US Evacuating Mideast Embassies: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में साफ तौर पर कहा कि ईरान कभी भी परमाणु बम नहीं बना सकता है और अमेरिका इसे हर हाल में रोकने की कोशिश करेगा। ट्रंप ने इस बयान के जरिए यह भी संकेत दिया कि मध्य पूर्व में स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है और जंग की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ट्रंप का यह बयान एक ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर बातचीत लगातार अटकी हुई है।
रॉयटर्स समाचार एजेंसी के मुताबिक, बुधवार को यह खबर सामने आई थी कि अमेरिका अपने इराकी दूतावास को आंशिक रूप से खाली करने की योजना बना रहा है और अपनी सेना से जुड़े परिवारों को मध्य पूर्व छोड़ने के लिए कह रहा है। अमेरिका ने इस क्षेत्र में बढ़ते सुरक्षा जोखिमों को ध्यान में रखते हुए चेतावनी जारी की है और अपने नागरिकों से कहा है कि वे इस क्षेत्र की यात्रा न करें। अमेरिकी विदेश विभाग ने आतंकवाद, किडनैपिंग, हथियारबंद लड़ाई और आंतरिक अशांति के मद्देनजर मध्य पूर्व को यात्रा करने के लिए अत्यधिक खतरनाक करार दिया है।
इसके साथ ही, अमेरिकी अधिकारी ने यह भी बताया कि अमेरिका ने बहरीन और कुवैत से उन लोगों को क्षेत्र छोड़ने के लिए कहा है जो इसे छोड़ना चाहते हैं। यह एक स्वैच्छिक निर्णय था और यह अमेरिका के विदेश विभाग द्वारा जारी किए गए ट्रैवल एडवाइजरी का हिस्सा था।
मध्य पूर्व से अमेरिकी स्टाफ की निकासी और ट्रंप के बयान- US Evacuating Mideast Embassies
इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि अमेरिका अपने स्टाफ को मध्य पूर्व से निकाल रहा है क्योंकि यह क्षेत्र अब और भी खतरनाक बन सकता है। उन्होंने कहा, “हम देखेंगे कि यहां क्या हो सकता है, लेकिन फिलहाल हमने स्टाफ को बाहर जाने का आदेश दे दिया है।” ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि ईरान को परमाणु बम नहीं बनाने दिया जाएगा। यह उनके लिए एक बेहद सीधी बात थी, और उन्होंने कहा कि यदि परमाणु समझौते में कोई प्रगति नहीं होती है तो अमेरिका इस मामले में और कठोर कदम उठा सकता है।
ईरान का जवाब और परमाणु कार्यक्रम पर टकराव
इधर, ईरान ने भी प्रतिक्रिया दी है। ईरान के रक्षा मंत्री अज़ीज़ नसीरज़ादेह ने चेतावनी दी कि अगर ईरान पर हमला किया गया तो वह क्षेत्र में अमेरिकी ठिकानों पर जवाबी हमला करेगा। ईरान के सर्वोच्च मजहबी नेता, अयातुल्ला खामेनेई ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी। खामेनेई ने कहा कि अमेरिका का परमाणु प्रस्ताव उनके देश की शक्ति के सिद्धांत के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमजोर नहीं कर पाएगा और तेहरान अपने यूरेनियम संवर्धन को नहीं छोड़ेगा।
In the current nuclear talks that are being mediated by Oman, the US’s proposal is 100% against the spirit of “We can.”
What the US is demanding is that you should have no nuclear industry at all and be dependent on them.— Khamenei.ir (@khamenei_ir) June 4, 2025
इस बीच, अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट्स से यह भी संकेत मिल रहा है कि इजरायल ईरान की परमाणु साइट्स पर हमले की तैयारी कर रहा है, जो इस संकट को और भी गंभीर बना सकता है।
बढ़ती हुई कीमतें और क्षेत्रीय तनाव
मध्य पूर्व में अमेरिकी कर्मियों की निकासी की खबरों ने वैश्विक बाजारों में शंका पैदा की और इसका असर तेल की कीमतों पर भी पड़ा। तेल की कीमतों में 4 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई। इसके अलावा, ब्रिटेन की नौसेना ने भी मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को लेकर चेतावनी दी थी कि इससे महत्वपूर्ण जलमार्गों पर सैन्य गतिविधियों में वृद्धि हो सकती है, जिसका असर शिपिंग और व्यापार पर पड़ेगा।
अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु वार्ता: भविष्य का रास्ता
अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते पर बातचीत में लगातार रुकावटें आ रही हैं। दोनों देशों के बीच अप्रत्यक्ष वार्ताएं चल रही हैं, लेकिन कोई ठोस परिणाम अब तक सामने नहीं आया है। अमेरिका की मांग है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करे और यूरेनियम संवर्धन पर पूरी तरह से रोक लगाए, जबकि ईरान इसे अपना अधिकार मानता है और प्रतिबंध हटाने की शर्त रखता है।
अमेरिका की सैन्य मौजूदगी और क्षेत्रीय स्थिति
मध्य पूर्व में अमेरिका की सैन्य मौजूदगी कई वर्षों से बनी हुई है। अमेरिका के सैनिक इराक, कुवैत, कतर, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों में तैनात हैं। यह सभी तेल उत्पादक देश हैं और दुनिया की ऊर्जा आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी कारण अमेरिका का मध्य पूर्व में प्रभाव और सैन्य उपस्थिति महत्वपूर्ण है, लेकिन इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव ने सुरक्षा को लेकर नई चिंताएं पैदा की हैं।