Rajinikanth Coolie Movie Review Rating: रजनीकांत… नाम ही काफी है। जब उनका नाम सामने आता है तो दिमाग में सीधा वो चश्मा घुमाते हुए आंखों पर पहनने वाला स्टाइल, हवा में सिगरेट उछालना और एक खास चाल चलने वाला सुपरस्टार नजर आता है। लंबे समय से अगर आप इस रजनी स्टाइल को मिस कर रहे थे, तो ‘कुली’ आपके लिए किसी ट्रीट से कम नहीं है। लोकेश कनगराज की इस फिल्म में रजनीकांत पूरी रजनी-शैली में लौटे हैं, और यही नहीं, उन्होंने इस बार अपने 50 साल के फिल्मी करियर को भी एक जबरदस्त ट्रिब्यूट दिया है।
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कहानी में है दम, लेकिन अंदाज में असली मजा- Rajinikanth Coolie Movie Review Rating
फिल्म की शुरुआत होती है एक बड़े पोर्ट से, जहां का मालिक है साइमन (नागार्जुन)। यहां घड़ियों की तस्करी होती है, जो सोने-हीरे से भी महंगी होती हैं। उसके इस धंधे को मैनेज करता है उसका खास आदमी दयाल (सौबिन शाहिर)। इसी बंदरगाह पर काम करते हैं 14,400 मजदूर – जिन्हें ‘कुली’ कहा जाता है।
#Coolie – 4.5 ⭐⭐⭐⭐
lokesh kanagaraj and team delivered a blockbuster.🔥
1st Half – Good mix of Mass & Loki’s plot twists🔥
One of the best de-aging in Kollywood 🔥
The mass scenes in the second half worked out big time.😭@rajinikanth sir sambavam🔥#CoolieReview pic.twitter.com/3G4Gne7fjW
— Swetha™ (@SwethaLittle_) August 14, 2025
इधर, देवराज उर्फ देवा (रजनीकांत) एक ऐसी हवेली में रहता है, जिसे उसने हॉस्टल में बदल दिया है और गरीब, जरूरतमंद छात्रों को बेहद कम किराए पर वहां जगह देता है। एक दिन देवा को अपने पुराने दोस्त राजशेखर (सत्यराज) की मौत की खबर मिलती है। जब वह उनके घर जाता है तो उनकी बेटी प्रीति (श्रुति हासन) उसे ताने मारते हुए बाहर निकाल देती है।
ऑटोप्सी रिपोर्ट कहती है कि राजशेखर की मौत हार्ट अटैक से हुई, लेकिन देवा को एक असली रिपोर्ट मिलती है जिससे पता चलता है कि उसकी छाती पर कई वार किए गए थे। इसके बाद कहानी घूमती है राजशेखर के एक अविष्कार की तरफ एक मोबाइल श्मशान, जो आवारा जानवरों के लिए बना था और प्रदूषण को भी कम करता था। लेकिन यह पेटेंट खारिज हो जाता है, और फिर यही टेक्नोलॉजी गलत हाथों यानि साइमन तक पहुंचती है। उसके बाद जो होता है, वो देखना स्क्रीन पर ही बेहतर होगा।
रजनीकांत ने फिर किया कमाल
इस बात में कोई दो राय नहीं कि ‘कुली’ रजनीकांत की फिल्म है, और सिर्फ उन्हीं की है। उन्होंने अपने पुराने चार्म के साथ वापसी की है – वो चाल, वो एक्शन, वो डायलॉग्स, सबकुछ वहीं है, जिसे देखकर 80s और 90s के रजनी फैन्स खुशी से झूम उठेंगे। हर फ्रेम में वो छा जाते हैं। साथ में आमिर खान का कैमियो और उपेंद्र की एंट्री फिल्म को और ऊंचा ले जाती है।
