Monsoon Diet Care: भगवान शिव को समर्पित होने के अलावा, सावन का महीना प्रकृति में भी कई बदलाव लेकर आता है। इस दौरान बारिश, उमस और कम धूप के कारण वातावरण में कई तरह के सूक्ष्म जीवों और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, इन मौसमी बदलावों को ध्यान में रखते हुए अपने खान-पान में बदलाव करना बेहद ज़रूरी है। यही वजह है कि सावन में साग-सब्जियों जैसी कुछ चीज़ों का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं क्यों सावन के महीने काढी और साग नहीं खाना चाहिए।
साग और पत्तेदार सब्ज़ियों से परहेज क्यों?
सावन (Sawan) के महीने में पत्तेदार सब्ज़ियों, खासकर हरी सब्ज़ियों के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है। इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं…बारिश के मौसम में साग और अन्य पत्तेदार सब्ज़ियों में कीड़े, बैक्टीरिया और फंगस (Bacteria and fungus) आसानी से पनप जाते हैं। इन सब्ज़ियों को अच्छी तरह धोने या पकाने के बाद भी कई बार ये रोगाणु पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाते, जिससे पेट संबंधी बीमारियों (Stomach related diseases) और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, बारिश के मौसम में हमारा पाचन तंत्र थोड़ा कमज़ोर हो जाता है। पत्तेदार सब्ज़ियाँ (Leafy Vegetables) पचने में भारी होती हैं, जिससे गैस, पेट फूलना और अपच जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
आयुर्वेद (Ayurveda) में सावन को वात दोष बढ़ने का समय माना जाता है। हरी सब्ज़ियाँ और कुछ पत्तेदार सब्ज़ियाँ वात दोष बढ़ा सकती हैं, जिससे जोड़ों में दर्द और वात संबंधी अन्य समस्याएँ हो सकती हैं।
सावन में कढ़ी क्यों नहीं खानी चाहिए?
सावन के महीने में दही से बनी कढ़ी भी एक ज़रूरी चीज़ है जिससे बचना चाहिए। दरअसल, दही ठंडा और भारी होता है, और बरसात के मौसम में आसानी से पचता नहीं है। इससे पेट में गैस, पेट फूलना और एसिडिटी (Acidity) हो सकती है। वही दही में खट्टापन होता है, जो आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार पित्त दोष को बढ़ा सकता है। पित्त दोष बढ़ने से त्वचा संबंधी समस्याएँ और सीने में जलन हो सकती है। दूसरी और बरसात के मौसम में दूध और दूध से बने उत्पाद जल्दी खराब हो सकते हैं। खट्टी करी खाने से पेट में संक्रमण हो सकता है।
सावन में क्या खाएं?
आयुर्वेद सावन में हल्का, सुपाच्य और सात्विक भोजन करने की सलाह देता है। इसमें ताज़े फल, सब्ज़ियाँ जैसे लौकी, तोरी, मूंग दाल की खिचड़ी, मखाना, सेंधा नमक आदि शामिल हैं। बासी भोजन और बहुत मसालेदार या तला हुआ भोजन खाने से बचना चाहिए।
संक्षेप में, सावन में साग और कढ़ी से परहेज करने की सलाह मुख्य रूप से पाचन समस्याओं से बचने, संक्रमण के जोखिम को कम करने और शरीर में वात दोष को संतुलित रखने के लिए दी जाती है।