Filmmaker Vikram Bhatt Fraud Case: बॉलीवुड की चर्चित हॉरर फिल्मों राज और 1920 के निर्देशक विक्रम भट्ट इन दिनों फिल्मों से ज्यादा अपने कानूनी विवाद को लेकर चर्चा में हैं। 30 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामले में विक्रम भट्ट और उनकी पत्नी श्वेतांबरी भट्ट की परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। उदयपुर की अदालत ने अंतरिम जमानत से इनकार करते हुए दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इसके बाद अब उन्हें उदयपुर की सेंट्रल जेल में रखा जाएगा।
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7 दिन की पुलिस रिमांड के बाद कोर्ट का फैसला (Filmmaker Vikram Bhatt Fraud Case)
खबरों की मानें तो, 9 दिसंबर को उदयपुर की एसीजेएम कोर्ट ने विक्रम भट्ट को 7 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा था। इस दौरान पुलिस ने उनसे और उनकी पत्नी से गहन पूछताछ की। रिमांड खत्म होने के बाद 16 दिसंबर को दोनों को दोबारा कोर्ट में पेश किया गया। पुलिस ने कोर्ट से न्यायिक हिरासत की मांग की, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके साथ ही मेडिकल आधार पर दायर की गई अंतरिम जमानत की अर्जी भी खारिज कर दी गई।
मेडिकल ग्राउंड पर मांगी गई थी अंतरिम जमानत
मंगलवार को भट्ट दंपती के वकील मंजूर अली ने कोर्ट में मेडिकल कारणों का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अगर कोर्ट सेशन खत्म होने से पहले जमानत मिल जाती है, तो इलाज के लिए दोनों को कुछ समय के लिए रिहा किया जा सकता है। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया। डीएसपी सूर्यवीर सिंह ने स्पष्ट किया कि कोर्ट ने दोनों को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया है।
30 करोड़ की धोखाधड़ी का क्या है पूरा मामला?
यह पूरा मामला उदयपुर निवासी और इंदिरा आईवीएफ ग्रुप के फाउंडर डॉ. अजय मुर्डिया की शिकायत से जुड़ा है। डॉ. मुर्डिया ने 17 नवंबर को सुखेर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। शिकायत में विक्रम भट्ट, उनकी पत्नी श्वेतांबरी भट्ट, बेटी कृष्णा भट्ट समेत कुल 8 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
डॉ. मुर्डिया का आरोप है कि उनकी दिवंगत पत्नी इंदिरा मुर्डिया पर बायोपिक और अन्य फिल्मों के निर्माण के नाम पर उनसे 30 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की गई। उन्हें 100 से 200 करोड़ रुपये की कमाई का भरोसा दिलाया गया था, लेकिन न तो तय समय पर फिल्में बनीं और न ही मुनाफे का कोई हिसाब दिया गया।
फर्जी वेंडर्स और नकली बिलों का आरोप
एफआईआर के अनुसार, अप्रैल 2024 में उदयपुर निवासी दिनेश कटारिया ने मुंबई में विक्रम भट्ट से डॉ. मुर्डिया की मुलाकात करवाई थी। पहले 40 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट हुआ, जिसे बाद में बढ़ाकर 47 करोड़ रुपये कर दिया गया। आरोप है कि चार फिल्में बनाने का वादा किया गया और मोटे मुनाफे का लालच देकर बड़ी रकम वसूली गई। पुलिस का कहना है कि यह पैसा कथित तौर पर फर्जी वेंडर्स के जरिए भट्ट दंपती के खातों में ट्रांसफर किया गया और इसके लिए फेक बिल तैयार किए गए।
मुंबई में छापेमारी, अहम सबूत बरामद
7 दिन की रिमांड के दौरान डीएसपी छगन राजपुरोहित के नेतृत्व में पुलिस टीम ने मुंबई में विक्रम भट्ट से जुड़े दफ्तरों पर भी छापेमारी की। यहां से कई अहम दस्तावेज, बैंक ट्रांजैक्शन से जुड़े रिकॉर्ड और डिजिटल सबूत जुटाए गए हैं। पुलिस अब फर्जी वेंडर्स के नेटवर्क की भी गहराई से जांच कर रही है।
हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी निगाहें
इस बीच राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर बेंच में भी इस मामले को लेकर सुनवाई हो चुकी है। जस्टिस समीर जैन की बेंच में करीब डेढ़ घंटे तक बहस चली, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। भट्ट पक्ष के वकील ने इसे सिविल विवाद बताया, जबकि पुलिस और शिकायतकर्ता ने इसे गंभीर आपराधिक धोखाधड़ी करार दिया। अब हाईकोर्ट के आदेश से ही तय होगा कि इस केस की आगे की दिशा क्या होगी।
जेल जाने के बाद बढ़ी कानूनी चुनौती
14 दिन की न्यायिक हिरासत और अंतरिम जमानत खारिज होने के बाद साफ है कि फिलहाल विक्रम भट्ट और उनकी पत्नी को कोई राहत नहीं मिली है। आने वाले दिनों में हाईकोर्ट का फैसला और पुलिस जांच इस मामले में अहम मोड़ ला सकती है। फिलहाल, यह केस बॉलीवुड और कानूनी गलियारों में चर्चा का बड़ा विषय बना हुआ है।









