First Pan India film: पहली पैन इंडिया फिल्म कब और किस भाषा में बनी थी? जानें कैसे इसने कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़े

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First Pan India film: साउथ सिनेमा ने पिछले एक दशक में पैन इंडिया फिल्मों के क्षेत्र में जो सफलता हासिल की है, वह किसी से छिपी नहीं है। हाल ही में मोहनलाल की फिल्म L2: Empuraan ने एक नई उपलब्धि हासिल की है, जिससे यह मलयालम फिल्म 50 करोड़ रुपये से अधिक की ओपनिंग के साथ भारत की सबसे बड़ी पैन इंडिया फिल्म बन गई है। यह खबर खुद मोहनलाल के आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल से साझा की गई है, और इसने सिनेमा प्रेमियों के बीच हलचल मचा दी है।

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अगर हम पिछले कुछ सालों का आंकड़ा देखें, तो पुष्पा 2 जैसी फिल्मों ने पैन इंडिया में अपनी जोरदार पकड़ बनाई है। 164.25 करोड़ रुपये की पहले दिन की कमाई के साथ यह फिल्म एक और मील का पत्थर साबित हुई। इससे पहले बाहुबली 2, केजीएफ, आरआरआर और पुष्पा जैसी फिल्मों ने भी पैन इंडिया बॉक्स ऑफिस पर बड़े रिकॉर्ड तोड़े हैं, और इन फिल्मों ने यह साबित किया है कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री अब भारत के फिल्म बाजार में अपनी एक मजबूत जगह बना चुकी है।

First Pan India film L2: Empuraan
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साउथ फिल्मों का पैन इंडिया क्रेज: बॉलीवुड को पीछे छोड़ते हुए- First Pan India film

पिछले एक दशक में साउथ फिल्म इंडस्ट्री ने पैन इंडिया फिल्में बनाने का चलन शुरू किया और इसके साथ ही बॉलीवुड को भी इस क्षेत्र में पिछे छोड़ दिया। जहां एक ओर साउथ की फिल्में हिंदी पट्टी में खूब देखी जाती हैं, वहीं बॉलीवुड की फिल्में साउथ में उतनी सफलता हासिल नहीं कर पातीं। L2: Empuraan जैसे हालिया उदाहरण इसे स्पष्ट रूप से साबित करते हैं।

पैन इंडिया फिल्म का इतिहास: चंद्रलेखा की शुरुआत से लेकर आज तक

यह देखना दिलचस्प है कि पैन इंडिया फिल्म बनाने का चलन सबसे पहले साउथ में ही शुरू हुआ था। चंद्रलेखा (1948) भारत की पहली पैन इंडिया फिल्म मानी जाती है। यह फिल्म तमिल में बनाई गई थी और इसे विभिन्न भाषाओं में डब करके पूरे देश में रिलीज किया गया।

First Pan India film L2: Empuraan
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साल 1948 की यह कहानी भारतीय सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई। चंद्रलेखा, जो एक पीरियड ड्रामा थी, ने न सिर्फ दर्शकों का दिल जीता बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी जबर्दस्त सफलता प्राप्त की। फिल्म की कमाई ने उस समय के रिकॉर्ड तोड़े, और यह एक तरह से उस समय की बाहुबली या पुष्पा जैसी बड़ी फिल्मों के समकक्ष थी। इसे तमिल और हिंदी में रिलीज किया गया और बाद में अन्य भाषाओं में भी डब किया गया।

चंद्रलेखा बनाने की कहानी: ताराचंद बड़जात्या का योगदान

चंद्रलेखा की फिल्म निर्माता जेमिनी पिक्चर्स के एसएस वासन थे, जिन्होंने इसे पहले तमिल में बनाने की योजना बनाई थी। लेकिन जब ताराचंद बड़जात्या, जो राजश्री प्रोडक्शन हाउस के फाउंडर थे, उनसे मिले, तो उन्होंने इस फिल्म को हिंदी में बनाने का सुझाव दिया। बड़जात्या ने इसके डब वर्जन और लिप सिंक के लिए कई भागों में शूटिंग भी की थी। इस कदम ने फिल्म को न सिर्फ तमिल बल्कि हिंदी बोलने वाले दर्शकों तक भी पहुंचाया।

बाद में बड़जात्या को फिल्म के पैन इंडिया डिस्ट्रीब्यूशन राइट्स मिल गए, और इस तरह चंद्रलेखा भारत की पहली पैन इंडिया फिल्म बन गई।

चंद्रलेखा की सफलता: एक ऐतिहासिक मील का पत्थर

चंद्रलेखा ने उस समय की कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़े। 30 लाख रुपये के बजट में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 1.55 करोड़ रुपये की कमाई की, जो उस वक्त के लिए एक बहुत बड़ी रकम थी। यह फिल्म सिनेमा की दुनिया में एक ऐतिहासिक उपलब्धि साबित हुई और इसने भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी।

पैन इंडिया फिल्म बनाने का प्रभाव और वर्तमान स्थिति

साउथ फिल्म इंडस्ट्री ने पैन इंडिया फिल्म बनाने का चलन शुरू किया और समय के साथ इसने बॉलीवुड को भी अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया। फिल्मों की अंतरराष्ट्रीय सफलता, विशेषकर साउथ की फिल्मों की, ने एक नई उम्मीद और संभावनाओं को जन्म दिया है। L2: Empuraan जैसे प्रोजेक्ट्स अब इस ट्रेंड को और भी मजबूत करने का काम कर रहे हैं, जिससे भारतीय सिनेमा का विस्तार और बढ़ सकता है।

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