US Arms Policy: ‘हमने उन्हें जमींदोज कर दिया! ईरान के न्यूक्लियर बंकर अब मिट्टी में मिल गए हैं!’ यह बयान डोनाल्ड ट्रंप और व्हाइट हाउस के अधिकारियों के बीच इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि उसने ईरान के सबसे सुरक्षित न्यूक्लियर बंकरों पर सटीक हमला किया और उन्हें पूरी तरह नष्ट कर दिया। लेकिन क्या यह सच है, या यह केवल प्रचार का हिस्सा है? आईए जानते हैं पूरी कहानी, जिसमें छिपे हैं कई अहम सवाल और जटिलताएँ।
GBU-57 बम और अमेरिकी हमला- US Arms Policy
अमेरिकी सेना ने ईरान के सबसे सुरक्षित न्यूक्लियर ठिकानों, फोर्डो और नतांज पर हमला करने के लिए 13,000 किलो वजनी GBU-57 बमों का इस्तेमाल किया। इन बमों को ‘बंकर बस्टर्स’ के नाम से जाना जाता है, जो खासतौर पर गहरे, स्टील और कंक्रीट से बने बंकरों को नष्ट करने के लिए बनाए गए हैं। इन बमों का वजन और शक्ति इतनी अधिक है कि यह माउंट एवरेस्ट के वजन के बराबर मानी जाती है। अमेरिकी प्रशासन ने दावा किया कि इन बमों के माध्यम से उन्होंने ईरान के सबसे संरक्षित बंकरों को पूरी तरह तबाह कर दिया।
व्हाइट हाउस ने इसे ‘क्लीन हिट’ बताया, यानी एक सटीक और पूरी तरह सफल हमला। लेकिन अब इस हमले को लेकर विशेषज्ञों की राय में अंतर नजर आ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि GBU-57 बम ने शायद कुछ नुकसान पहुंचाया हो, लेकिन यह पूरी तरह से बंकरों को नष्ट करने में सफल नहीं रहा। इसका मतलब यह है कि हमले का प्रभाव उतना शक्तिशाली नहीं था जितना कि अमेरिकी प्रशासन ने दावा किया।
बमों की कमी और अगली कार्रवाई की चुनौती
अमेरिका ने कुल 20 GBU-57 बम बनाए थे, लेकिन इस हमले में 14 बमों का उपयोग किया गया। अब केवल 6 बम बाकी हैं। इसका सवाल यह उठता है कि यदि भविष्य में और हमले करने की जरूरत पड़ी तो क्या इन बमों को फिर से तैयार किया जा सकेगा? अमेरिकी प्रशासन ने इस चुनौती का सामना करते हुए एक नई रणनीति पर काम शुरू किया है।
नया रणनीतिक बदलाव
‘National Interest’ की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी एयरफोर्स अब GBU-57 बम को रिटायर करने की सोच रही है और इसके स्थान पर एक नया, हल्का और स्मार्ट बम विकसित किया जा रहा है। यह नया बम 22,000 पाउंड (करीब 10,000 किलो) का होगा और इसमें रॉकेट बूस्ट की सुविधा होगी। इसका फायदा यह है कि यह बम ‘स्टैंड-ऑफ’ क्षमता के साथ काम करेगा, यानी पायलट को हमले के दौरान खतरे में नहीं डाला जाएगा। इससे पहले के बमों की तुलना में यह हल्का, स्मार्ट और अधिक सुरक्षित होगा।
क्या ट्रंप प्रशासन का दावा सिर्फ प्रचार था?
यह सवाल अब सामने आ रहा है कि अगर GBU-57 बम इतना प्रभावी था, तो उसे इतनी जल्दी बदलने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या ट्रंप प्रशासन का दावा केवल प्रचार पाने का एक तरीका था, या फिर सच में ईरान के बंकरों को पूरी तरह से नष्ट करने में कोई खामी थी? इस तरह के सवाल इस बात को और भी महत्वपूर्ण बना रहे हैं कि आखिरकार क्या अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर बंकरों को पूरी तरह से नष्ट किया है, या यह केवल एक प्रचार था?
रणनीति में खामियां और चुनौतियाँ
अगर हम सच का सामना करें, तो यह स्पष्ट है कि अमेरिकी हमला पूरी तरह से सफल नहीं रहा। ईरान के बंकर पूरी तरह से तबाह नहीं हुए और अमेरिका के पास अब उनके खिलाफ हमला करने के लिए अधिक बम नहीं हैं। इससे यह भी संकेत मिलता है कि अमेरिकी सैन्य रणनीति में कुछ खामियां हो सकती हैं। नए बमों की योजना भी इस बात का संकेत देती है कि अमेरिका को अपनी रणनीति में सुधार करना होगा, ताकि भविष्य में ईरान जैसे दुश्मन पर प्रभावी तरीके से कार्रवाई की जा सके।