Censor Board Action On Dhadak 2: ऐसा लगता है जैसे सेंसर बोर्ड टीम में बैठे लोगों ने करण जौहर से अपनी कोई जाति दुश्मनी निकाली है, तभी तो उनकी आगामी फिल्म धड़क 2 पर एक नहीं दो नहीं बल्कि 16 बार कैंची चली है। जी हां, साल 2018 में हॉनर किलिंग पर बनी फिल्म धड़क का सिक्वल लेकर आ रहे है कारण जौहर। धड़क में जाह्नवी कपूर और ईशान खट्टर ने डेब्यू किया था, इस फिल्म को दर्शकों का भरपूर प्यार भी मिला था, जिसे देखते हुए एक बार फिर से धड़क 2 लेकर आए है, हालांकि फिल्म तो काफी समय से बनकर रिलीज होने के लिए तैयार भी है। इस फिल्म में तृप्ति डीमरी और सिंद्धात चतुर्वेदी लीड रोल में है, तो वहीं करण जौहर की धर्मा प्रोडक्शन के तहत बनने वाली इस फिल्म को शाजिया इकबाल डायरेक्ट कर रही थी, लेकिन ऐसा लगता है कि धड़क 2 के कुछ डायलॉग और सीन सेंसर बोर्ड को नापसंद आए है, तभी तो सेंसर बोर्ड ने इस पर कैंची चलवा दी है या फिर पूरे सीन को ही बदलवा दिया है। आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या था धड़क 2 में जिसके कारण सेंसर बोर्ड ने इतना कड़ा कदम उठाया है।
कई सींस को लेकर विवाद
धड़क 2, चुंकि जातिवाद और ऑनर किलिंग्स जैसे मुद्दे पर बेस्ड है इसलिए सेंसर बोर्ड को ये तय करना था कि किस डायलॉग को फिल्म में इस्तेमाल किया जाए और किसे नहीं। इसके लिए सबसे पहले तुलसीदास जी के एक दोहे को हटा दिया गया। सेंसर बोर्ड ने फिल्म को यू/ए 16+ की रेटिंग का सर्टिफिकेट दी है। जिसका मतलब होता यू का सेंसर बोर्ड ने फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट दिया है जिसका मतलब होता है यू यानी अनरिस्ट्रिक्टेड अथवा एडल्ट की निगरानी में देखी जाने वाली फिल्म, जिसमें 12 साल से अधिक के बच्चों को फिल्म देखने की परमिशन तो होती है लेकिन उनके साथ कोई एडल्ट होना चाहिए। या फिर 18 साल से ऊपर के लोग ही फिल्म देखने के लिए मान्य होंगे। हालांकि यू/ए 16+ का मतलब है कि इस फिल्म को केवल 16 साल की उम्र से ज्यादा वाले ही देख सकते है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कई डायलॉग को भी पूरी तरह से बदलवा दिया है।
सेंसर बोर्ड ने चलाई डायलॉग पर कैंची
कई ऐसे डायलॉग है जिससे सेंसर बोर्ड को आपत्ति थी। जिसमें स्वर्णों का दलितों पर 3000 सालों से राज करने की बात को कई सालों से राज करने का बात करना हो या फिर चमार और भंगी जैसे जातिवाचक शब्दों पर भी कैंची चलवा कर इन्हें जंगली जैसे उपनामों से बुलाया जा रहा है। फिल्म धड़क 2 तमिल फिल्म ‘परियेरम पेरुमल’ की ही रिमेक बताई जा रहे है। आपको बता दें कि धड़क फिल्म भी मराठी फिल्म सैराट की रिमेक थी। तृप्ति डिमरी और सिद्धांत चतुर्वेदी स्टारर धड़क 2 को 2024 में ही रिलीज करने की तैयारी चल रही थी लेकिन जब फिल्म पास होने के लिए सीबीएफसी के पास पहुंची तो अग्निपरिक्षा तब शुरु हुई।
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धड़क 2′ में एक डायलॉग है धर्म का काम है जिसमें हिंदू धर्म को सीधे तौर पर निशाने पर लिया गया है लेकिन सेंसर बोर्ड को ये डायलॉग विवादित लगा और उनके एथिक के खिलाफ था इसलिए इस पर कैंची चली और डायलॉग हुआ पुण्य का काम है। साथ ही दलितों के अत्याचार को लेकर एक निर्धारित समय का उल्लेख किया गया था, जिसमें रियल लाइन थी ‘3,000 साल का पिछला बकाया सिर्फ 70 साल में पूरा नहीं होगा’ लेकिन 3000 साल जैसा शब्द सेंसर बोर्ड को नामंजूर था इसलिए लाइनें में बदलाव किए गए और अब लाइन जो आपको देखने को मिलेगी वो ‘सदियों पुराने भेदभाव का पिछला बकाया सिर्फ 70 साल में पूरा नहीं होगा’।
जोर से पढ़ना होगा डिस्क्लेमर
दलितों को जलाने वाली लाइनों को तो पूरी तरह से बदल दिया गया साथ ही स्वर्णों पर कटाक्ष करने वाली कविता “ठाकुर का कुआं” को तो फिल्म से हटवा ही दिया। जातिगत गालियां देते हुए दलित का रोल करने वाले सिद्धांत के केरेक्टर पर एक ठाकुर द्वारा पेशाब करने का सीन भी मौजूद है लेकिन सेंसर बोर्ड ने इस पर भी कैंची चलवा कर इसे पांच सेकंड छोटा कर दिया, ताकि इस सीन पर ज्यादा तूल न दिया जा सके। साथ ही सिंद्धात के पिता को जातिवाचक गालियां देते हुए बेज्जत किया जाता है, इस सीन को तो फिल्म से ही उड़ा दिया गया, क्योंकि सेंसर बोर्ड को ये सीन फालतू लगा। फिल्म में 20 सेकंड के डिस्क्लेमर लगाया गया था, लेकिन सेंसर बोर्ड को वो काफी छोटा लगा इसलिए इसे 1 मिनट और 51 सेकंड लंबा कर दिया गया है। इतना ही नहीं सेंसर बोर्ड न सिर्फ फिल्म पर कैंची चलाई बल्कि डिस्क्लेमर को तो स्क्रिनिंग से पहले जोर से पढ़ने के भी आदेश दिए है।
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धड़क 2 साल 2025 में रिलीज होगी हालांकि ये किस दिन रिलीज होगी इसकी आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन फिल्म पर चली कैंची को लेकर फिल्म के मेकर काफी निराश है। उन्होंने कहा कि इससे फिल्म का ऑरिजिनल चार्म खत्म हो जायेगा, लेकिन सेंसर बोर्ड की मनमानी के आगे भला कौन टिकेगा। ऐसे में अब फिल्म के निर्माताओं की सबसे बड़ी चिंता ये है कि फिल्म इतने कट्स के बाद फैंस तक पहुंचेगी तो फैंस का इसपर क्या रिएक्शन आयेगा, कहीं ऐसा न हो कि तमाम कट्स के कारण जिस तरह फूले फ्लॉप हो गई, कुछ ऐसा धड़क 2 के साथ न हो जाए। वेल आप सेंसर बोर्ड की मनमानी को लेकर क्या सोचते है। क्या ऑरिजिनल फिल्म में बदलाव करना सही कदम है। हमें कमेंट करके जरूर बताएं।