नई दिल्ली: गुरुवार को विधि आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस मसौदा रिपोर्ट में ये कहा है कि चुनावी मोड से देश को हमेशा बाहर निकालने के लिए लोकसभा और विधानसभा चुनाव को एक साथ कराया जा सकता है। इसके लिए आयोग ने चुनाव संबंधी कानून में संशोधन की सिफारिश भी की है। विधि आयोग की इस 171 पन्नों की रिपोर्ट में ये साफ तौर पर बोला गया है कि एक साथ चुनाव कराने में कोई भी संवैधानिक समस्या नहीं है।
आपको बता दें कि कानून मंत्रालय को सौंपी गई मसौदा रिपोर्ट के अनुसार ‘जम्मू एवं कश्मीर को छोड़कर हाउस ऑफ द पीपल (लोकसभा) और विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की गई है।’ इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ‘इस तरह एक साथ चुनाव कराने से जनता के पैसे की बचत, प्रशासनिक ढांचे पर पड़ने वाले बोझ और सुरक्षा बलों की तैनाती में कमी आएगी। साथ-साथ चुनाव होने से बेहतर तरीके से सरकार की नीतियां लागू भी हो पाएंगी।’ बता दें कि रिपोर्ट में बताया गया है कि एक साथ चुनाव करा पाना संविधान में मौजूदा ढांचे के अंदर संभव नहीं है।
जानकारी दे दें कि देश में पिछले कुछ दिनों से विधानसभा और लोकसभा चुनावों को साथ-साथ कराने पर बहस चल रही है। जहां बीजेपी इसके पक्ष में है तो वहीं इसके लिए विपक्षी दल तैयार नहीं है। सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने राजनीतिक दलों के साथ की बैठक में कहा है कि ‘’वन नेशन वन पोल’ के विचार का कई दलों ने विरोध किया और इसे लेकर चिंता जताई। कुछ दलों ने वापस बैलेट पेपर से चुनाव कराने के भी सुझाव दिए।’ रावत ने आगे कहा कि ‘एक साथ चुनाव कराए जाने पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाना जरूरी है।’ बता दें कि पिछले सप्ताह चुनाव आयोग ने लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव को एक साथ कराने की बात को खारिज कर दिया था।
बता दें कि ये संभावना बताई जा रही है कि मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों को लोकसभा चुनाव के साथ किया जा सकता है। बता दें कि अप्रैल-मई के महीने में लोकसभा चुनाव संवाभित हैं।