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— Vivek Vivi (@VivekVi57982135) August 14, 2025
Coolie FIRST HALF REVIEW —
From scene one to interval, not a single slowdown! @Dir_Lokesh proves his genius with flawless sequences. The unpredictability is gripping — audience constantly guessing the next move! SUPERSTAR @rajinikanth’s style & lines 🧨🔥 plus that pre-interval… pic.twitter.com/RHu1qQfoxW
— Let’s X OTT GLOBAL (@LetsXOtt) August 14, 2025
नागार्जुन ने साइमन के रूप में एक खतरनाक विलेन का रोल निभाया है, जो कहीं-कहीं मजाकिया भी लगता है, लेकिन जब भी स्क्रीन पर आता है, असर छोड़ जाता है। दयाल के रोल में सौबिन शाहिर ने जबरदस्त परफॉर्मेंस दी है – वो चालाक है, पागलपन है, और डरावना भी। श्रुति हासन का रोल थोड़ा सीमित है, लेकिन जहां-जहां इमोशनल सीन्स आते हैं, उन्होंने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है।
निर्देशन और टेक्नीकल पहलू
लोकेश कनगराज ने इस फिल्म में अपनी पुरानी स्टाइल का इस्तेमाल किया है – रॉ एक्शन, तगड़ा बैकग्राउंड म्यूजिक और बड़ा विजुअल अपील। हालांकि ‘कुली’ उनकी फिल्मों ‘विक्रम’ और ‘कैथी’ जितनी टाइट नहीं लगती, लेकिन फिर भी उन्होंने बड़े परदे के लिए एक ऐसी कहानी बनाई है, जिसे देखकर दर्शक ताली और सीटी बजाने पर मजबूर हो जाएं।
फिल्म की लंबाई करीब 2 घंटे 50 मिनट है, लेकिन अगर आप रजनी के फैन हैं, तो ये वक्त कब गुजर जाएगा, पता भी नहीं चलेगा। क्लाइमेक्स में जो ट्विस्ट आते हैं, वो वाकई दिमाग घुमा देते हैं।
म्यूजिक ने जमाया रंग
अनिरुद्ध रविचंदर का म्यूजिक फिल्म की रूह है। चाहे रजनीकांत की एंट्री हो या कोई हाई इमोशन सीन – हर जगह म्यूजिक पूरी तरह फिट बैठता है। उनका बैकग्राउंड स्कोर कहानी को और भी ऊंचाई देता है। जब-जब रजनी स्क्रीन पर आते हैं, म्यूजिक के साथ माहौल और भी रोमांचक हो जाता है।
कमजोरियां क्या हैं?
अगर थोड़ा निगेटिव देखा जाए तो फिल्म की कहानी कुछ हिस्सों में प्रेडिक्टेबल लग सकती है। कुछ इमोशनल हिस्से वैसे नहीं असर डालते जैसे बनाए गए हैं। अगर आप सिर्फ कंटेंट बेस्ड सिनेमा पसंद करते हैं और मसाला फिल्मों से परहेज करते हैं, तो शायद ये फिल्म आपके लिए नहीं है। लेकिन रजनी का फैनबेस जानता है कि वो सिनेमाघर क्यों जाता है और इस फिल्म में वो सबकुछ है।
देखना चाहिए या नहीं?
अगर आप रजनीकांत के फैन हैं, तो ये फिल्म मिस करना गुनाह होगा। अगर आप मसाला फिल्मों के साथ एक पुराने जमाने का स्वैग और एक्शन देखना चाहते हैं, तो ‘कुली’ आपके लिए है। ये फिल्म न सिर्फ रजनीकांत को ट्रिब्यूट देती है, बल्कि उन्हें फिर से एक ऐसे अवतार में पेश करती है, जिसे देख आप सिनेमाहॉल से मुस्कुराते हुए बाहर निकलेंगे।
रेटिंग: 3.5 स्टार्स
फिल्म की लंबाई: 2 घंटे 50 मिनट
देखने लायक: थलाइवर फैन हैं तो मिस मत करना।