Ahmedabad Plane Crash: आखिरकार, पांच दिन बाद भी अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के विमान हादसे की भयावहता के निशान मलबे में फैले सामान और जलते हुए सामान के रूप में साफ दिख रहे हैं। एयर इंडिया की अहमदाबाद से लंदन जाने वाली फ्लाइट AI-171 (बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर) के क्रैश होने के बाद से बहुत कुछ सामने आया है, जिनमें घटनास्थल से बरामद वस्तुएं भी शामिल हैं, जो इस हादसे की गवाह हैं। मलबे से अब तक 80 तोला (800 ग्राम) सोना, 80,000 रुपये नकद, एक मोबाइल फोन, 9 पासपोर्ट और कई बैग बरामद हुए हैं, जो पुलिस को सौंपे गए हैं।
मलबे से बरामद सामान- Ahmedabad Plane Crash
हादसे के बाद घटनास्थल से एक मोबाइल फोन, लैपटॉप, जेवर, नकदी और पासपोर्ट जैसी महत्वपूर्ण वस्तुएं बरामद की गई हैं। सरकारी अधिकारियों ने इन चीजों को सुरक्षित रखा और किसी भी तरह की असमंजस से बचने के लिए उन्हें एक जगह जमा किया। यह सामान उस भयावह दुर्घटना के दौरान लोगों के खोए हुए संसाधनों को दर्शाता है।
12 जून को अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज के परिसर में हुए इस हादसे के बाद अफरा-तफरी का माहौल था। दुर्घटना के तुरंत बाद, प्रशिक्षु डॉक्टरों, एंबुलेंस कर्मियों, वॉलंटियर और स्थानीय लोगों ने बिना समय गंवाए घायलों की मदद करना शुरू किया। आग और धुएं से घिरे हुए लोग, जो कभी सोचा भी नहीं होगा कि यह सब एक दिन उनके साथ होगा, वे अपनी जान की परवाह किए बिना घायलों को बाहर निकालने में जुटे थे।
270 लोगों की मौत
इस भीषण हादसे में अब तक कम से कम 270 लोगों की मौत हो चुकी है। जिनमें से 241 यात्री विमान में सवार थे, जबकि शेष लोग जमीन पर मौजूद थे और इस घटना का शिकार हुए। लंदन जाने के लिए उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद, विमान ने मेघानी नगर के एक छात्रावास की इमारत से टक्कर मारी और करीब 625 फीट की ऊंचाई से गिरा। इस दुर्घटना से मेडिकल कॉलेज परिसर में जबरदस्त तबाही मच गई और आसपास के इलाके में अफरातफरी का माहौल था।
हादसे के बाद का दृश्य
बीजे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के डाइनिंग हॉल में मेडिकल छात्र नवीन चौधरी ने बताया कि जैसे ही उन्होंने खाना शुरू किया, अचानक एक जोरदार धमाका हुआ और माहौल बदल गया। उनके अनुसार, “हर तरफ आग फैल गई और कई लोग घायल हो गए।” वे खिड़की से कूदकर जान बचाकर बाहर भागे और अपने साथियों के साथ आईसीयू में जाकर जले हुए घायलों की मदद की। नवीन ने कहा, “मैंने सोचा कि एक डॉक्टर के रूप में, मैं किसी की जान बचा सकता हूं।”
वहीं, सीनियर छात्र अक्षय जाला ने बताया, “ऐसा लगा जैसे कोई भूकंप आ गया हो।” चारों ओर धुआं और धूल थी। हालांकि उनकी पैर में चोट लगी थी, फिर भी वे ट्रॉमा सेंटर पहुंचे और घायलों की देखभाल करने में जुट गए। डीन मीनाक्षी पारिख ने इन छात्रों की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा, “वे बेहद साहसी थे, और उनकी भावना अब भी कायम है।” उनके अनुसार, कई डॉक्टर बचाव दल के पहुंचने से पहले ही घायलों की मदद के लिए लौट आए थे।
स्थानीय लोगों का योगदान
अहमदाबाद के स्थानीय निवासी भी इस कठिन समय में पीछे नहीं रहे। राजू पटेल नामक एक कारोबारी अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और स्ट्रेचर न होने के बावजूद घायलों को साड़ियों और चादरों के सहारे बाहर निकाला। राजू ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “शुरुआत में 15-20 मिनट तक हम हादसे के पास नहीं जा सके क्योंकि आग बहुत भीषण थी। लेकिन जैसे ही पहली फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस पहुंची, हम मदद के लिए आगे आए।”
संजय पाटनी नामक एक स्थानीय निवासी ने भी इस हादसे के बाद अपनी मदद की। उन्होंने 28 शवों को बाहर निकालने में मदद की। उनका कहना था, “घटना के बाद चारों ओर काला धुआं छा गया था और वातावरण बेहद खतरनाक हो गया था।” उन्होंने यह भी देखा कि कई छात्र हॉस्टल की इमारत से कूदने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हें ऐसा न करने के लिए कहा गया।