जेलों से ही संगीन वारदातों को अंजाम देने वाले पेशेवर अभी भी जेलों से ही संगीन वारदातों को करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। उत्तर प्रदेश में यह पहला मौका नहीं हैं कि बागपत जेल में हत्या हुई हो, क्योंकि इससे पहले मथुरा में राजेश टोंटा व उसके गैंग के राजकुमार को गोली मारी गई। जिसके बाद जब उसे इलाज के लिए हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था,तब राजेश टोंटा की हत्या कर दी गई थी।
प्रदेश में बढ़ती इन सब साजिशों को रोकने के लिए तिहाड़ जेल की तरह ही प्रदेश की जेलों में हाई सिक्योरिटी की आवाज जोरों से उठाई जा रही है। इतना ही नहीं जेल प्रशासन द्वारा भी सभी जेल अधीक्षकों से इस पर उनके सुझाव भी मांगे गए हैं। जिसमें सबसे बड़ा सुझाव हाई सिक्योरिटी जेल पर मांगा गया हैं। जिसमें यह बात कही गयी है कि “प्रदेश को तीन भागों में बांटकर तीन हाई सिक्योरिटी जेलें बनाई जाएं। जिनमें संवेदनशील व अतिसंवेदनशील श्रेणी के अपराधियों को रखा जाए और इन जेलों की सुरक्षा का जिम्मा कारागार प्रशासन के बजाय किसी अन्य सुरक्षा एजेंसी को दिया जाए”। बता दे पहली हाई सिक्योरिटी जेल ललितपुर में बनाने की बात चल रही हैं।
स्थानीय जेल के वरिष्ठ अधीक्षक आलोक सिंह बताते हैं कि “बागपत कांड के बाद आईजी/एडीजी कारागार की ओर से सभी अधीक्षकों से बेहतर सुरक्षा इंतजाम व संसाधनों और बदलाव को लेकर सुझाव मांगे गए हैं। इसी दिशा में बागपत जैसी शहर से बाहर की जेलों को लेकर कड़े सुरक्षा इंतजामों पर जोर दिया गया है। प्रदेश के कई शहर ऐसे हैं, जहां शहर से बाहर जेल हैं। वहां सुरक्षा व मुलाकात की व्यवस्था बेहद जटिल व कड़ी होना जरूरी है।प्रदेश को तीन भागों में यानि पूर्वांचल, मध्यांचल व पश्चिमांचल में विभाजित कर तीन हाई सिक्योरिटी जेलों के सुझाव भी दिए गए हैं, जिनमें तीनों हिस्सों के अपराधियों को रखा जाए।”