Anil Ambani ED News: 17,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक लोन घोटाले को लेकर रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मंगलवार को वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने पेश हुए, जहां उनसे प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत पूछताछ की गई। इस बड़े आर्थिक घोटाले की तह में कई कंपनियां, बैंक अधिकारी और फर्जी ट्रांजैक्शन का जाल बिछा हुआ है, जिसे ईडी अब परत-दर-परत खोलने में जुटी है।
और पढ़ें: India-US News: टैरिफ की धमकी पर भारत ने दिखाया आईना, विदेश मंत्रालय ने 6 प्वाइंट में खोली पोल’
कैसे शुरू हुई जांच? (Anil Ambani ED News)
दरअसल, पिछले महीने ईडी ने रिलायंस ग्रुप से जुड़ी 35 जगहों पर छापेमारी की थी। जांच का फोकस रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और उसकी सहयोगी कंपनियां हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने बैंकों से लिए गए भारी-भरकम लोन को इंटर-कॉरपोरेट डिपॉजिट (ICD) के नाम पर दूसरी कंपनियों में डायवर्ट कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक, इस फ्रॉड में एक अहम भूमिका CLE नामक कंपनी की रही, जिसे रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने अपनी ‘रिलेटेड पार्टी’ घोषित नहीं किया था। इसका मतलब यह हुआ कि इस ट्रांजैक्शन को शेयरधारकों और ऑडिट कमेटी की मंजूरी के बिना ही अंजाम दिया गया, जो कि कंपनियों के संचालन के नियमों के खिलाफ है।
बैंकों की बड़ी लापरवाही?
ईडी ने इस मामले में 39 बैंकों को नोटिस भेजा है। उनसे पूछा गया है कि जब कंपनियां डिफॉल्ट कर रही थीं, तो बैंकों ने समय पर अलर्ट क्यों नहीं जारी किया? लोन मॉनिटरिंग सिस्टम में ऐसी बड़ी चूक कैसे हो गई? जांच एजेंसी अब बैंक अधिकारियों को भी पूछताछ के लिए बुला सकती है। मुख्य सवाल ये है कि लोन देने से पहले आखिर क्रेडिट असेसमेंट किस आधार पर किया गया था, और जब किस्तें डिफॉल्ट होने लगीं तो कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
पहली गिरफ्तारी और शेल कंपनियों का खुलासा
इस केस में ईडी ने पहली गिरफ्तारी 1 अगस्त को की, जब बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड के एमडी पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार किया गया। उन पर रिलायंस पावर के लिए 68.2 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी तैयार करने का आरोप है। बिस्वाल की कंपनी ने तीन अलग-अलग रिलायंस कंपनियों को गारंटी दी थी, जबकि उसकी खुद की वित्तीय स्थिति कमजोर थी।
ईडी की जांच में सामने आया है कि बैंकों से मिले लोन को रिलायंस ग्रुप की कई शेल कंपनियों में ट्रांसफर किया गया। इन कंपनियों के दस्तावेज, पते और डायरेक्टर तक मेल नहीं खाते। कई मामलों में तो लोन मंजूर होने से पहले ही रकम ट्रांसफर कर दी गई थी, और YES बैंक से मिले 3,000 करोड़ रुपये का लोन इसका बड़ा उदाहरण है।
रिलायंस कम्युनिकेशंस भी घेरे में
अनिल अंबानी पर दूसरा बड़ा आरोप रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़ा है, जहां 14,000 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड की बात सामने आई है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इस कंपनी को पहले ही फ्रॉड घोषित कर दिया है और CBI जांच की सिफारिश की गई है। ये मामला अलग से एजेंसियों की निगरानी में है।
विदेशों में संपत्तियां और लुक आउट सर्कुलर
ईडी ने इस मामले को गंभीर मानते हुए अनिल अंबानी के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी कर दिया है, जिससे वह देश छोड़कर न जा सकें। एजेंसी ने उनकी कंपनियों के विदेशों में बैंक अकाउंट्स और प्रॉपर्टीज की भी जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा रिलायंस ग्रुप के 6 टॉप एग्जीक्यूटिव्स को समन भेजा गया है।
आगे क्या?
जांच अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन जो बातें सामने आ रही हैं, वे भारतीय बैंकिंग सिस्टम और नियामकों के लिए बड़े सवाल खड़े करती हैं। ED को यह भी देखना है कि क्या यह घोटाला सिर्फ लोन की धोखाधड़ी तक सीमित है या इसके जरिए मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी निवेश के नाम पर बड़ा खेल खेला गया है।
अनिल अंबानी, जो कभी भारत के सबसे अमीर उद्योगपतियों में गिने जाते थे, अब एक के बाद एक कानूनी शिकंजे में फंसते जा रहे हैं। इस मामले में उनके बयान और दस्तावेजी सबूत बहुत अहम होंगे, जिससे साफ होगा कि ये पूरा घोटाला एक सोची-समझी साजिश थी या कॉर्पोरेट गलती का नतीजा।
इस पूरे मामले पर नज़र बनाए रखें, क्योंकि आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।