Malayalam Superstar Mohanlal Journey: साउथ सिनेमा आज जिस ऊँचाई पर है, उसमें कई दिग्गज कलाकारों का हाथ है। इनमें से एक नाम है मोहनलाल का, जिनकी फैन फॉलोइंग सिर्फ केरल तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे देश में फैली हुई है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि पर्दे पर आने से पहले मोहनलाल एक बेहतरीन पहलवान थे और उनकी जिंदगी की शुरुआत एक खेल के मैदान से हुई थी, न कि फिल्मी सेट से।
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जब अखाड़े से मिली पहचान- Malayalam Superstar Mohanlal Journey
मोहनलाल विश्वनाथन ने अपने करियर की शुरुआत बतौर कुश्ती चैंपियन की थी। 1977 से 1978 के दौरान वो स्टेट लेवल कुश्ती चैंपियन रहे। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में होने वाली नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लेने का मन बनाया था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
उन्हें एक दिन अचानक एक फिल्म ऑडिशन के लिए कॉल आया और यहीं से उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया। उन्होंने पहलवानी छोड़ दी और कैमरे के सामने आने का फैसला किया। और यकीन मानिए, इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
पर्दे पर भी दमदार, असल ज़िंदगी में भी
मोहनलाल सिर्फ पर्दे के ही हीरो नहीं हैं, असल जिंदगी में भी उन्होंने दमखम दिखाया है। साल 2012 में उन्हें दक्षिण कोरिया के वर्ल्ड ताइक्वांडो हेडक्वार्टर से ब्लैक बेल्ट से नवाजा गया। यानी एक्टर के अंदर असली मार्शल आर्टिस्ट की ताकत भी है।
रिकॉर्ड ब्रेकर सुपरस्टार
मोहनलाल का फिल्मी करियर कई मायनों में बेमिसाल है। अपने चार दशक से ज्यादा के करियर में वो 400 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके हैं। एक बार तो उन्होंने एक ही साल में 35 फिल्में की थीं, जिनमें से 25 सुपरहिट साबित हुईं। ये आंकड़े किसी भी सुपरस्टार के लिए एक सपना हो सकते हैं।
दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड की घोषणा
हाल ही में मोहनलाल को लेकर एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान यानी दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा जाएगा। यह सम्मान उन्हें 23 सितंबर 2025 को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में दिया जाएगा। इससे पहले भी उन्हें चार बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है।
साल 2025 में धमाकेदार वापसी
2025 मोहनलाल के लिए बेहद खास साल रहा है। उनकी तीन फिल्में हृदयपूर्वम, थुडारम और एल2 एम्पुरान बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर हिट रहीं। इससे साफ है कि उम्र चाहे जो भी हो, मोहनलाल का स्टारडम अब भी लोगों के सिर चढ़कर बोलता है।
पर्सनल लाइफ भी उतनी ही संतुलित
मोहनलाल की निजी जिंदगी भी काफी शांत और प्रेरणादायक रही है। उनकी पत्नी का नाम सुचित्रा है और दोनों के एक बेटा और एक बेटी हैं। पर्दे पर जितने सशक्त नजर आते हैं, निजी जीवन में भी उन्होंने हमेशा संतुलन बनाए रखा है।
मोहनलाल की कहानी सिर्फ एक कलाकार की नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान की है जिसने जिंदगी में जो भी रास्ता चुना, उसमें खुद को पूरी तरह झोंक दिया। चाहे वो पहलवानी का मैदान हो या फिल्मी दुनिया मोहनलाल ने हर जगह अपनी मेहनत और लगन से पहचान बनाई। दादासाहेब फाल्के पुरस्कार उनकी इसी मेहनत का एक शानदार प्रमाण है।