Almora News: अल्मोड़ा जनपद के चौखुटिया क्षेत्र में पिछले दो महीनों से चल रहे ‘ऑपरेशन स्वास्थ्य’ आंदोलन के दौरान बड़ा और तनावपूर्ण मोड़ सामने आया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भुवन कठायत 24 नवंबर की सुबह अमस्यारी स्थित अपने घर से निकले और उसके बाद से गायब हो गए। उनका मोबाइल भी लगातार स्विच ऑफ रहा, जिसके बाद परिवार, समर्थकों और स्थानीय लोगों में भारी चिंता फैल गई थी।
भुवन की गुमशुदगी ने उस आंदोलन को भी और गंभीर मोड़ दे दिया, जो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तत्काल नियुक्ति और स्वास्थ्य सुविधाओं के मानक सुधार की मांग को लेकर 56 दिनों से चल रहा है। आंदोलनकारियों को विश्वास था कि भुवन की गुमशुदगी आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश हो सकती है।
परिवार और गांव वाले तीन दिन तक बेचैन (Almora News)
भुवन के पिता भूपाल सिंह ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट चौखुटिया कोतवाली में दर्ज कराई। परिजनों ने बताया कि वे लगातार तीन रातें चिंता में जागकर बिताते रहे, लेकिन भुवन का कोई पता नहीं चल पा रहा था। गांव के लोग भी खोजबीन में लगे रहे, लेकिन सभी प्रयास विफल होते जा रहे थे।
उत्तराखंड में खराब स्वास्थ्य सेवाओं के खिलाफ 56 दिनों से आंदोलन चल रहा है। इसका नेतृत्व कर रहे भुवन कठायत 24 नवंबर से लापता हैं।
भुवन ने कहा था कि अगर CM धामी ने 25 नवंबर तक कोई एक्शन नहीं लिया तो वे कोई कठोर कदम उठा लेंगे।
देश की राजधानी दिल्ली से पौने 400 KM दूर अल्मोड़ा… pic.twitter.com/JjODAHIKQL
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) November 26, 2025
स्थिति गंभीर होते ही पुलिस प्रशासन हरकत में आया। चौखुटिया कोतवाली से लेकर एसएसपी कार्यालय तक सूचना पहुंचाई गई। कुल सात टीमें बनाई गईं, जिनमें एसओजी भी शामिल थी। जंगलों, नदी किनारों और गांवों में लगातार तलाशी अभियान चलाया गया। पुलिस ने पोस्टर जारी कर सूचना देने वालों के लिए इनाम की घोषणा भी की थी।
इधर आरती घाट पर आंदोलन भी जारी रहा। सुरेंद्र नेगी का आमरण अनशन 13वें दिन पहुंच चुका था और बचे सिंह कठायत का अनशन भी 5 दिनों से चल रहा था। तीन दिन तक भुवन का कोई सुराग न मिलने से आंदोलनकारियों का गुस्सा और चिंता दोनों बढ़ते जा रहे थे।
जंगल से सुरक्षित बरामद, पुलिस ने बताया पूरा घटनाक्रम
बुधवार देर शाम वह मोड़ आया, जब अल्मोड़ा पुलिस ने बताया कि भुवन कठायत को चौखुटिया के पास एक जंगल से सुरक्षित बरामद कर लिया गया है। पुलिस के अनुसार, भुवन ने पकड़े जाने से कुछ समय पहले एक व्हाट्सएप ग्रुप में एक वीडियो शेयर किया था। वीडियो में उन्होंने आरोप लगाया कि आंदोलन 58 दिनों से चल रहा है, लेकिन सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि वे 28 नवंबर से “किसी अज्ञात स्थान से आमरण अनशन” शुरू करेंगे।
जैसे ही उनका फोन थोड़ी देर के लिए चालू हुआ, पुलिस ने तुरंत लोकेशन ट्रेस कर ली। वीडियो पोस्ट होने के करीब आधे घंटे के भीतर एसओजी और पुलिस की संयुक्त टीम मौके पर पहुंची और उन्हें जंगल से सुरक्षित बाहर ले आई।
क्यों हुई थी चिंता?
भुवन कठायत ने इससे पहले चेतावनी दी थी कि यदि 25 नवंबर तक मुख्यमंत्री या स्वास्थ्य मंत्री मौके पर नहीं पहुंचे, तो वे प्राण त्यागने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं देखेंगे। इस चेतावनी के बाद ही 24 नवंबर को वे अचानक गायब हो गए थे, जिससे सभी हैरान थे। इसी वजह से परिजनों और आंदोलनकारियों में डर बढ़ गया था कि कहीं उन्होंने कोई आत्मघाती कदम न उठा लिया हो।
