Why Israel attack Iran: इजरायल ने ईरान के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा और घातक हमला किया है, जिसे ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के नाम से जाना जा रहा है। इस हमले में इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह कर दिया, जिससे दुनिया भर में खलबली मच गई है। इजरायल का उद्देश्य स्पष्ट था – ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह से समाप्त करना, ताकि ईरान के परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को नष्ट किया जा सके।
नतांज परमाणु साइट पर हमला- Why Israel attack Iran
ईरान ने खुद स्वीकार किया है कि इस हमले में नतांज परमाणु साइट को गंभीर नुकसान हुआ है। यह वही जगह है जहां ईरान यूरेनियम संवर्धन (enrichment) कर रहा था, जो परमाणु बम बनाने की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इजरायल ने इस परमाणु साइट को निशाना बनाते हुए न केवल इसे तबाह किया, बल्कि ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों को भी मार डाला है। इसके साथ ही, इजरायली सेना ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को भी पंगु कर दिया है।
हमले की रणनीति और इसके पीछे का कारण
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले को जायज ठहराते हुए एक वीडियो संदेश जारी किया। उन्होंने कहा, “दशकों से, तेहरान के तानाशाह इजरायल के विनाश का आह्वान करते रहे हैं। उन्होंने परमाणु हथियारों के निर्माण कार्यक्रम के माध्यम से अपनी बेशर्मी को समर्थन दिया है। हाल के वर्षों में, ईरान ने नौ परमाणु बमों के लिए पर्याप्त उच्च-संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन किया है।”
Moments ago, Israel launched Operation “Rising Lion”, a targeted military operation to roll back the Iranian threat to Israel’s very survival.
This operation will continue for as many days as it takes to remove this threat.
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Statement by Prime Minister Benjamin Netanyahu: pic.twitter.com/XgUTy90g1S
— Benjamin Netanyahu – בנימין נתניהו (@netanyahu) June 13, 2025
यह बयान इजरायल के प्रमुख डर को उजागर करता है – ईरान द्वारा परमाणु बम बनाने की संभावना। इजरायल का मानना है कि अगर ईरान ने परमाणु बम बना लिया, तो इसका सीधा खतरा इजरायल के अस्तित्व को हो सकता है। इसलिए इजरायल किसी भी कीमत पर ईरान को परमाणु बम हासिल करने से रोकना चाहता है।
ईरान का परमाणु कार्यक्रम और उसके खिलाफ इजरायल की चिंता
ईरान का मानना है कि परमाणु हथियार उसके सुरक्षा के लिए जरूरी हैं। ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने कहा था कि अमेरिका और इजरायल यह नहीं तय कर सकते कि हमें परमाणु कार्यक्रम रखना चाहिए या नहीं। खामेनेई का यह बयान इस बात को साबित करता है कि ईरान किसी भी हालत में परमाणु बम बनाना चाहता है, भले ही इसके लिए उसे इजरायल और अमेरिका के साथ तनाव का सामना क्यों न करना पड़े।
Israeli Strike Hits Residential Area in Northeastern Tehranhttps://t.co/533au0TKud pic.twitter.com/QPRr8twZsM
— Fars News Agency (@EnglishFars) June 13, 2025
ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से संघर्ष चल रहा है। ईरान द्वारा समर्थित आतंकवादी संगठन, जैसे हमास और हिजबुल्लाह, के हमलों ने इन दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। इसके अलावा, 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमास के हमले और 1 अक्टूबर 2024 को ईरान द्वारा किए गए मिसाइल हमले ने भी स्थिति को और खराब कर दिया है।
इजरायल की रणनीति और प्रधानमंत्री नेतन्याहू का संदेश
इजरायल ने इस हमले को इस वजह से आवश्यक समझा क्योंकि ईरान लगातार इजरायल के विनाश की बात करता रहा है। नेतन्याहू ने कहा, “हमने नतांज में ईरान की परमाणु संवर्धन सुविधा को निशाना बनाया, और हमने यह सुनिश्चित किया कि ईरान परमाणु बम बनाने में सफल न हो सके। हम इन खतरों को अगली पीढ़ी के लिए नहीं छोड़ सकते।”
Israel Strikes Residential Areas in Tehran in Early Morning Attackhttps://t.co/Y5ttBaIFor pic.twitter.com/H0vv2tR1X3
— Fars News Agency (@EnglishFars) June 13, 2025
नेतन्याहू ने यह भी बताया कि ईरान अब अपने मिसाइल कार्यक्रम को भी तेजी से बढ़ा रहा है, जिसका लक्ष्य तीन वर्षों के भीतर 10,000 मिसाइलों का उत्पादन करना है। यह बयान ईरान के बढ़ते सैन्य खतरे को रेखांकित करता है और इजरायल के लिए यह खतरा असहनीय होता जा रहा है।
इजरायल के खिलाफ ईरान का जवाब
ईरान ने इस हमले से हुए नुकसान को स्वीकार करते हुए इजरायल को गंभीर परिणाम की धमकी दी है। ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने कहा, “यहूदी शासन ने आज भोर में हमारे देश पर अपराध किया है।” उन्होंने आगे कहा कि ईरान के कई कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक इस हमले में मारे गए हैं, लेकिन उनके उत्तराधिकारी और सहयोगी बिना देरी के अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे।
ईरान के सशस्त्र बलों के प्रवक्ता जनरल शेकरची ने भी इजरायल और अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा कि “ईरान और उसके सशस्त्र बल पूरी तरह से तैयार हैं और जल्द ही जवाबी हमले करेंगे।”
सभी दृष्टिकोणों से बढ़ते खतरे
यह हमला एक नए संकट का संकेत है, जो न केवल इजरायल और ईरान के बीच बल्कि पूरे मध्य पूर्व में सैन्य तनाव को और बढ़ा सकता है। इजरायल के रक्षा बलों (IDF) ने इस हमले को अपने अस्तित्व की रक्षा के रूप में बताया, और यह भी कहा कि अब वापसी का कोई विकल्प नहीं है।
यह स्थिति बहुत संवेदनशील है, और यह पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बन सकती है, क्योंकि यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर युद्ध का रूप ले सकता है।