नयी दिल्ली 23 मार्च। देश में सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में फीस, पाठ्यसामग्री एवं वर्दी आदि के नाम पर मनमाने शुल्क वसूले जाने पर संसद में आज चिंता जतायी गयी और उनके नियंत्रण एवं नियमन की एक प्रभावी प्रणाली के गठन की मांग की गयी।
बीजेपी के डॉ. चिंतामणि मालवीय ने लोकसभा में शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कहा कि सीबीएसई संबद्ध स्कूलों में दो हजार से लेकर दस हजार रुपये तक की फीस वसूली जा रही है और अभिभावकों को एक खास दुकान से किताबें, वर्दी आदि सामग्री खरीदने को बाध्य किया जा रहा है। स्कूल प्रशासन ऐसे दुकानदारों से कमीशन खाते हैं। मध्य प्रदेश में एक अनुमान के मुताबिक करीब दो हजार करोड़ रुपये के कमीशन की वसूली होती है।
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डॉ. मालवीय ने कहा कि ऐसे स्कूलों में बच्चों को पीने का साफ पानी तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है और बच्चों को अपने साथ घरों से बोतल में पानी लाना पड़ता है। ऐसे शिक्षण संस्थानों पर ना तो राज्य सरकार का कोई नियंत्रण है। और ना ही सीबीएसई का कोई नियंत्रण है। इससे शिक्षा का खूब व्यवसायीकरण हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार एक नियामक संस्था का गठन करे जो प्रभावी ढंग से इन स्कूलों की खुली लूट और नियंत्रणहीनता पर रोक लगा सके।