खांसी होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसे समझना बहुत ज़रूरी है ताकि आप हर बार कफ सिरप की तरफ न भागें। दरअसल, खांसी शरीर की एक प्राकृतिक रक्षा प्रणाली है। यह गले और फेफड़ों से धूल, बलगम या किसी भी बाहरी चीज़ को बाहर निकालने का एक तरीका है।
वायरल इन्फेक्शन – यह खांसी का सबसे आम कारण है। सामान्य सर्दी, फ्लू या अन्य वायरल इन्फेक्शनो के कारण घरघराहट या सूखी खांसी हो सकती है। इससे कफ या बलगम बनता है वही काली खांसी या काली खांसी जैसे जीवाणु संक्रमण भी इसका कारण बन सकते हैं।
एलर्जी और धूल के कणों से भी सूखी या खुजली वाली खांसी हो सकती है। इसके धुआँ, वायु प्रदूषण या तेज़ धूल भी गले में जलन पैदा कर सकती है और खांसी का कारण बन सकती है।
कफ सिरप से क्यों बचना चाहिए?
खांसी के ज्यादातर मामले वायरल होते हैं और कुछ ही हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। वही हर छोटी खांसी के लिए कफ सिरप लेना आवश्यक नहीं है, खासकर तब जब खांसी शरीर को बलगम या जलन पैदा करने वाली चीज़ों को बाहर निकालने में मदद कर रही हो।
दूसरी और कुछ कफ सिरप में ऐसे रसायन या तत्व होते हैं जो बच्चों और यहाँ तक कि वयस्कों में भी नींद आना, जी मिचलाना, या गंभीर साइड इफेक्ट्स पैदा कर सकते हैं।
ध्यान देने वाली बात अगर खांसी 8 सप्ताह से अधिक बनी रहे (क्रोनिक खांसी), या इसके साथ तेज बुखार, सांस लेने में दिक्कत, छाती में दर्द या खांसी में खून आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। लेकिन हल्की-फुल्की खांसी के लिए आप गर्म पानी से गरारे, शहद, गर्म कहड़ा या भाप (Steam) लेने जैसे घरेलू उपाय अपना सकते हैं।
खांसी के प्रकार
- सूखी खांसी (Dry Cough)- इसमें बलगम या कफ नहीं निकलता है, आमतौर पर गले में जलन या गुदगुदी महसूस होती है।
- गीली/बलगम वाली खांसी (Wet/Productive Cough) – इसमें बलगम या कफ निकलता है, यह फेफड़ों को साफ करने में मदद करती है।
- काली खांसी (Whooping Cough / Pertussis) – इसमें खांसने के बाद साँस लेने पर एक विशिष्ट “हूप” (तेज सीटी जैसी) आवाज़ आती है।
- क्रूप खांसी (Croup Cough) – यह आमतौर पर बच्चों में होती है और इसमें खाँसी की आवाज़ भौंकने (Barking) जैसी होती है।