Film China Gate Facts: ‘90 के दशक में बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्मों का निर्माण हुआ, जिन्होंने अपने अद्वितीय कथानक, बेहतरीन अभिनय और यादगार पात्रों के कारण दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई। इसी दौरान एक फिल्म आई, जिसने खूंखार खलनायक के किरदार से सुर्खियां बटोरी और दर्शकों के बीच अपनी गहरी छाप छोड़ दी। हम बात कर रहे हैं 1998 में रिलीज हुई फिल्म ‘चाइना गेट‘ की, जिसमें मुकेश तिवारी ने जगीरा नामक खूंखार डाकू का किरदार निभाया और इस किरदार ने उन्हें रातोंरात सुपरहिट बना दिया।
‘चाइना गेट‘ और मुकेश तिवारी का किरदार जगीरा- Film China Gate Facts
‘चाइना गेट‘ एक मल्टीस्टारर फिल्म थी, जिसमें ओम पुरी, अमरीश पुरी, डैनी डेन्जोंगपा, नसीरुद्दीन शाह, कुलभूषण खरबंदा, ममता कुलकर्णी, परेश रावल और अनुपम खेर जैसे दिग्गज अभिनेता थे। हालांकि, इस फिल्म में सबसे ज्यादा चर्चा मुकेश तिवारी के जगीरा के किरदार की हुई थी। वह एक खूंखार डाकू के रूप में पर्दे पर इस कदर छाए कि बाकी सभी बड़े सितारे उनके सामने फीके पड़ गए। उनका एक डायलॉग “मेरे मन को भाया… मैं कुत्ता काट के खाया” आज भी लोगों की जुबां पर है और इस डायलॉग ने फिल्म की लोकप्रियता में चार चांद लगाए थे।
मुकेश तिवारी का कड़ा संघर्ष और किरदार के लिए त्याग
मुकेश तिवारी ने जगीरा के किरदार को पर्दे पर जीवित करने के लिए जो मेहनत और त्याग किया, वह दर्शकों के लिए एक प्रेरणा है। जब उन्हें इस किरदार के लिए चुना गया, तो उन्होंने इसे असली और प्रभावशाली बनाने के लिए अपनी पर्सनल जिंदगी में भी कुछ बदलाव किए। रिपोर्ट्स के अनुसार, मुकेश तिवारी ने इस फिल्म के लिए लगभग 50 दिन तक नहाना बंद कर दिया था। उनका उद्देश्य था कि जगीरा का किरदार असली और क्रूर लगे, और इस लुक को साकार करने के लिए उन्हें गंदा और अव्यवस्थित दिखना जरूरी था।
इन 50 दिनों में न तो उन्होंने दाढ़ी बनाई, न ही बाल कटवाए, जिससे उनका लुक और भी डरावना हो गया। मुकेश ने अपने शरीर से बदबू को कम करने के लिए हमेशा परफ्यूम का इस्तेमाल किया, ताकि वह शूटिंग के दौरान और बाकी कलाकारों के लिए असहज ना हों। पहाड़ों में स्थित शूटिंग के दौरान, चील और कौवे उनके आसपास मंडराने लगे, जो कि उनके खौ़फनाक लुक को और बढ़ा रहे थे।
फिल्म का प्लॉट और जगीरा का खौफ
फिल्म का निर्देशन राजकुमार संतोषी ने किया था, जो पहले ही अपनी फिल्मों में बड़े स्टार्स के साथ दमदार कहानियों को पर्दे पर उतार चुके थे। ‘चाइना गेट‘ में एक ऐसे सैनिक की कहानी दिखाई गई, जिसे सेना द्वारा कोर्ट मार्शल कर दिया गया था। कर्नल कृष्णकांत (ओम पुरी) के नेतृत्व में एक टीम बनाई जाती है, जो खौ़फनाक डाकू जगीरा के आतंक को खत्म करने का मिशन लेकर निकलती है। संध्या (ममता कुलकर्णी) अपनी मदद के लिए कर्नल कृष्णकांत से अनुरोध करती है, क्योंकि जगीरा ने उसकी आंखों के सामने उसके पिता की हत्या की थी। फिल्म की कहानी इसी मिशन के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां कर्नल और उनकी टीम जगीरा को ढूंढ़ने और उसे खत्म करने के लिए कई संघर्षों का सामना करती है।
‘चाइना गेट‘ और ‘शोले‘ का कनेक्शन
कुछ फिल्म समीक्षकों का मानना है कि ‘चाइना गेट‘ का कथानक काफी हद तक अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की फिल्म ‘शोले‘ से प्रेरित था। ‘शोले‘ में गब्बर सिंह का किरदार एक अमर खलनायक के रूप में उभरा था, और उसी तरह ‘चाइना गेट‘ में भी जगीरा के किरदार को इतना प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया कि दर्शकों ने उसे भी यादगार मान लिया। वहीं, फिल्म की पूरी टीम के बीच एक मजबूत रिश्ते की गूंज भी ‘शोले‘ की तरह महसूस होती है।
मुकेश तिवारी का अभिनय और जगीरा की लोकप्रियता
मुकेश तिवारी ने जगीरा का किरदार निभाकर साबित कर दिया कि वह न सिर्फ शानदार अभिनेता हैं, बल्कि उनका खलनायक के रूप में सामने आना एक संजीदा और शक्तिशाली अभिनय का उदाहरण था। उनका जगीरा, सिर्फ एक सामान्य डाकू नहीं था, बल्कि वह एक ऐसा खौ़फनाक शख्स था, जिसकी उपस्थिति ने फिल्म के हर दृश्य को अपने भीतर समाहित कर लिया। उनका मजबूत शरीर, घमंड और खुद पर विश्वास, यह सब उन्हें दर्शकों के दिलों में एक अलग पहचान दिलाने में सफल रहे।
फिल्म की सफलता और मुकेश तिवारी की करियर की दिशा
‘चाइना गेट‘ ने फिल्म इंडस्ट्री में सफलता हासिल की, और मुकेश तिवारी के करियर में भी इसे महत्वपूर्ण मोड़ दिया। फिल्म की रिलीज के बाद, उनके अभिनय की चर्चा हर किसी की जुबां पर थी। इसके बाद उन्हें फिल्मों में कई अन्य खलनायकी के किरदार मिले, जिनमें उनकी एक्शन और इंटेन्सिटी की छाप साफ दिखाई दी।