Trump Tariffs On China: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन को लेकर अपनी आर्थिक नीतियों में साफ तौर पर दोहरा रवैया अपना लिया है। जहां एक तरफ भारत से आने वाले सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की गई है, वहीं दूसरी तरफ चीन को 90 दिनों की टैरिफ राहत देकर एक बड़ा झटका दिया गया है। इस फैसले ने दोनों देशों के बीच अमेरिका के व्यवहार पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
चीन को राहत, भारत पर सख्ती- Trump Tariffs On China
12 अगस्त को अमेरिका और चीन की ओर से एक संयुक्त बयान जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि दोनों देशों ने एक-दूसरे पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को 90 दिनों के लिए होल्ड करने का फैसला लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर इसकी जानकारी साझा करते हुए लिखा, “मैंने एक कार्यकारी आदेश पर साइन किया है, जिससे चीन पर टैरिफ की सस्पेंशन अवधि 90 दिनों तक बढ़ा दी गई है।”
गौरतलब है कि अप्रैल 2025 में अमेरिका ने चीन पर 245 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी, जिसके जवाब में चीन ने भी 125 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ाने की बात कही थी। अब, यह टकराव शांत होता नजर आ रहा है, और व्यापारिक संबंधों को सामान्य करने की कोशिश की जा रही है।
भारत को क्यों निशाना?
दूसरी तरफ भारत पर ट्रंप सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। भारतीय उत्पादों पर लगाया गया 50 प्रतिशत टैरिफ दो हिस्सों में है—25 प्रतिशत नियमित आयात शुल्क और 25 प्रतिशत रूस से तेल खरीदने की वजह से दंडात्मक टैरिफ। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत का रूस से तेल लेना अमेरिका की नीति के खिलाफ है।
पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि चीन भी रूस से तेल खरीदता है, लेकिन उस पर कोई दंड नहीं लगाया गया। यह स्पष्ट दोहरा मापदंड अब सवालों के घेरे में है।
ट्रंप और शी जिनपिंग के बदले रिश्ते
इस बीच ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तारीफ कर सभी को चौंका दिया। उन्होंने कहा कि “मेरे जिनपिंग के साथ बहुत अच्छे रिश्ते हैं और चीन का रवैया भी सकारात्मक रहा है।” यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका और चीन ने टैरिफ मुद्दे पर लंदन और स्टॉकहोम में बैठकें की थीं और व्यापार को सामान्य बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं।
अमेरिका की नीति पर सवाल
भारतीय जानकार और अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक इसे ट्रंप की मतलबपरस्त विदेश नीति करार दे रहे हैं। एक ओर भारत से रणनीतिक साझेदारी की बातें होती हैं, दूसरी ओर उस पर आर्थिक दंड लगाया जा रहा है। इस मुद्दे पर जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे डी वेंस से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि “ट्रंप विचार कर रहे हैं, लेकिन अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।”
वैश्विक बाजार पर असर
ट्रंप के इस फैसले से न सिर्फ भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ सकता है, बल्कि इससे वैश्विक व्यापार पर भी असर पड़ सकता है। अमेरिका और चीन के बीच रिश्तों में आ रही गर्मजोशी का असर एशियाई बाजारों और रणनीतिक संतुलन पर दिख सकता है। वहीं भारत, जो अमेरिका का करीबी सहयोगी रहा है, अब खुद को एक अलग स्थिति में पाता है।