विद्रोही से राष्ट्रपति तक का सफर
अहमद अल-शरा की कहानी किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं है। वे एक दशक से ज्यादा वक्त तक उत्तरी सीरिया में विद्रोही नेता रहे। उन्होंने बागी गुटों की अगुवाई की, संघर्ष किया, और धीरे-धीरे सत्ता की ओर बढ़े। अंततः उन्होंने सीरिया पर नियंत्रण पा लिया। सत्ता में आने के बाद अल-शरा ने अपनी छवि बदलने पर खासा ध्यान दिया खुद को एक ‘विजनरी लीडर’ के तौर पर पेश करने लगे।
डोनाल्ड ट्रंप से हो चुकी है मुलाकात
सिर्फ UNGA ही नहीं, अल-शरा की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात भी सुर्खियों में रही है। ये मुलाकात मई 2025 में सऊदी अरब में हुई थी, जहां गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) के सम्मेलन में दोनों नेताओं ने बात की। इस बैठक में ट्रंप ने बड़ा ऐलान करते हुए सीरिया पर लगे सभी प्रतिबंध हटाने की बात कही और कहा कि अमेरिका अब सीरिया की नई सरकार के साथ संबंधों को सामान्य करने की दिशा में काम करेगा।
ये कदम अमेरिका की विदेश नीति में 180 डिग्री के बदलाव जैसा था और इसे एक बड़े राजनीतिक संकेत के रूप में देखा गया।
लेकिन चुनौतियां अब भी बरकरार
अल-शरा के सामने अभी भी कई गंभीर चुनौतियां हैं। सीरिया अब भी गृहयुद्ध जैसी स्थिति से जूझ रहा है। जून में सुवैदा इलाके में हिंसक घटनाएं हुईं, और स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। इसके अलावा, इजरायल द्वारा सीरिया के कुछ क्षेत्रों में किए गए हवाई हमलों ने हालात को और बिगाड़ दिया।
सीरिया ने इन हमलों को लेकर इजरायल पर आरोप लगाया कि वह 1974 के डिसएंगेजमेंट एग्रीमेंट का उल्लंघन कर रहा है और सैन्य ठिकाने बना रहा है।
अमेरिका का बदला रुख या कोई रणनीति?
अब सवाल ये उठता है कि क्या अमेरिका का यह बदलता रवैया केवल कूटनीतिक मजबूरी है या इसके पीछे कोई बड़ी रणनीति छिपी है? अहमद अल-शरा की रिहाई और उनका स्वागत ये बताता है कि अमेरिका, खासकर ट्रंप प्रशासन, अब मध्य पूर्व में नई समीकरण बनाने की कोशिश कर रहा है।
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