Sai Paranjpye On Nana Patekar: अपने तीखे स्वभाव के लिए प्रसिद्ध अभिनेता नाना पाटेकर ने कई बार अपने गुस्से का प्रभाव फिल्म सेट पर दिखाया है। इसी का एक उदाहरण 1990 में आई फिल्म ‘दिशा’ का सेट है, जहां नाना और डायरेक्टर-सिन्स्क्रीनराइटर सई परांजपे के बीच कई बार तनाव देखने को मिला। हाल ही में सई परांजपे ने इस फिल्म की शूटिंग के दौरान नाना के गुस्से और उनके व्यवहार से जुड़ी कई चौंकाने वाली बातें फिल्मफेयर से साझा कीं।
गुस्से के लिए पहले से थी चेतावनी- Sai Paranjpye On Nana Patekar
सई परांजपे ने बताया कि उन्हें नाना पाटेकर के स्वभाव और गुस्से के बारे में पहले ही चेतावनी दे दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने नाना को ओम पुरी और शबाना आजमी के साथ फिल्म में कास्ट किया। शुरू में नाना सेट पर बहुत सहयोगी और शांतिपूर्ण थे, लेकिन जल्द ही चीजें बदलने लगीं। सई ने बताया कि उन्होंने नाना से कहा था कि वे चार दिन बाद आएं ताकि पहले शबाना और ओम पुरी के सीन्स शूट किए जा सकें। लेकिन नाना ने जोर देकर कहा कि उन्हें सेट पर आना है, चाहे उनका काम हो या न हो।
चप्पलों को लेकर भड़क गया नाना
सई ने याद किया कि पहले तीन दिन वे मुख्य रूप से शबाना और ओम पुरी के सीन्स पर काम कर रही थीं। इस वजह से नाना खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे। इसके बाद जब नाना का शेड्यूल शुरू हुआ, तो उन्होंने चप्पलों को लेकर गुस्सा किया और सेट पर हंगामा मचा दिया। सारा सेट इस अप्रत्याशित घटना से हैरान रह गया था।
डबिंग के दौरान भी फूटा गुस्सा
डायरेक्टर ने बताया कि नाना का गुस्सा केवल शूटिंग के दौरान ही नहीं, बल्कि डबिंग के समय भी भड़क उठा। सई की बेटी का नाना से फ्रेंडली रिश्ता था, जो उन्हें शांत करने में मदद करता था, लेकिन गुस्सा कम नहीं हुआ। एक बार तो नाना ने डबिंग के दौरान पन्ने फेंक दिए और कहा कि वे यह काम नहीं करेंगे। इस तरह की घटनाएं तीन बार हुईं, जब तक कि सई ने खुद आपा खो दिया।
डायरेक्टर ने भी खोया आपा
सई ने खुलासा किया कि तीसरी बार जब नाना ने डबिंग के दौरान विरोध जताया, तो उन्होंने सख्ती से कहा, “या तो काम करो या बाहर चले जाओ। मैं आपके नखरों से तंग आ चुकी हूं। क्या आप प्रोफेशनल नहीं हो सकते?” इसके बाद नाना गुस्से में सेट छोड़कर चले गए। लेकिन आधे घंटे बाद वे वापस आए और सई को धमकी दी, “तुम सुरक्षित हो क्योंकि तुम महिला हो, नहीं तो तुम्हें यहां नहीं रहने दिया जाता।” इसके बाद वे फिर गुस्से में बाहर चले गए।
अंत में सुलह
अगले दिन नाना शांत हुए और खुद सई को फोन करके डबिंग का शिफ्ट समय पूछा। यह सुलह इस बात का सबूत थी कि भले ही नाना का स्वभाव गुस्सैल हो, लेकिन वे पेशेवर हैं और अपने काम को गंभीरता से लेते हैं।
बता दें, नाना पाटेकर का गुस्सैल स्वभाव कई बार विवादों का कारण रहा है, लेकिन उनकी प्रतिबद्धता और काम के प्रति समर्पण भी कम नहीं है।