Trump Tariffs on India: भारत और रूस के बीच मजबूत होते ऊर्जा संबंधों पर अमेरिका की नाराज़गी अब खुलकर सामने आ चुकी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। ये फैसला तब आया जब भारत ने रूस से कच्चा तेल आयात बढ़ाया है। लेकिन ट्रंप का यह फैसला अमेरिका के भीतर ही विवादों में घिर गया है। अमेरिकी एक्सपर्ट्स, थिंक टैंक और शिक्षाविद इस कदम को अव्यावहारिक और रणनीतिक रूप से नुकसानदायक बता रहे हैं।
और पढ़ें: India-Trump relations: भड़के हुए हैं भारतीय, ट्रंप को देश में ही झेलनी पड़ रही फजीहत
विशेषज्ञों ने ट्रंप के फैसले पर उठाए सवाल- Trump Tariffs on India
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल रिलेशन पढ़ाने वाले एडवर्ड प्राइस ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने साफ कहा है कि भारत और अमेरिका की साझेदारी इस सदी की सबसे अहम रणनीतिक साझेदारी है, और ऐसे में भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाना एक गंभीर भूल है।
प्राइस ने समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा,
“मैं भारत और अमेरिका के रिश्तों को 21वीं सदी की सबसे अहम साझेदारी मानता हूं। ये साझेदारी तय करेगी कि दुनिया चीन और रूस की तरफ झुकेगी या नहीं। भारत का इसमें निर्णायक वोट है। ऐसे में ट्रंप का भारत पर 50% टैरिफ लगाना, वो भी तब जब रूस और चीन के बीच युद्ध जैसे हालात हैं, यह बेहद चौंकाने वाला कदम है।”
“भारत से माफी मांगें और टैरिफ जीरो करें”: एडवर्ड प्राइस
प्राइस ने आगे कहा कि ट्रंप को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि अमेरिका को भारत पर लगाए गए टैरिफ को न सिर्फ खत्म करना चाहिए, बल्कि भारत से माफी भी मांगनी चाहिए। उनका कहना है कि भारत जैसे उभरते रणनीतिक साझेदार के साथ इस तरह का व्यवहार अमेरिका की अपनी विदेश नीति को नुकसान पहुंचा सकता है।
“मुझे लगता है कि अमेरिका को टैरिफ 50% से घटाकर शून्य कर देना चाहिए और भारत से इस फैसले के लिए माफी मांगनी चाहिए,” प्राइस ने कहा।
“भारत को चाहिए विकल्प, लेकिन चीन-रूस से दूरी बनाए रखी है”
एडवर्ड प्राइस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति की तारीफ करते हुए कहा कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर काम करता है और किसी के दबाव में नहीं आता। उन्होंने कहा कि भारत के पास विकल्प हैं, चाहे वो रूस हो या चीन लेकिन फिर भी भारत ने अब तक रूस-चीन की सैन्य परेड जैसी गतिविधियों में हिस्सा नहीं लिया है, जो यह दर्शाता है कि भारत अपने फैसले खुद लेता है।
“प्रधानमंत्री मोदी बहुत समझदारी से कदम बढ़ा रहे हैं। उन्होंने अमेरिका को साफ तौर पर संकेत दे दिया है कि भारत के पास विकल्प हैं, लेकिन वो अभी भी चीन और रूस के साथ पूरी तरह नहीं जुड़ा है।”
क्या है भारत के लिए मतलब?
भारत पर 50% टैरिफ लगाने का असर सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है। ये कदम भारत-अमेरिका रणनीतिक रिश्तों में दरार डाल सकता है, खासकर ऐसे समय में जब दुनिया चीन की आक्रामकता और रूस के युद्ध रवैये से जूझ रही है। भारत को अमेरिका का साथ चाहिए, लेकिन वो अपनी संप्रभुता और हितों से समझौता नहीं करेगा यह बात प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति में साफ झलकती है।