ATMANIRBHAR BHARAT: भारत की सेना को आधुनिक और पूरी तरह स्वदेशी बनाने की दिशा में सरकार लगातार तेज़ी से कदम बढ़ा रही है। इसकी ताजा मिसाल है वित्त वर्ष 2025-26 में रक्षा खरीद के लिए किए गए बजट खर्च का आंकड़ा, जिसने सबका ध्यान खींचा है। इस साल रक्षा मंत्रालय को कैपिटल एक्सपेंडिचर यानी रक्षा उपकरणों की खरीद, अनुसंधान और इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए 1.80 लाख करोड़ रुपये का बजट मिला था। अब मंत्रालय ने खुलासा किया है कि सिर्फ छह महीनों के भीतर ही इस राशि का 51.23% यानी करीब 92,211 करोड़ रुपये खर्च कर दिया गया है।
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क्यों ज़रूरी है ये खर्च? ATMANIRBHAR BHARAT
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इतना तेज़ खर्च इसलिए किया गया है ताकि आधुनिक हथियार और सिस्टम समय पर डिलीवर हो सकें। इनमें मुख्य रूप से एयरक्राफ्ट, एयरो इंजन, पनडुब्बियां, जहाज, हथियार प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर उपकरण शामिल हैं। इससे भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना को तकनीकी रूप से और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
मंत्रालय के अनुसार, अगर इस गति से खरीद प्रक्रिया जारी रही, तो सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की योजनाएं समय से पहले पूरी हो सकती हैं। इससे भारत की युद्धक क्षमताएं न केवल बढ़ेंगी, बल्कि हमारी सुरक्षा व्यवस्था भी पहले से ज्यादा मजबूत होगी।
स्वदेशीकरण को मिल रही है प्राथमिकता
रक्षा बजट में स्वदेशी हथियारों और तकनीक को लेकर खास फोकस दिख रहा है। सरकार की कोशिश है कि देश की सुरक्षा जरूरतों को देश में बने उत्पादों से पूरा किया जाए। वित्तीय वर्ष 2025-26 में घरेलू उद्योगों के लिए 1.11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम अलग रखी गई है। खास बात यह है कि इसमें से 45% राशि अब तक खर्च भी की जा चुकी है।
यह फैसला आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) मिशन को मजबूत करता है, जिसका उद्देश्य है कि भारत अपनी रक्षा ज़रूरतों के लिए बाहरी देशों पर निर्भर न रहे। इस मुहिम का फायदा छोटे और मझोले उद्योगों (MSMEs), स्टार्टअप्स और नए इनोवेटर्स को भी मिल रहा है, जो अब इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर भागीदारी कर रहे हैं।
पिछले साल भी रहा अच्छा रिकॉर्ड
इससे पहले, वित्तीय वर्ष 2024-25 में भी रक्षा मंत्रालय ने आवंटित पूंजीगत खर्च का 100% उपयोग किया था। उस समय कुल बजट 1.59 लाख करोड़ रुपये था। इस बार ये आंकड़ा और बढ़ाकर 1.80 लाख करोड़ रुपये किया गया है, जिसमें अब तक आधा खर्च किया जा चुका है और वो भी साल के पहले छह महीनों में ही।
आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी सफलता
पिछले पांच सालों में रक्षा क्षेत्र के पूंजीगत खर्च में करीब 60% की बढ़ोतरी हुई है। इसका सीधा मतलब है कि भारत अब अपने हथियार और तकनीक खुद तैयार करने की ओर बड़ी तेजी से बढ़ रहा है।