A.R. Rahman: इम्तियाज अली की फिल्म ‘रॉकस्टार’ का वो मशहूर सीन आज भी लोगों को याद है, जिसमें रणबीर कपूर का किरदार जॉर्डन मानता है कि एक सच्चा कलाकार तभी दिल से संगीत रच सकता है, जब उसकी जिंदगी दर्द से गुज़री हो। दिलचस्प बात यह है कि फिल्म का पूरा एलबम बनाने वाले ए. आर. रहमान की अपनी जिंदगी भी कुछ इसी तरह के संघर्षों और तकलीफ़ों से भरी रही है। हाल ही में निखिल कामथ के पॉडकास्ट में रहमान ने पहली बार अपने बचपन की उन कठिन सच्चाइयों के बारे में खुलकर बातचीत की, जिसने उन्हें आकार दिया और संगीत की राह पर आगे बढ़ाया।
और पढ़ें: Farah Khan YouTube Income: फराह खान ने खोला कमाई का राज, फिल्मों से ज्यादा कमा रही हैं यूट्यूब से!
“पिता ने आखिरी सांस तक काम किया” (A.R. Rahman)
पॉडकास्ट में जब रहमान से उनके चेन्नई वाले बचपन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने साफ कहा कि उनकी शुरुआती जिंदगी उतनी आसान नहीं थी। रहमान यहीं पैदा हुए और उनके पिता आर. के. शेखर फिल्मों में संगीत से जुड़ा काम करते थे। परिवार कोडंबक्कम के पास रहता था, जहां लगभग सभी फिल्मी स्टूडियो हुआ करते थे।
लेकिन रहमान ने बताया कि उनके पिता की जिंदगी लगातार संघर्षों में घिरी रही। उन्होंने कहा, “मेरे पिता और मां को उनके अपने परिवार वालों ने घर से निकाल दिया था। इसके बाद वो किराए के घर में चार बच्चों के साथ जिंदगी शुरू करने को मजबूर हुए।” रहमान के पिता ने परिवार को स्थिर जीवन देने के लिए जान तोड़ मेहनत की और एक साथ तीन-तीन नौकरियां करते रहे। यही मेहनत उनकी सेहत पर भारी पड़ी और उनका निधन बहुत कम उम्र में हो गया।
रहमान बोले, “यही मेरे बचपन का सबसे अंधेरा दौर था। इतने बड़े ट्रॉमा से उबरने में कई साल लग गए।”
“मां ने अकेले चार बच्चों को संभाला”
पिता की मौत के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई। रहमान ने भावुक होते हुए कहा कि उनकी मां बेहद मजबूत महिला थीं, जिन्होंने अकेले चार बच्चों को पाला। उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ नौ साल का था जब पिता और दादी दोनों का निधन हो गया। हर दिन घर में ट्रॉमा था। मां ने अकेले सारी मुसीबतें झेलीं, हमें बचाने के लिए वो न जाने किस-किस तरह की परेशानियों से गुज़रीं। जहां लोग टूट जाते हैं, वहां उन्होंने खुद को संभाला और हमें भी संभाला।”
“संगीत की दुनिया में आने का फैसला मां का था”
रहमान ने बताया कि संगीत को करियर बनाने का फैसला भी उनकी मां ने ही लिया था। उन्होंने रहमान को शुरू से संगीत की ट्रेनिंग दिलवाई और कभी बीच में रुकने नहीं दिया। लेकिन इसका एक नुकसान यह भी हुआ कि रहमान सामान्य बच्चों जैसा बचपन नहीं जी पाए।
उन्होंने कहा, “मेरी तीन बहनें थीं और मुझे हमेशा बहुत सलीके से रहना पड़ता था। मेरा ज़्यादातर समय स्टूडियो में गुजरता था जहां 40-50 साल के लोग संगीत पर काम करते थे। स्कूल के दोस्तों के साथ घुलना-मिलना, कॉलेज का मज़ा ये सब मेरी जिंदगी से गायब था।” हालांकि उन्होंने यह भी माना कि स्टूडियो में बड़े कलाकारों और बुद्धिमान लोगों के बीच रहना ही उनकी सबसे बड़ी सीख साबित हुआ।
संघर्षों से बना महान कलाकार
रहमान की कहानी यह दिखाती है कि बड़े कलाकार अक्सर बड़े दर्द और संघर्षों से निकलकर सामने आते हैं। जैसे ‘रॉकस्टार’ में जॉर्डन को दर्द ने कलाकार बनाया, वैसे ही असल जिंदगी में रहमान का बचपन, पिता की मौत, मां की लड़ाई और लगातार रिस्पॉन्सिबिलिटी ने उन्हें वह संवेदनशीलता दी, जो उनके संगीत में आज भी महसूस होती है।
